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बजट से पूंजी न मिलने पर भी अच्छी स्थिति में सरकारी बैंक

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:27 PM IST

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 2014 के बाद से 3.6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा पूंजी डालने के बाद सरकार ने इस साल के बजट में इन बैंकों के लिए कोई पूंजी चिह्नित नहीं की है।
रेटिंग एजेंसियों के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए इस साल सरकार द्वारा केंद्रीय बजट में किसी फंड का आवंटन न किए जाने से उसके आत्मविश्वास का पता चलता है कि इन बैंकों की पूंजी की स्थिति और साथ ही वे बाजार से धन जुटाने क्षमता बेहतर है।
रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि सरकार अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में आगे कोई पूंजी डालेगी। वित्त वर्ष 21 में बेहतर मुनाफे, वित्त वर्ष 22 में बाजार से पूंजी जुटाने, वित्त वर्ष 22 में एडीशनल टियर-1 (एटी-1) बॉन्ड लाने के कारण इन बैंकों की पूंजी की जरूरत कम है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार ने 2014 और 2021 के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 3.43 लाख करोड़ रुपये डाले हैं। साथ ही वित्त वर्ष 22 में 15,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
आर्थिक समीक्षा 2021-22 में उल्लेख किया गया है कि सरकारी व निजी क्षेत्र के बैंकों में सुधार के कारण अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का पूंजी और जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) सितंबर 2020 के 15.84 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2021 में 16.54 प्रतिशत हुआ है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बजट में पुनर्पूंजीकरण के प्रावधान न होने के सिलसिले में इंडियन ओवरसीज बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी पार्थ प्रतिम सेनगुप्ता ने कहा कि इसका मकसद अपने दम पर धन जुटाना है। बैंक की पूंजी पर्याप्तता मजबूत है और इसने सरकार से पूंजीगत समर्थन के लिए नहीं कहा है। सेनगुप्ता ने कहा, ‘बैलेंस सीट की मजबूती बढ़ाने पर ध्यान है।’
समीक्षा में कहा गया है कि 30 सितंबर, 2021 को बैंकों की पूंजी के आधार पर देखें तो सभी सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों ने 2.5 प्रतिशत से ऊपर पूंजी संरक्षण बफर बरकरार रखा है।
इक्रा में फाइनैंशियल सेक्टर रेटिंग के वाइस प्रेसीडेंट और सेक्टर हेड अनिल गुप्ता ने कहा, ‘सिर्फ सरकार ने वित्त वर्ष 23 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कोई पूंजी डालने का प्रावधान नहीं रोका है, बल्कि पिछले साल केपूंजी डालने के बजट को भी 20,000 करोड़ से 15,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इससे पता चलता है कि सरकार को भरोसा है कि सरकारी बैंक पूंजी के मामले में बेहतर स्थिति में हैं, क्योंकि वे मुनाफे में आ गए हैं और अपनी वृद्धि के लिए वे फंड जुटाने की स्थिति में हैं।’
इंडिया रेटिंग ऐंड रिसर्च में डायरेक्टर और हेड, फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशंस प्रकाश अग्रवाल के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक संभवत: हाल के दशकों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं, उनकी बैलेंस सीट अच्छी है और वे अर्थव्यवस्था में आने वाले कर्ज की मांग पूरी करने की स्थिति में हैं।
क्रिसिल रेटिंग में सीनियर डायरेक्टर और डिप्टी चीफ रेटिंग ऑफिसर कृष्णन सीतारमण ने कहा, ‘पहले जब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक संपत्ति की गुणवत्ता की चुनौतियों की वजह से घाटे में थे और उनकी पूंजी खत्म हो गई थी, सरकार ने पूंजी डालकर उनका सहयोग किया। यह स्थिति अब पूर्ण चक्र में आ गई है और बैंक मुनाफा कमा रहे हैं और उनकी पूंजी आंतरिक प्राप्तियों की वजह से बढ़ रही है।’
2019 के बाद से कर्ज में वृद्धि में कमी आ रही है, लेकिन अब तूफान थमता नजर आ रहा है। दिसंबर में कर्ज में वृद्धि ने तेजी पकड़ी है और इसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 9.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई है। विशेषज्ञों की राय है कि सरकारी बैंकों के पास कर्ज में वृद्धि को समर्थन देने के लिए पर्याप्त धन है।

First Published : February 2, 2022 | 11:43 PM IST