एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के विलय के बाद बनने वाली संयुक्त इकाई के वैश्विक सूचकांकों मसलन एमएससीआई व एफटीएसई में शामिल होने की संभावना है क्योंंकि इस साल इन दोनों फर्मों में विदेशी निवेश घटा है।
13 मई को तिमाही के बीच में किए गए खुलासे में एचडीएफसी व एचडीएफसी बैंक ने कहा है कि उनकी कंपनियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की शेयरधारिता क्रमश: 68.56 फीसदी व 66.55 फीसदी है। यह साल की शुरुआत में रही एचडीएफसी बैंक की शेयरधारिता 70.08 फीसदी और एचडीएफसी की 72.16 फीसदी शेयरधारिता के मुकाबले कम है।
मैक्वेरी कैपिटल के सहायक निदेशक सुरेश गणपति ने कहा, एचडीएफसी व एचडीएफसी बैंक ने एफआईआई की शेयरधारिता के बारे में तिमाही के मध्य में जानकारी दी है, जो चौंकाता है क्योंंकि कंपनियों की तरफ से यह जानकारी तिमाही में ही दी जाती है। जब हम आंकड़ों पर गौर करते हैं तो हमेंं लगता है कि इस शेयरधारिता के साथ विलय के बाद बनने वाली इकाई एमएससीआई में बनी रहेगी और इसे बाहर नहीं निकाला जाएगा।
उन्होंने कहा, यह इस शेयर की परेशानी दूर करता है, हालांकि वास्तविकता यह है कि विदेशी संस्थागत निवेशक एचडीएफसी समूह की कंपनियों को धीरे-धीरे ओवरवेट देंगे क्योंंकि विलय के बाद नई इकाई का भारांक एमएससीआई इंडिया में एचडीएफसी के भारांक के समान होगा।
एचडीएफसी पहले ही एमएससीआई व एफटीएसई सूचकांकों का हिस्सा है। इस बीच, एचडीएफसी बैंक इसका हिस्सा नहीं है क्योंंकि उसमें निवेश की गुंजाइश एमएससीआई व एफटीएसई की न्यूनतम सीमा से नीचे है।
अप्रैल मेंं जब एचडीएफसी व एचडीएफसी बैंक के विलय की घोषणा हुई थी तब विश्लेषकों ने कहा था कि विलय के बाद बनने वाली इकाई वैश्श्विक सूचकांकों का हिस्सा नहीं होगी। क्योंंकि विलय के बाद वाली इकाई में विदेशी निवेश की गुंजाइश करीब 10 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था, जो एमएससीआई व एफटीएसई के लिए जरूरी सीमा क्रमश: 15 फीसदी व 20 फीसदी से कम थी।
एचडीएफसी व एचडीएफसी बैंक का शेयर सोमवार को 1.4-1.4 फीसदी घटा और इस तरह से उसने सेंसेक्स के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया क्योंंकि सेंसेक्स में मामूली गिरावट दर्ज हुई।