वित्त वर्ष 2025 की पहली मौद्रिक समीक्षा में रीपो दर घटाए जाने की संभावना नहीं है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के सर्वेक्षण में शामिल सभी 10 प्रतिभागियों की राय है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति दर और रुख को अपरिवर्तित रख सकती है। आरबीआई 5 अप्रैल को मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा।
केंद्रीय बैंक ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर को 250 आधार अंक की बढ़ोतरी के साथ 6.5 फीसदी तक पहुंचा दिया था। उसके बाद वित्त वर्ष 2024 में 6 बार नीति की समीक्षा हुई मगर रीपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वित्त वर्ष 2024 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि का अनुमान बढ़ाया है। साथ ही लगातार तीन तिमाही तक जीडीपी में 8 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है और फरवरी, 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.1 फीसदी रही है। इससे संकेत मिलता है कि मौद्रिक नीति समिति अप्रैल 2024 की बैठक में रीपो दर और रुख पर यथास्थिति बनाए रख सकती है। इक्रा को लगता है कि अगस्त 2024 से पहले नीति पर रुख बदलने की संभावना नहीं है।’
वर्ष की शुरुआत में अप्रत्याशित रूप से उच्च मुद्रास्फीति के संकेतों के बावजूद अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अधिकारियों ने 2024 में तीन मौकों पर दर में कटौती का इरादा जताया था। उन्होंने 2025 में दर में कटौती की उम्मीद जताई है, साथ ही मुद्रास्फीति के अनुमान को भी थोड़ा बढ़ाया जा सकता है। फेडरल रिजर्व ने लगातार 5वीं बैठक में मानक ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है।
देश में मुख्य मुद्रास्फीति आरबीआई के सहज दायरे यानी 2 से 6 फीसदी के बीच बनी हुई है। फरवरी में मुद्रास्फीति थोड़ी बढ़कर 5.09 फीसदी रही, जो जनवरी में 5.1 फीसदी थी। खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी से मुद्रास्फीति में इजाफा हुआ है।
बजट से पहले अपनी आर्थिक समीक्षा में वित्त मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2025 में देश की अर्थव्यवस्था करीब 7 फीसदी की दर से बढ़ेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने जनवरी के अपने विश्व आर्थिक अनुमान में कहा था कि 2024 और 2025 में भारत की वृद्धि दर 6.5 फीसदी के स्तर पर मजबूत दिख रही है।
आईएमएफ ने दोनों साल के लिए वृद्धि अनुमान में 0.2 फीसदी का इजाफा कर दिया है, जिससे पता लगता है कि देश के भीतर मांग मजबूत है। अधिकतर प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि आरबीआई वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में दर घटाना शुरू कर देगा।
आरबीआई बैंक में अर्थशास्त्री अचला पी जेठमलानी ने कहा, ‘दर में कटौती की शुरुआत वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में होगी। आने वाले आंकड़ों, मौसम की स्थिति और वैश्विक बाजारों में दर कटौती चक्र की नीति निर्णय में अहम भूमिका होगी।’
सभी प्रतिभागियों ने एकमत से कहा कि आरबीआई नीतियों मे ढील को वापस लेने के रुख पर डटा रहेगा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने फरवरी की बैठक में कहा था कि रुख दरों से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा था कि राहत और ढिलाई वापस लेने के मौद्रिक नीति समिति का रुख इसलिए बना हुआ है क्योंकि दर कटौती का पूरा असर नहीं हुआ है और मुद्रास्फीति 4 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है, जबकि समिति इसे लक्ष्य के भीतर रखने का भरपूर प्रयास कर रही है।
पीएनबी गिल्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विकास गोयल ने कहा, ‘गवर्नर के तर्क वाली स्थितियां आज भी बनी हुई हैं। ऐसा नहीं है कि उधारी दरें बढ़ गई हैं। वे तो वहीं बनी हुई हैं मगर जब तक उनका मन और तर्क नहीं बदलते तब तक रुख में भी किसी तरह का बदलाव नहीं होगा।’