आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश की शुरुआत करते हुए सरकार जल्द ही बैंक के संभावित खरीदारों तक पहुंचेगी और उन्हें सौदे के ब्योरे के बारे में सूचित करेगी। यह सौदा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की आधारशिला रखने जा रहा है।
एक अधिकारी ने कहा कि अपने सलाहकारों के माध्यम से केंद्र निवेशकों के साथ रणनीति बिक्री की योजना को साझा करेगा और साफ करेगा कि इस सौदे का ढांचा कैसा रहने की उम्मीद है। एक अधिकारी ने कहा कि सरकार द्वारा प्राथमिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) आने और आईडीबीआई बैंक के लिए रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित करने के पहले यह कवायद होनी है। उन्होंने कहा कि निवेशकों की रुचि का आकलन किया जाएगा और उसके मुताबिक लेन-देन की उचित संरचना तैयार की जाएगी।
सरकार निवेशकों को बैंकिंग लाइसेंस के बारे में भी सूचित करेगी, जो बैंक की खरीद के साथ मिलेगा। बैंकों के अलावा निजी इक्विडी फंडों सहित निवेशकों का एक समूह भी बैंक का अधिग्रहण कर सकता है। बहरहाल यह भारतीय रिजर्व बैैंक के मानदंडों का पालन करते हुए होगा। अधिकारी ने कहा कि कंसोर्टियम के माध्यम से बोली लगाए जाने के मामले में सभी इकाइयों को रिजर्व बैंक के तय दायरे को पूरा करना होगा।
सरकार ने बजट में आईडीबीआई (ट्रांसफर आफ अंडरटेकिंग ऐंड रिपील) ऐक्ट, 2003 में संशोधन किया था, जिससे कि केंद्र की बैंक में हिस्सेदारी खत्म किए जाने के बाद आईडीबीआई बैंक को बैंकिंग रेगुलेशन ऐक्ट की धारा 22 के तहत लाइसेंस मिल सके। इससे वह स्थिति टल गई है कि सरकार द्वारा बैंक की अपनी पूरी शेयरधारिता बेचने पर कर्जदाता को लाइसेंस छोडऩा पड़ता और नए मालिक को नए सिरे से लाइसेंस के लिए आवेदन करना होता।
इसके पहले जब आईडीबीआई बैंक को विकास बैंक से एक बैंकिंग कंपनी के रूप में बदला गया था, उसे रिजर्व बैंक से बैंकिंग लाइसेंस लेने से छूट दी गई थी।
सरकार ने आईडीबीआई बैंक के अधिग्रहण के इच्छुक उम्मीदवारों की जांच में केंद्रीय बैंक को भी शामिल करने के लिए चर्चा शुरू की है। रिजर्व बैंक के साथ हुई चर्चा के मुताबिक केंद्रीय बैंक ईओआई दाखिल होने के बाद जल्द से जल्द बोली लगाने वालों की जांच करेगा। यह अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के निजीकरण की प्रक्रिया से अलग होगा, जहां विनिवेश के दूसरे चरण में बोली लगाने वालों की जांच होती है।