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नीतिगत दरों में स्थिरता का अनुमान

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 6:17 AM IST

अर्थशास्त्रियों व बॉन्ड बाजार के हिस्सेदारों को विश्वास है कि 7 अप्रैल को मौद्रिक नीति में कोई बदलाव नहीं होगा और पूरे कैलेंडर वर्ष में यही स्थिति रहने की संभावना है। कोविड महामारी के नए सिरे से उभार और कुछ स्तर तक वृद्धि की रफ्तार पर बुरे असर की संभावना को देखते हुए ऐसी संभावना जताई जा रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने कई बार दोहराया है कि समावेशी रुख जब तक जरूरी है, बरकरार रखा जाएगा। और यह वित्त वर्ष 2021-22 में भी जारी रहेगा। साथ ही आंकड़ों पर केंद्रित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा मजबूत आंकड़ोंं की उपस्थिति के बगैर दरों के बारे में फैसले या रुख में बदलाव किए जाने की संभावना नहीं है। और ऐसी स्थिति में नकदी के लिए उठाए गए कदमों से इतर नीति अपनाते हुए पर्याप्त नकदी को लेकर बॉन्ड बाजार को आश्वासन जारी रखा जा सकता है।
इस वित्त वर्ष में पहली बार होने जा रही बैठक में तमाम महत्त्वपूर्ण नीतिगत कदम सामने आ सकते हैं। बहरहाल बिजनेस स्टैंडर्ड ने जिन 10 अर्थशास्त्रियों व बाजार विशेषज्ञों से बात की है, उन्हें दरों और रुख को लेकर यथास्थिति बरकरार रखे जाने की संभावना है।
महामारी के फिर से उभार और लॉकडाउन के भय के बावजूद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल में कहा था कि वृद्धि के अनुमान में 10.5 प्रतिशत से नीचे कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है, जिसका रिजर्व बैंक ने पहले अनुमान लगाया था।
बहरहाल महंगाई बढ़ी है, लेकिन लक्ष्य की सीमा में है। उपभोक्ता मूल्य आधारित महंगाई दर फरवरी में बढ़कर 5 प्रतिशत हो गया है, जो जनवरी में 4.1 प्रतिशत थी। ऐक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि नीतिगत दरों को लेकर कार्रवाई रोकी जाएगी, जबकि रुख समावेशी बना रहेगा। भट्टाचार्य ने कहा, ‘महंगाई दर ऊपर जाने का जोखिम हो सकता है, हालांकि यह महामारी के पहले हुई बढ़ोतरी जितना नहीं होगा। बहरहाल जून की पॉलिसी तक स्थिति सामान्य होने की संभावना दूर नजर आती है।’ उन्होंने कहा कि अगस्त से स्थिति सामान्य हो सकती है या संभव है कि यह अक्टूबर तक खिंच जाए।
बंधन बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सिद्धार्थ सान्याल ने कहा, ‘दरों व रुख में कुछ महीनों तक यथास्थिति बने रहने की संभावना है, भले ही धीरे धीरे महंगाई का दबाव बन रहा है।’  सान्याल ने कहा, ‘सरकार की भारी उधारी और कोविड के कारण आ रही अनिश्चितता के बीच रिजर्व बैंक की मुख्य चुनौती वित्तीय बाजारों की स्थिति यथावत बनाए रखने को लेकर होगी। वृद्धि की रिकवरी शुरुआती अवस्था में है, ऐसे में ब्याज दरें अहम हैं।’
क्वांटइको रिसर्च की संस्थापक शुभदा राव ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से  तमाम गणनाएं बिगड़ सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘अतिरिक्त नकदी खत्म करने के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं, वहीं हम उम्मीद करते हैं कि रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही तक दरें यथावत रखेगा।’  
फस्र्ट रैंड बैंक के ट्रेजरी के प्रमुख हरिहर कृष्णमूर्ति ने कहा कि बॉन्ड बाजार दरों या रुख में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘कोविड के मामलों में अचानक तेज बढ़ोतरी संभवत: एमपीसी को जीडीपी और संबंधित आंकड़ों में तेज बढ़ोतरी की उपेक्षा करने की संभावनाएं देगा।’
एलऐंडटी फाइनैंस ग्रुप में मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे ने कहा, ‘रिजर्व बैंक यह आश्वासन देना जारी रखेगा कि वह अनिश्चितकाल तक समावेशी बना रहेगा, क्योंकि कोविड की दूसरी लहर के कारण आर्थिक वृद्धि का परिदृश्य अनिश्चित है।’
कोटक महिंद्रा बैंक में वरिष्ठ अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि रिजर्व बैंक आसान सरकारी उधारी सुनिश्चित कर रहा है और अगर कोई बदलाव होता है तो इस पर बुरा असर पड़ सकता है।
इक्रा रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि इस वित्त वर्ष में औसत महंगाई दर 4 प्रतिशत से ऊपर बने रहने की संभावना है, ऐसे में 2021 तक रीपो रेट में स्थिरता रह सकती है।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘महंगाई का खतरा हकीकत है, क्योंकि प्रमुख महंगाई दर बढ़ रही है।’

First Published : April 5, 2021 | 12:12 AM IST