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अलग से रिजर्व फंड बनाए डीबीएस बैंक इंडिया: कोर्ट

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 8:44 PM IST

मद्रास उच्च न्यायालय ने डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड से कहा है कि वह अलग से रिजर्व फंड बनाए और अगर अगर अदालत फैसला लेती है तो लक्ष्मी विलास बैंक के शेयरधारकों को क्षतिपूर्ति दी जाएगी। न्यायमूर्ति विनीत कोठारी और न्यायमूर्ति एमएस रमेश के पीठ ने शुक्रवार को कोलकाता की एयूएम कैपिटल मार्केट की याचिका पर अंतरिम आदेश जारी किया। वरिष्ठ वकील पीएस रमन और अरविंद दातार कंपनी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उन्होंंने डीबीएस बैंक के साथ लक्ष्मी विलास बैंक के विलय पर रोक की मांग की, जो 27 नवंबर से प्रभावी हुआ। एयूएम के पास लक्ष्मी विलास बैंक की 0.3860 फीसदी हिस्सेदारी है।
विलय पर रोक से इनकार करते हुए अदालत ने कहा कि डीबीएस बैंक की तरफ से लक्ष्मी विलास बैंक के शेयरधारकों के खिलाफ कोई भी नुकसानदायक कदम अदालत की अनुमति के बिना नहीं उठाया जाएगा।
अदालत ने डीबीएस बैंक से इस मामले में अंडरटेकिंग देने को कहा कि अगर अदालत बैंक को लक्ष्मी विलास बैंंक के शेयरधारकोंं को नकद मुआवजा देने का निर्देश दे तो वह लक्ष्मी विलास बैंक के शेयरधारकों को मुआवजा देगा।
इस मामले में अदालत ने डीबीएस बैंक को अपने खाते में अलग रिजर्व फंड लक्ष्मी विलास बैंक के शेयरों की फेस वैल्यू के मुताबिक बनाने को कहा और अगले आदेश तक इसे बरकरार रखने को निर्देश दिया। इस आदेश में अदालत ने पाया कि लक्ष्मी विलास बैंक के शेयरों की बुक वैल्यू को शून्य करना या नकारात्मक करना एक ऐसी कवायद है जो सार्वजनिक तौर पर नहीं हुुआ है और एयूएम कैपिटल समेत सभी शेयरधारक इसकी वास्तविक वजह से अवगत नजर नहींं आ रहे हैं।
अदालत ने कहा, उनके हितोंं की सुरक्षा कानूनी तरीके से होनी चाहिए जबतक कि बादी इसका प्रत्युत्तर नहींं देते और अदालत संतुष्ट नहीं होती और याचिका का निपटारा नहींं कर देती क्योंकि याची ने प्रथम दृष्टया मामला सामने रखा है।
अदालत ने पाया कि विलय के मसौदा और मोरेटोरियम व बोर्ड पर अधिकार करने का काम काफी तेजी से हुआ है। महज एक हफ्ते (17-25 नवंबर) में धारा 45 के तहत सारा काम हुआ, जिससे लक्ष्मी विलास बैंक के शेयरधारकों के हाथ में कुछ नहीं रहा और उनका अधिकार व निवेश पूरी तरह से बट्टे खाते में डाल दिया गया और वह भी उन्हें भरोसे में लिए बिना।
अदालत ने कहा, इसकी न्यायिक समीक्षा की दरकार है और इसी वजह से हमने याचिका स्वीकार की। इसके साथ ही अदालत ने आरबीआई और डीबीएस बैंक के उस अनुरोध को ठुकरा दिया कि अंतरिम आदेश तीन हफ्ते तक स्थगित रखा जा सकता है।

First Published : November 30, 2020 | 12:17 AM IST