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ब्याज माफी पर कोर्ट ने मांगी समिति की रिपोर्ट

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 11:04 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को आज कोविड-19 संबंधित कर्ज पुनर्गठन पर केवी कामत समिति की सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए कहा। अदालत के इस रुख से कर्ज मॉरेटोरियम पर ब्याज माफी से संबंधित मामले में नया मोड़ आ सकता है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह का पीठ अब इस मामले में 13 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। उस समय तक केंद्र और आरबीआई छोटे कर्जदारों के लिए चक्रवृद्घि ब्याज माफ करने की सिफारिशों को अमल में लाने के लिए जरूरी योजना तैयार कर अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करेंगे।
आरबीआई ने दिग्गज बैंकर केवी कामत की अध्यक्षता में दबाव वाले कर्ज के समाधान का खाका तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कोविड-19 से जूझ रहे 27 क्षेत्रों के कर्ज से निपटने के लिए बैंकों की खातिर मानदंड तैयार किए हैं। आरबीआई ने पिछले महीने ही इस रिपोर्ट को स्वीकृति दी है।
उच्चतम न्यायालय ने आरबीआई और केंद्र सरकार से रियल एस्टेट संगठनों तथा बिजली उत्पादकों की चिंता पर प्रतिक्रिया मांगी है। इसके साथ ही अदालत ने मॉरेटोरियम अवधि के बकाये पर चक्रवृद्घि ब्याज माफ करने के केंद्र सरकार के ताजा रुख पर इंडियन बैंक एसोसिएशन से राय मांगी है। इससे पहले वित्त मंत्रालय ने हलफनामा देकर कहा था कि वह छोटे कर्जदारों के चक्रवृद्घि ब्याज माफ करने की लागत वहन करने के लिए तैयार है। 2 करोड़ रुपये से कम कर्ज वाले चक्रवृद्घि ब्याज माफी के दायरे में आएंगे, चाहे उन्होंने मॉरेटोरियम का लाभ लिया हो या नहीं। यह मार्च से अगस्त, 2020 तक की बकाया किस्तों पर
लागू होगी।
रियल एस्टेट संगठनों का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने केंद्र के हलफनामे पर जवाब देने के लिए अदालत से अतिरिक्त समय की मांग की। केंद्र सरकार ने कहा कि मॉरेटोरियम अवधि के दौरान पूरे कर्ज पर ब्याज माफ करने की लागत करीब 6 लाख करोड़ रुपये आएगी और इसे वहन करना अधिकतर बैंकों के लिए व्यवहार्य नहीं होगा।
वरिष्ठ वकील आर्यमा सुंदरम ने कहा कि कर्ज माफी पर केंद्र के हलफनामे में बिजली उत्पादकों और रियल एस्टेट क्षेत्र की चिंता का ध्यान नहीं रखा गया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई द्वारा तैयार कर्ज पुनर्गठन योजना का लाभ इन क्षेत्रों को नहीं मिलेगा। अदालत ने कहा, ‘हम हलफनामे का जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय देते हैं। हम हर पहलू पर विचार करेंगे। मामला संतुलन का है। बैंकों के रुख का भी आपको जवाब देना होगा।’
जब पूछा गया कि बैंक इस योजना को कैसे और कब लागू करेंगे तब आईबीए की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि आरबीआई द्वारा इस बारे में परिपत्र जारी होने के बाद बैंक 24 घंटे के अंदर ऐसा करने में सक्षम हो सकेंगे।

First Published : October 5, 2020 | 11:09 PM IST