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पीसीए से 2-3 महीनों में हटाया जा सकता है सेंट्रल बैंक आफ इंडिया

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 10:38 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे में बचे सार्वजनिक क्षेत्र के अंतिम बैंक सेंट्रल बैंक आफ इंडिया से अगले 2-3 महीने में प्रतिबंध हटाए जा सकते हैं।

एक अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) द्वारा मौजूदा पीसीए मानकों को पूरा करने के बाद रिजर्व बैंक उसे इस वित्त वर्ष के अंत तक पीसीए से हटा देगा। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक प्रदर्शन की जांच कर रहा है।

सार्वजनिक क्षेत्र के इस बैंक को कर्ज अनुपात बढऩे व संपत्तियों पर ऋणात्मक रिटर्न के कारण जून 2017 में पीसीए ढांचे के तहत डाला गया था।  मार्च 2017 के अंत तक इसका एनपीए 10.2 प्रतिशत था और आरओए  0.8 प्रतिशत ऋणात्मक था।

उसके बाद से सरकारी बैंक ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया है और 2020-21 के सालाना रिपोर्ट में कहा है कि वह पीसीए ढांचा मानकों का पालन कर रहा है और साथ ही एनपीए घटाने और मुनाफे में सुधार के लिए बैंक ने कार्ययोजना बनाई है। इसका शुद्ध एनपीए सितंबर 2021 में गिरकर 4.51 प्रतिशत रह गया, जो जून तिमाही में 5.08 प्रतिशत था। बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात भी सितंबर तिमाही में सुधरकर 15.38 प्रतिशत हो गया है, एक तिमाही पहले 14.88 प्रतिशत और एक साल पहले 12.34 प्रतिशत था।

रिजर्व बैंक ने नवंबर में पीसीए के दिशानिर्देशों में सुधार किया था और रिटर्न ऑन असेट्स (आरओए) के मानक को बाहर कर दिया था, जिसकी वजह से कर्जदाताओं पर प्रतिबंध लग रहे थे। सेंट्रल बैंक आफ इंडिया सभी संशोधित मानकों का पालन कर रहा है।

पीसीए से बाहर निकलने के बाद बैंक  के निजीकरण की राह साफ हो सकेगी, जैसा कि नीतिगत थिंक टैंक नीति आयोग ने सुझाव दिया है। सरकार ने केंद्रीय बजट में 2 सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी।  नीति आयोग ने सेंट्रल बैंक आफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक के निजीकरण की सिफारिश की है।

डाली जाएगी पूंजी

अधिकारी ने कहा कि सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक में सरकार इस वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में पूंजी डाल सकती है। इससे इन सरकारी कर्जदाताओं को नियामकीय जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार ने चल रहे वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों में पूंजी डालने के लिए 20,000 करोड़ रुपये का बजट रखा है।

पिछले वित्त वर्ष में 20,000 करोड़ रुपये 5 सरकारी बैंकों में डाले गए थे, जिसमें से 11,500 करोड़ रुपये यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया को मिले थे।

First Published : December 24, 2021 | 9:00 PM IST