वित्त वर्ष 2021 में इक्विटी पूंजी बाजार में खूब सौदे होने से निवेश बैंकरों को इस साल मोटा बोनस मिलने के आसार हैं। पिछले वित्त वर्ष में क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी), इनविट, रीट्स और राइट इश्यू के जरिये रिकॉर्ड पूंजी जुटाई गई।
उद्योग से जुड़े लोगों का अनुमान है कि बोनस बैंकरों के सालाना वेतन का 50 से 75 फीसदी तक रहने के आसार हैं। सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले निवेश बैंकरों का बोनस सालाना वेतन का 100 से 125 तक भी रह सकता है। पिछले साल बोनस की मात्रा पर महामारी का असर पड़ा था क्योंकि बैंकों ने धन जुटाने के कमजोर परिदृश्य के बीच नकदी बचाने की कोशिश की। एक वरिष्ठ निवेश बैंकर ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘पिछले साल महामारी से पैदा अनिश्चितता के कारण बोनस काटा, रोका या स्थगित किया गया था। इससे बैंकरों को उससे कम कम बोनस मिला, जिसके वे हकदार थे। हालांकि यह साल अलग रहेगा।’ एक अन्य निवेश बैंकर ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘वित्त वर्ष 2021 में निवेश बैंकिंग के विभिन्न खंडों में फीस एवं राजस्व अच्छा रहा है। इससे शीर्ष निवेश बैंकों में बोनस सालाना वेतन का औसतन 50 से 75 फीसदी रह सकता है और बेहतरीन प्रदर्शन करने वालों को और अधिक बोनस मिल सकता है।’
उन्होंने कहा कि क्यूआईपी की ज्यादा तादाद और एक-दो महीने में प्रक्रिया पूरी होने की अल्प अवधि का मतलब है कि बैंकरों को वित्त वर्ष 2021 में क्यूआईपी से आईपीओ की तुलना में ज्यादा कमाई हुई।
आम तौर पर बोनस सौदों की तादाद और प्राप्त फीस के अनुपात में होता है। बैंकर जिस तरह के सौदों का हिस्सा थे और उन्होंने जो भूमिका निभाई, उनकी भी प्रमुख भूमिका रही है। बैंकों को आईपीओ के प्रबंधन में फीस के रूप में 2-3 फीसदी और क्यूआईपी के प्र्रबंधन में 1.5 से 2 फीसदी हिस्सा मिलता है। इनविट या रीट्स की फीस भी आईपीओ के बराबर होती है। बाइबैक के हर सौदे में एक से दो करोड़ की कमाई होती है। फीस निर्गम के आकार और निर्गम का प्रबंधन कर रहे बैंकरों की संख्या पर निर्भर करती है।
वर्ष 2020-21 में पहली तिमाही कमजोर रही क्योंकि महामारी की वजह से सौदे रुक गए थे। मगर वित्त वर्ष की शेष तिमाहियों में सौदों की रफ्तार तेज रही। क्यूआईपी, इनविट/रीट्स और राइट इश्यू के जरिये जुटाया गया धन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जबकि आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये जुटाई गई राशि पिछले 11 वित्त वर्षों में तीसरी सबसे अधिक रही। प्रत्येक आईपीओ सौदे का आकार औसतन 1,042 करोड़ रुपये रहा।
प्राइमडेटाबेस डॉट कॉम के आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय कंपनियों ने सार्वजनिक इक्विटी बाजारों के जरिये अब तक की सबसे अधिक 2.5 लाख करोड़ रुपये की राशि जुटाई, जो पिछले वर्ष में 1.47 लाख करोड़ रुपये की राशि से 70 फीसदी अधिक थी। इसमें ताजा जुटाई गई पूंजी 1.36 लाख करोड़ रुपये थी, जो कुल राशि की 73 फीसदी थी।