केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि बैंकों को ग्राहकों के और अधिक अनुकूल बनना होगा, विशेष रूप से उनके साथ जुडऩे और उनकी सेवा करने में। बैंक अनुचित जोखिम उठाए बिना ऐसा कर सकते हैं।
स्टार्टअप को परेशानी रहित ऋण के संबंध में एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा इस बात को कायम रखा है कि ‘तुम्हारे पीछे मैं जमानत हूं, कृपया ऋण लें, आपको जमानत देने की जरूरत नहीं है।’ उन्होंने आज मुंबई में बड़े करदाताओं, पेशेवरों और उद्योग के हितधारकों के साथ बजट उपरांत बातचीत के दौरान कहा कि ‘मुद्रा’ और ‘स्वानिधि’ योजनाओं के पीछे यही सोच है और ऋण अदा करने में प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि स्टार्टअप को अक्सर ही इक्विटी की जरूरत रहती है। जहां तक ऋण की बात है, तो बैंकों को मदद करने में बहुत प्रसन्नता होती है, बशर्ते उनके पास पर्याप्त इक्विटी हो। ऋण गारंटी योजनाओं के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
वित्त पोषण में परेशानी के संबंध में चिंताओं से निपटने के लिए बैंक एंड-टु-एंड प्रक्रिया (निर्णय लेने के लिए आवेदन दाखिल करना) को डिजिटल बना रहे हैं। खारा ने कहा कि यह जीवन को और अधिक आसान बना देगा।
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा कि बैंकों और कॉरपोरेट क्षेत्र दोनों की बैलेंस शीट में सुधार होना शुरू हो चुका है। सरकार चाहेगी कि आने वाले सालों में वृद्धि दर इतनी अधिक हो जाए कि इससे अर्थव्यवस्था को मदद मिल सके।
बजाज ने कहा कि एसबीआई को अर्थव्यवस्था में ऋण को बढ़ावा देने, नेतृत्व करने और एमएसएमई तथा बड़े कारोबारों की चिंताओं से निपटन के लिए कुछ व्यवस्था पर काम करने की जरूरत है।