वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड को सरकार की प्रमुखताओं से अवगत कराया। यह केंद्रीय बजट 2021-22 के पेश होने के बाद बोर्ड की पहली बैठक थी।
रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि वित्त मंत्री ने रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की 587वीं बैठक को संबोधित किया और सदस्यों को बजट में महत्त्वपूर्ण पहल तथा सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में बताया।
इसमें कहा गया, ‘बजट पर वित्त मंत्री की सराहना करते हुए बोर्ड के सदस्यों ने सरकार के विचार के लिए कई सुझाव दिए।’
केंद्रीय निदेशक मंडल ने 2021-22 के बजट की प्रस्तुति के बाद वर्तमान आर्थिक स्थिति की भी समीक्षा की। बयान में कहा गया, ‘बोर्ड ने अपनी बैठक में वर्तमान आर्थिक स्थिति, वैश्विक व घरेलू चुनौतियों और रिजर्व बैंक के संचालन के विभिन्न क्षेत्रों की समीक्षा की, जिसमें बैंकों में शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने के तरीके भी शामिल हैं।’
आज की बैठक की अध्यक्षता रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से की। बोर्ड में सरकार के नामित निदेशक वित्तीय सेवा सचिव देबाशीष पांडा और आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज भी बैठक में शामिल हुए।
परंपरा के अनुसार, वित्त मंत्री हर साल बजट प्रस्तुति के बाद रिजर्व बैंक तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के बोर्ड सदस्यों के साथ बैठक करती हैं।
इसी महीने वित्त मंत्री ने 2021-22 के लिए कोरोनावायरस महामारी की पृष्ठभूमि में 34.5 लाख करोड़ रुपये का बजट प्रस्तत किया था।
बजट में पूंजीगत व्यय बढ़ाने, स्वास्थ्य देखभाल क्षमता का निर्माण करने और कृषि बुनियादी ढांचे को विकसित करने सहित विभिन्न बातों पर जोर दिया गया है जिसका अर्थव्यवस्था पर कई प्रकार से असर होने की उम्मीद जताई जा रही है।
महामारी में अर्थव्यवस्था को जोरदार झटका लगने के बाद चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा (सरकार के राजस्व से ऊपर सरकारी खर्च) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9.5 फीसदी की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के आसार हैं जिसका बजट अनुमान 3.5 फीसदी था। ऐसा पूंजीगत व्यय बढऩे और सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम का बकाया अपने ऊपर लेने से हुआ है।
इसी महीने दास ने कहा था कि केंद्रीय बैंक गैर विघटनकारी तरीके से अगले वित्त वर्ष के लिए 12 लाख करोड़ रुपये की भारी भरकम सरकारी उधारी का प्रबंध करने में सक्षम होगा।
सरकारी बैंकों को बेचने के लिए 2 अधिनियमों में होगा संशोधन
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सरकार इस साल दो अधिनियमों में संशोधन ला सकती है। उम्मीद है कि इन संशोधनों को मॉनसून सत्र में या बाद में पेश किया जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि निजीकरण के लिए बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण व हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण व हस्तांतरण) अधिनियम, 1980 में संशोधन आवश्यक होगा।
इन अधिनियमों के कारण बैंकों का दो चरणों में राष्ट्रीयकरण हो गया और निजीकरण के लिए इन कानूनों के प्रावधानों को बदलना होगा।
इन संशोधनों को मॉनसून सत्र में या बाद में पेश किया जा सकता है। चालू बजट सत्र में वित्त विधेयक 2021, 2020-21 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों व संबंधित विनियोग विधेयक, नैशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट विधेयक 2021 और क्रिप्टोकरेंसी व आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 सहित 38 से अधिक विधेयक पेश करने की योजना है। भाषा