सरकारी बैंकों को किसानों की कृषि ऋण राहत योजना के तहत बकाया लगभग 25,000 करोड़ रुपये के लिए अधिक का प्रावधान करना पड़ सकता है।
किसानों को पहले दो किस्तों का भुगतान 31 मार्च 2009 तक करना था। लेकिन बैंक अधिकारियों के अनुसार विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के घोषणापत्रों के कारण प्रतिक्रिया अच्छी नहीं रही। घोषणापत्रों में किसानों को लुभाने के लिए एक और ऋण माफी का वायदा किया जा रहा है।
इससे पहले साल 2008 के सितंबर में सरकार ने बैंकरों के निवेदन पर कृषि ऋण राहत योजना के तहत पुनर्भुगतान की अवधि छह महीने के लिए बढ़ा दी थी। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पुनर्भुगतान के लिए संघर्ष कर रहे किसानों ने अपने ऋण चुकाने की निर्धारित अवधि बढ़ाने का आग्रह किया था। पूर्वनिर्धारित अवधि नई फसल चक्र के साथ मेल नहीं खा रही थी।
हालांकि, अब जब आम चुनाव सिर पर हैं, इस बात की संभावना काफी कम है कि सरकार बैंकों की राहत के लिए कोई कदम उठाएगी। आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर के अंत में 60,00,000 लाख किसानों, जिनके पास 5 एकड़ से अधिक जमीन है, पर 32,000 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। अगर किस्त अदा करने की तारीख तक बकाये कर्ज की अदायगी नहीं की जाती तो नियमों के अनुसार बैंकों को कृषि ऋण को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति घोषित करनी चाहिए।
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के एक अधिकारी ने कहा, ‘अगस्त-सितंबर में सरकार ने पुनर्भुगतान की अवधि बढ़ाने का निर्णय लिया था क्योंकि किसानों के लिए यह खेती में निवेश करने का समय था। इसलिए खातों के लिए प्रावधान करने की जगह इनका नवीकरण मानक परिसंपत्ति के रूप में किया गया था। लेकिन, इस समय पुनर्भुगतान की अवधि बढ़ाए जाने की संभावना काफी कम है और इसलिए बैंकों को बकाये ऋण के लिए प्रावधान करने की जरूरत होगी।’
बैंक ऑफ इंडिया की बात करें तो इस योजना के अंतर्गत 85,000 खाते हैं और दी गई ऋण की राशि 888 करोड़ रुपये है। बैंक के एक अधिकारी ने बताया, ‘आधा से अधिक बकाया ऋण का भुगतान अभी नहीं किया गया है। नियमों के अनुसार, ऋण चुकाने के लिए एक महीने की ग्रेस पीरियड होती है जो 30 अप्रैल तक की है। इसके बाद अगर परिस्थितियों में सुधार नहीं होता है तो हमें बकाये ऋण के लिए प्रावधान करना होगा।’
इसी तरह, कृषि ऋण माफी योजना के अंतर्गत यूनियन बैंक के पास 82,500 खाते हैं और दिया गया कुल ऋण 900 करोड़ रुपये का है। बैंक के एक अधिकारी ने बताया ‘अभी तक हम 300 करोड़ रुपये की उगाही करने में सफल रहे हैं।’
लेकिन देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक का अनुभव इससे अलग है। संपर्क करने पर भारतीय स्टेट बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि 70 प्रतिशत खाताधारकों ने अपनी बकाया राशि के क्लियरेंस के लिए स्वीकृति पत्र दिया है जो भविष्य में ऋण लेने के लिए आवश्यक है।
उन्होंने कहा, ‘ऋण राहत योजना के अंतर्गत सात लाख खाते हैं और 5,200 करोड़ रुपये बकाया है। दो लाख किसान अपने बकाये के 75 फीसदी का भुगतान कर चुके हैं। इसलिए, प्रतिक्रिया सकारात्मक रही है।’ हालांकि, अधिकारी ने शेष बचे पांच लाख खातों की स्थिति की जानकारी देने से मना कर दिया।
संशोधित योजना के तहत किसानों को ऋण की पहली किस्त मार्च में देना था जबकि पहले यह अंतिम तिथि सितंबर की थी। फरवरी 2008 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने किसानों के लिए 60,000 करोड़ रुपये की कृषि ऋण माफी और राहत योजना की घोषणा की थी।
इस योजना के तहत पांच एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों को ऋण का केवल 75 फीसदी ही चुकाना था। सरकार शेष 25 प्र्रतिशत या 25,000 करोड़ रुपये जो भी अधिक हो को माफ कर रही थी। पहली किस्त पिछले साल सितंबर में देनी थी, दूसरी मार्च 2009 और तीसरी जून 2009 में।
…कर्ज की उलझनें
किसानों को ऋणों की पहली दो किस्तों का भुगतान 31 मार्च 2009 तक करना था
बैंक के उनसार किसानों ने ऋणों के भुगतान को लेकर अभी तक कोई तेजी नहीं दिखाई है
सितंबर 2008 में सरकार ने पुनर्भुगतान की अवधि छह महीने बढ़ा दी थी