देश में वाणिज्यिक बैंकों को अक्टूबर-दिसंबर 2021 तिमाही में अपने परिसंपत्ति गुणवत्ता रुझान में सुधार लाने और फंसे कर्ज पर नियंत्रण बरकरार रखने में लगातार मदद मिली। बैंकों को मजबूत वसूली और परिसंपत्ति वर्गीकरण के उन्नयन से मदद मिली है।
28 सूचीबद्घ बैंकों ने मुनाफे में सुधार दर्ज किया और सालाना आधार पर इनका शुद्घ लाभ 64.1 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 21.5 प्रतिशत बढ़ा। यह खासकर प्रावधानों और आकस्मिक खर्चाों में आई गिरावट की वजह से संभव हुआ। वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में शुद्घ ब्याज आय (एनआईआई) 1.38 लाख करोड़ रुपये थी, जो सालाना आधार पर 9.7 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 5.9 प्रतिशत बढ़ी। हालांकि अन्य आय कुछ नरम पड़कर 52,261 करोड़ रुपये रह गई, जो सालाना आधार पर 3.1 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 6.5 प्रतिशत घट गई, क्योंकि बॉन्ड प्रतिफल में में कमजोरी दर्ज की गई।
तीसरी तिमाही के लिए अपनी आय घोषित कर चुके बैंकों में से ज्यादातर ने कम सकल एवं शुद्घ एनपीए अनुपात दर्ज किए और फंसे ऋण प्रावधान में बड़ी गिरावट दर्ज की।
इन 28 बैंकों के लिए, सकल एनपीए दिसंबर 2021 में तिमाही आधार पर 3.5 प्रतिशत तक घटकर 7.44 लाख करोड़ रुपये रह गया। हालांकि यह दिसंबर 2020 के मुकाबले 1.5 प्रतिशत तक ज्यादा है। पिछले साल, सर्वोच्च न्यायालय की रोक की वजह से बैंकों पर फंसे कर्ज की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा था। पिछले दशक की शुरुआत में तेजी के बाद से बैंकों की सकल एनपीए में गिरावट शुरू हो गई और मार्च 2018 में यह चरम पर पहुंच गई थी और तब यह स्तर 11.5 प्रतिशत पर पहुंच गया था।
आरबीआई के आंकड़े के अनुसार, सितंबर 2021 के अंत में सकल एनपीए अनुपात घटकर 6.9 प्रतिशत रह गया। विश्लेषकों का कहना है कि दिसंबर तिमाही में यह आंकड़ा अैर घटने की संभावना है।
आशिका स्टॉक ब्रोकिंग में शोध प्रमुख (इंस्टीट्यूशनल इक्विटी) आशुतोष मिश्रा ने कहा, ‘सभी बैंकों में, हमने देखा है कि ताजा फंसे कर्ज में कमी आई है और सकल एवं गैर-निष्पादन अनुपात में सुधार आया है। प्रावधान और आकस्मिक खर्च अनुपात वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 40.2 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 12.6 प्रतिशत तक घटा है।’ मिश्रा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ऋण लागत तिमाही आधार पर भी नीचे आई है। यह पिछली तीन-चार तिमाहियों से बैंकिंग व्यवस्था के लिए घटी है।’
उदाहरण के लिए, एसबीआई के लिए तीसरी तिमाही में ताजा फंसे कर्ज तिमाही आधार घटकर 2,334 करोड़ रुपये रह गए, जबकि दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 4,176 करोड़ रुपये और पहली तिमाही में 15,666 करोड़ रुपये था।
कई प्रमुख बैंकों ने तिमाही के दौरान मजबूत परिचालन आय भी दर्ज की, हालांकि कुछ को गैर-ब्याज आय के मोर्चे पर निराशा भी हाथ लगी। इसकी वजह यह थी कि बॉन्ड प्रतिफल में कमी आई, जिससे आय प्रभावित हुई। इसके अलावा दिवालिया संबंधित अदालतों से जुड़े मामलों से ज्यादा वसूली नहीं हुई। यह पिछली तिमाही से विपरीत है, जब दीवान हाउसिंग फाइनैंस के समाधान से रिकवरी दर्ज की गई थी।