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आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के लिए परिसंपत्ति गुणवत्ता महत्त्वपूर्ण

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 7:36 AM IST

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के लिए उसकी खुदरा रणनीति काफी अनुकूल रहा है। वर्ष 2018 में कैपिटल फस्र्ट के साथ विलय और वी वैद्यनाथन द्वारा कमान संभाले जाने के बाद से ही बैंक ने खुदरा कारोबार पर काफी ध्यान केंद्रित किया है। विलय से पहले कंपनी के कुल ऋण कारोबार में खुररा ऋण की हिस्सेदारी 13 फीसदी थी जो बढ़कर दिसंबर 2020 तिमाही में 60 फीसदी हो गई। अव्यवहार्य कॉरपोरेट ऋण को बट्टïेखाते में डालने और केवल आवश्यक होने पर ही कॉरपोरेट ऋण देने संबंधी बैंक के निर्णय ने उसके बहीखाते को दुरुस्त किया।
बैंक के इस कायापलट पर बाजार की नजर काफी देर से पड़ी और पिछले छह महीनों के दौरान आईडीएफसी फस्र्ट बैंक का शेयर दोगुना से अधिक बढ़त के साथ जबरदस्त प्रदर्शन करने वाले बैंकिंग शेयरों की सूची में शामिल हो गया। इसलिए बाजार में मजबूत स्वीकृति के मद्देनजर 3,000 करोड़ रुपये की इक्विटी जुटाने का निर्णय कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
वित्त वर्ष 2121 में रकम जुटाने की यह बैंक की दूसरी पहल हो सकती है क्योंकि पिछले सप्ताह रकम जुटाने की योजना का खुलासा किए जाने के बाद शेयर में 17 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। ऐसे में इस प्रक्रिया में मूल्य कम होने की आशंका भी खत्म हो जाती है।
क्रेडिट सुइस के विश्लेषकों ने हाल में इस शेयर को अंडरपरफॉर्म से न्यूट्रल श्रेणी में अपग्रेड किया है। विश्लेषकों ने कहा है कि वित्त पोषण की लागत कम रहने के साथ ही परिसंपत्तियों पर बैंक का रिटर्न वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 1 फीसदी होने के आसार हैं जो वित्त वर्ष 2021 में 0.3 फीसदी रहा है। हालांकि इस उत्साह के बीच निवेशकों को कुछ पहलुओं से सतर्क रहना चाहिए।
वित्त वर्ष 2019 के बाद पूंजी की खपत काफी बढ़ गई है और यह बहीखाते को दुरुस्त करने एवं खुदरा कारोबार पर जोर देने के प्रयासों के अनुरूप है। ऐसे यह महत्त्वपूर्ण है कि प्रस्तावित रकम जुटाए जाने के बाद बैंक को शुद्ध लाभ के साथ अपनी पूंजी की स्थिति को बेहतर करने पर ध्यान देना चाहिए। इस लिहाज से रकम जुटाने की इस पहल को पूंजी में बढ़त के रूप में देखते हुए बैंक के बहीखाते पर मौजूद दबाव का भी ध्यान रखना होगा क्योंकि प्ररिसंपत्ति गुणवत्ता प्रबंधन पर बाजार की नजर बनी रहेगी।
आईडीएफसी फस्र्ट बैंक की प्रोफार्मा सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) 4.18 फीसदी रही जो उसके लिए अब तक का सबसे अधिक दबाव है। खुदरा ऋण के लिए प्रोफार्मा सकल एनपीए 3.88 फीसदी भी चिंताजनक है। यह निजी क्षेत्र के शीर्ष सात बैंकों में सर्वाधिक है। पहले कभी एनपीए का यह स्तर नहीं दिखा था। यहां तक कि नोटबंदी के बाद की चुनौतीपूर्ण तिमाहियों में भी कैपिटल फस्र्ट (जब यह एक एनबीएफसी थी) का सकल एनपीए 3 फीसदी से कम रहा था।

First Published : March 1, 2021 | 11:55 PM IST