आरबीएल बैंक में अपने निवेश को लेकर परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां तत्काल कोई फैसला लेने की हड़बड़ी में नहीं हैं। इक्विटी व हाइब्रिड म्युचुअल फंडों का आरबीएल बैंंक में करीब 2,000 करोड़ रुपये का निवेश है और उद्योग के अधिकारियों को भरोसा है कि इस समय बैंंक में किसी तरह की वित्तीय अनियमितता नहीं हुई है। सोमवार को आरबीएल बैंंक का शेयर बीएसई पर 18.32 फीसदी टूटकर 140.90 रुपये पर बंद हुआ। इस शेयर में बिकवाली इसलिए हुई क्योंकि बैंंक के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी विश्ववीर आहूजा छुट्टी पर चले गए और आरबीआई ने बैंक के निदेशक मंडल में एक अधिकारी की नियुक्ति की थी।
एक अग्रणी फंड हाउस के फंड मैनेजर ने कहा, आज इस शेयर को लेकर काफी शोर-शराबा और उतारचढ़ाव देखने को मिला। हम तीसरी तिमाही के नतीजे तक देखो व इंतजार करो की रणनीति अपनाएंगे और इसके बाद ही पोर्टफोलियो में बदलाव पर विचार करेंगे। जब नतीजे पर स्पष्टता मिल जाएगी तब हम इस शेयर पर सही फैसला ले पाएंगे।
वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि करीब 94 इक्विटी योजनाओं व हाइब्रिड योजनाओं के जरिए आरबीएल बैंक में नवंबर आखिर तक 1,996.34 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। यह मानते हुए कि नवंबर के आखिर से एमएफ के निवेश में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है, सोमवार को शेयर कीमतों में हुई गिरावट से आरबीएल बैंक में एमएफ के संयुक्त निवेश में 365 करोड़ रुपये की कमी आई।
नवंबर के आखिर में एचडीएफसी मिडकैप ऑपरच्युनिटीज का आरबीएल बैंक में 239.61 करोड़ रुपये निवेश था जबकि निप्पॉन इंडिया मल्टीकैप फंड व कोटक फ्लैक्सीकैप फंड का भी इसमें खासा निवेश है। कुछ आर्बिट्रेज फंड व एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों ने भी आरबीएल बैंक में निवेश किया है। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
एक अग्रणी फंड हाउस के सीईओ ने कहा, अभी हमें किसी तरह की वित्तीय अनियमितता नहींं दिख रही है। मुझे लगता है कि मौजूदा संकट सिर्फ नेतृत्व का मसला है और अगर राजीव आहूजा बैंक में बने रहते हैं तो मुझे नहीं लगता कि बैंक को और क्षति होगी। वास्तव में मेरा मानना है कि म्युचुअल फंड इस शेयर को निचले स्तर पर खरीदेंगे।
रविवार को आरबीएल बैंक के निदेशक मंडल ने राजीव आहूजा (बैंंक के मौजूदा कार्यकारी निदेशक) को अंतरिम प्रबंध निदेशक व सीईओ नियुक्त कर दिया था, जो नियामकीय व अन्य मंजूरी पर निर्भर करेगा।