प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत एक साल में (दिसंबर 2019 से दिसंबर 2020) 3.82 करोड़ से ज्यादा लाभार्थी जोड़े गए। योजना की वेबसाइट से यह जानकारी मिलती है। बहरहाल इस अवधि के दौरान लाभार्थियों को केवल 89 लाख रुपये कार्ड जारी किए गए।
यह ऐसे समय में हुआ है, जब सरकार रुपे कार्ड पर बहुत जोर दे रही है और ग्राहकों को इसे पहले विकल्प के रूप में मुहैया करा रही है। पीएमजेडीवाई की वेबसाइट के मुताबिक पीएमजेडीवाई के तहत लाभ में बैंक से नहीं जुड़़े व्यक्ति का एक मूल बचत खाता खोलना शामिल है, जिसमें न्यूनतम राशि रखने की अनिवार्यता नहीं होती है। साथ ही इन खाताधारकों को रुपे डेबिट कार्ड भी मुहैया कराया जाता है।
इस कार्ड का इस्तेमाल सभी एटीएम, प्वाइंट आफ सेल (पीओएस) टर्मिनलों से धन निकासी और ई-कॉमर्स वेबसाइट से लेन देन में किया जा सकता है। इसमें व्यक्ति की दुर्घटना से मृत्यु और पूरी तरह अक्षमता होने पर 2 लाख रुपये तक का कवरेज मुहैया कराया जाता है। रुपे का परिचालन नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन आफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा किया जाता है, जो भारत का घरेलू कार्ड नेटवर्क है। भारतीय बाजार में इसकी प्रतिस्पर्धा वीजा और मास्टरकार्ड जैसे वैश्विक प्रतिस्पर्धियों से होती है। पीएमजेवाई वेबसाइट पर मौजूद सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 30 दिसंबर, 2020 तक केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी वित्तीय समावेशन कार्यक्रम (पीएमजेडीवाई) के तहत कुल 41.58 लाभार्थी थे। इन खातों में जमा 1.35 लाख करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक है। बहरहाल 51.58 करोड़ लाभार्थियों में से सिर्फ 30.62 करोड़ को ही रुपे कार्ड जारी किया गया है। एक साल पहले 25 दिसंबर, 2019 तक पीएमजेडीवाई के लाभार्थियों की संक्या 37.76 करोड़ थी, जबकि 29.73 करोड़ लोगों को रुपे कार्ड जारी किए गए थे। इसी तरह से एक साल पहले (26 दिसंबर, 2018 तक) कुल लाभार्थी 33.656 करोड़ थे, जबकि 26.871 करोड़ रुपे कार्ड जारी किए गए थे। इस तरह से साफ है कि हर साल यह अंतर बढ़ रहा है।
पेनीयरबाई के संस्थापक आनंद कुमार बजाज के मुताबिक नवंबर 2019 में करीब 15 करोड़ रुपे कार्ड स्वीकार्य व्यवस्था के बाहर हो गए क्योंकि उनमें चिप और पिन अनुपालन व्यवस्था नहीं थी। इस तरह से अंतर बढऩे की एक व्याख्या यह हो सकती है। बजाज का कहना है कि रुपे डेबिट कार्ड से बैंकों की आमदनी कम हुईहै क्योंकि सरकार ने मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) से दूर रहने का फैसला किया है। ऐसे में बैंक ऊहापोह में हैं कि उन्हें कब रुपे डेबिट कार्ड जारी करना चाहिए।