भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि वैश्विक वित्तीय माहौल में अनिश्चितता को देखते हुए घरेलू बैंकों को बुरे समय के लिए तैयार रहने के लिए ज्यादा पूंजी जुटाने पर ध्यान देना चाहिए। दास ने कहा कि बैंकों को कर्ज की बढ़ती मांग के मद्देनजर कोष जुटाने के लिए भी ज्यादा पूंजी की जरूरत होगी।
उन्होंने समाचार चैनल ज़ी बिज़नेस के साथ बातचीत में कहा, ‘हमें खराब समय के बारे में सोचना चाहिए और इसका मुकाबला करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहिए। हमें फंसे कर्ज पर ध्यान देना चाहिए और इस दिशा में श्रेष्ठ प्रयास करने चाहिए। इन सभी को ध्यान में रखते हुए बैंकों को ज्यादा पूंजी जुटानी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि कर्ज की मांग भी बढ़ रही है और बैंकों को इस बढ़ी मांग के लिए कोष जुटाने की खातिर अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी। आरबीआई गवर्नर ने सार्वजनिक और निजी बैंकों द्वारा पिछले दो साल में बाजार से पूंजी जुटाने के प्रयास की सराहना की और कहा कि समेकित स्तर पर बैंकों की पूंजी पर्याप्तता सहज स्थति में है।
केंद्रीय बैंक की जून 2022 की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट के अनुसार भारतीय बैंकिंग तंत्र में पूंजी और जोखिम भारांश वाली परिसंपत्तियों का अनुपात मार्च में 16.7 फीसदी रहा।
आरबीआई के नियमन के तहत बैंकों को पूंजी-जोखिम भारांश वाली संपत्तियों का अनुपात कम से कम 9 फीसदी पर बनाए रखने की जरूरत है। गैर-बैंक सहायक इकाइयों को संबंधित नियामक द्वारा निर्धारित पूंजी पर्याप्तता अनुपात बरकरार रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘अगर किसी विशेष क्षेत्र में बैंकों या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अत्यधिक कर्ज दिया जाता है तो उस पर नजर रखी जाती है। और ऐसा होने पर हम उसका विश्लेषण करते हैं और इस बारे में रिपोर्ट भी मांग सकते हैं।’
आरबीआई की मौद्रिक नीति के उपायों की दिशा में बैंकिंग तंत्र पर असर के बारे में उन्होंने कहा कि बैंकों की जमा और उधारी दर के बीच अंतर अब कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग तंत्र से अतिरिक्त तरलता खींचने से बैंकों पर पूंजी जुटाने के लिए जमा दरों में बढ़ोतरी का दबाव बढ़ेगा। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 12 अगस्त तक बैंकों की उधारी वृद्धि सालाना आधार पर 15.3 फीसदी रही जबकि जमा में इस दौरान 8.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
दास ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है और अप्रैल-जून 2023 में यह घटकर 5 फीसदी रह सकती है। जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति चार माह में पहली बार 7 फीसदी से नीचे 6.7 फीसदी रही।
उन्होंने कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार काफी सुदृढ़ है। हालांकि डॉलर के मुकाबले रुपये में ज्यादा उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई को डॉलर की काफी बिकवाली करनी पड़ी है। इससे 26 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 3.007 अरब डॉलर घटकर 561.046 अरब डॉलर रहा।