मंदी में आईसीआईसीआई बैंक को भी घर की याद आ रही है।
विदेश में विलय और अधिग्रहण की गतिविधियां तथा रकम उगाहने का काम ठंडा पड़ने से बैंक खास तौर पर अमेरिका से अपने कुछ कर्मचारियों को वापस बुला रहा है।
बैंक की अमेरिकी शाखा ने 2007-08 की दूसरी छमाही में काम शुरू किया था। उस वक्त उसका ज्यादा ध्यान थोक बैंकिंग पर था। इसमें भारतीय कंपनियों के अमेरिकी कारोबार के लिए कर्ज देना, व्यापार को फाइनैंस करना और दूसरी सेवाएं शामिल थीं।
बैंकिंग सूत्रों ने बताया कि इस बैंक के अंतरराष्ट्रीय कारोबार में बढ़ोतरी ब्रिटेन और कनाडा में बसे भारतीयों की जरूरत और विलय, अधिग्रहण के जरिये वहां पहुंची कंपनियों पर निर्भर करता है। सूत्रों ने बताया कि प्रवासी भारतीयों के जरिये कारोबार तो पहले की तरह है, लेकिन मंदी की वजह से विलय अधिग्रहण की गतिविधियां धीमी हो गई हैं, जिनका सीधा असर बैंक के कारोबार पर पड़ रहा है।
इसी वजह से न्यूयॉर्क और सिंगापुर जैसी जगहों पर वह अपने कर्मचारियों की संख्या कम कर रहा है। कुछ कर्मचारियों को भारत बुला लिया गया है और कुछ नौकरी छोड़ चुके हैं। लेकिन यह पता नहीं चल सका है कि कितने कर्मचारियों को बुलाया गया है।
हालांकि इस बारे में सोमवार को भेजे गए ई मेल का बैंक ने जवाब नहीं दिया, लेकिन पिछले हफ्ते बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ और प्रबंध निदेशक चंदा कोछड़ ने कहा था कि बैंक रकम उगाहने की अपनी गतिविधियां कम कर रहा है।
इसके अलावा उन्होंने अन्य बैंकों के जरिये बॉन्ड जारी करके और दूसरे तरीकों से रकम जुटाने के कारोबार को कम करने की भी बात कही थी। बैंक अलग-अलग देशों के बजाय भारत से ही कई काम करने की योजना बना रहा है।
कोछड़ ने कहा था कि बैंक की कमाई और मुनाफे में चौथाई हिस्सेदारी अंतरराष्ट्रीय कारोबार की होगी, लेकिन इसमें वृद्धि की दर पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले आधी ही रह जाएगी।