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महंगाई के अनुमान में बढ़ोतरी, वृद्घि के आंकड़े में नरमी

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 2:03 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मुद्रास्फीति और वृद्घि से संबंधित अनुमानों के विश्लेषण से पता चलता है कि आर्थिक सुधार का चरण वृद्घि की धीमी गति से प्रभावित हो सकता है और इसकी वजह से कीमती उत्पादों और सेवाओं के साथ साथ आय में कमजोरी को बढ़ावा मिल सकता है।
वर्ष 2021-11 के लिए एमपीसी के उपभोक्ता मुद्रास्फीति अनुमानों में अगस्त 2021 के आकलन में अप्रैल के अनुमानों के मुकाबले अच्छी तेजी देखी गई है। अप्रैल में, केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) में 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। जून में इसे बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत और बाद में इसे और बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया गया। बड़ी वृद्घि उसके अक्टूबर-दिसंबर 2021 के अनुमान के लिए है, जिसे अप्रैल के 4.4 प्रतिशत से बढ़ाकर जून में 4.7 प्रतिशत और अगस्त की बैठक में 5.3 प्रतिशत किया गया। इसी तरह के अनुमान वर्ष 2021-22 की पहली और चौथी तिमाही के लिए हैं।
संक्षेप में कहें तो उपभोक्ता मुद्रास्फीति पूरे 2021-22 के लिए 5 प्रतिशत से ऊपर बने रहने का अनुमान है, और 2022-23 में भी यह ऊपर रह सकती है। एमपीसी ने 2022-23 की पहली तिमाही के लिए 5.1 प्रतिशत मुद्रास्फीति का अनुमान जताया है।
साथ ही, आरबीआई के वृद्घि अनुमानों में कमी आई है। जुलाई-सितंबर की अवधि में 7.3 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्घि दर्ज की जाएगी, जो 7.9 प्रतिशत के जून के अनुमान से कम है, और अप्रैल के 8.3 प्रतिशत अनुमान से काफी नीचे है।
हालांकि दूसरी और तीसरी तिमाही के अनुमान अप्रैल-जून से बढ़े हैं, लेकिन अगस्त में इनमें संशोधन कर घटा दिया गया है। दूसरी तरफ, पहली तिमाही 21.4 प्रतिशत की ऊंची वास्तविक जीडीपी वृद्घि दर दर्ज कर सकती है, जबकि शुरू में जून में 18.5 प्रतिशत का अनुमान जताया गया था।
हालांकि वृद्घि को मजबूत बनाना केंद्रीय बैंक के लिए मुख्य प्राथमिकता होगी, लेकिन उम्मीदों में कमी का मतलब हो सकता है कि वृद्घि की प्रक्रिया में अनुमान के मुकाबले ज्यादा समय लगेगा। उभरती अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक आकार के संदर्भ में महामारी पूर्व स्तरों पर तेजी से लौटी हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि वृद्घि-मुद्रास्फीति परिदृश्य में ये बदलाव चिंताजनक हैं।
नोमुरा में उपाध्यक्ष एवं अर्थशास्त्री अरोदीप नंदी ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘यदि मुद्रास्फीति ऊंचे स्तरों पर बनी रहती है तो उसके और वृद्घि के बीच नीतिगत उतार-चढ़ाव और अधिक जटिल होने की संभावना है।’जहां एमपीसी के प्रस्ताव में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति काफी हद तक विपरीत आपूर्ति झटकों पर केंद्रित है, जो अस्थायी रहने की संभावना है, लेकिन मुद्रास्फीति के 2021-22 की चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत के साथ ऊपर बने रहने का अनुमान है।
डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने नीतिगत समीक्षा के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आरबीआई मुद्रास्फीति को धीरे धीरे कम करने की संभावना तलाश रही है। उन्होंने कहा कि इससे उत्पादन में किसी तरह के नुकसान को रोका जा सकेगा और सुधार की राह में अड़चनों को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा।

First Published : August 6, 2021 | 11:49 PM IST