सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की कर्ज की मांग जून, 2021 में महामारी के पहले के स्तर के करीब पहुंच गई है। सिडबी ट्रांसयूनियन सिबिल रिपोर्ट से पता चलता है कि कोविड-19 के संक्रमण की दूसरी लहर के कारण अप्रैल और मई महीने में कर्ज के लिए पूछताछ में गिरावट के बाद जून में स्थिति काफी सुधरी है।
कर्ज के लिए पूछताछ के सूचकांक की रीडिंग मार्च के 139 से गिरकर अप्रैल में 67 प्रतिशत हो गया, उसके बाय यह मई में बढ़कर 75 पहुंचा और जून में यह 95 पर पहुंच गया। संक्रमण को रोकने के लिए शहरों में लॉकडाउन के बाद जून में एमएसएमई की ओर से कर्ज की मांग (कर्ज के लिए पूछताछ के रूप में मापी गई) बढ़ी।
सरकार के गारंटी कवर से भी इसे बल मिला और कर्जदाताओं ने मार्च-2021 में समाप्त वित्त वर्ष (2020-22 या वित्त वर्ष 21) में एमएसएई को 9.5 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिए। यह वित्त वर्ष 2020 के 6.8 लाख करोड़ रुपये की तुलना में ज्यादा है।
वित्त वर्ष 21 में एमएसएमई के कर्ज को सरकार की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम से भी मदद मिली, जिससे कर्जदाताओं को 100 प्रतिशत क्रेडिट गारंटी मिलती है।
सिडबी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिवसुब्रमण्यन रमन ने कहा कि ईसीएलजीएस ने इस क्षेत्र की पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत वृद्धि में अहम भूमिका निभाई है। इसकी वजह से एमएसएमई का बिजनेस सेग्मेंट बहाल हुआ है।
न्यू-टु-बैंक (एनटीबी) कर्ज फिर बहाल हुआ है, जो कोविड के पहले के स्तर पर आ गया है, जबकि एग्जिस्टिंग-टु-बैंक कर्ज भी तेज बना हुआ है। उन्होंने कहा कि हाल में स्वास्थ्य, यात्रा एवं पर्यटन क्षेत्र में राहत के अतिरिक्त कदमों से भी एमएसएमई क्षेत्र में कर्ज की उठान सुधरने की उम्मीद है।
अप्रैल, 2020 में कोविड के पहले के स्तर की तुलना में एनटीबी-एमएसएमई को कर्ज में 90 प्रतिशत की गिरावट आई थी और यह धीरे धीरे बढ़ते हुए मार्च-2021 में कोविड के पहले के स्तर से 5 प्रतिशत ज्यादा हो गया।
शहरी, कस्बाई और ग्रामीम इलाकों में कर्ज वितरण की धारणा समान रही है और जून 2020 में इसमें महानगरों की तुलना में तेजी रही है। कुल मिलाकर ईसीएलजीएस के हस्तक्षेप से सभी इलाकों को लाभ मिला है। हाल के महीनों में सभी क्षेत्रों में सुधार हुआ है और वे कोविड के पहले की स्थिति में पहुंच गए हैं।
एमएसएमई पोर्टफोलियो के लिए गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) दर कर्ज की ज्यादा मांग के कारण स्थिर है। एमएसएमई क्षेत्र में कर्ज का प्रवाह बेहतर रहा है और सरकारक व नियामक की ओर से विभिन्न तरह का समर्थन मिला है। एमएसएमई के लिए एनपीए दर मार्च, 2021 में 12.5 प्रतिशत थी, जो मार्च, 2020 में 12.6 प्रतिशत थी।
सिबिल ने कहा है कि बहरहाल मार्च, 2021 के लिए एनपीए दरें दिसंबर 2020 (12 प्रतिशत) की तुलना में ज्यादा है। निजी बैंकों की एनपीए दर सितंबर, 2020 से मार्च, 2021 तक लगभग स्थिर रही और यह 6.1 से 6.2 प्रतिशत के बीच बनी रही। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एनपीए दर दिसंबर, 2020 में घटकर 16.1 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर, 2020 में 17 प्रतिशत थी और एक बार फिर यह मार्च, 2021 में बढ़कर 17 प्रतिशत पर पहुंच गई।
वित्तीय कंपनियों की एनपीए दरों में तेज वृद्धि हुई है और यह सितंबर, 2020 के 9.7 प्रतिशत से बढ़कर मार्च, 2021 में 11.1 प्रतिशत हो गई है। इसमें कहा गया है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के एनपीए में बढ़ोतरी की एक वजह एमएसएमई के कर्ज में वृद्धि में मंदी है।
रमन ने कहा कि एमएसएमई को कर्ज दिए जाने में तेजी बरकरार रखते हुए कर्जदाताओं को लगातार अपने क्रेडिट पोर्टफोलियो की सेहत पर नजर रखने की जरूरत है।