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फिल्म फाइनैंसिंग में आईडीबीआई और एक्जिम बैंक दिखा रहे हैं सुस्ती

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 4:25 AM IST

आर्थिक मंदी की वजह से भारतीय फिल्म उद्योग अभी कठिन दौर से गुजर रहा है।
ऐसे में देश के दो सबसे अधिक सक्रिय फिल्म फाइनैंसर आईडीबीआई बैंक और एक्जिम बैंक ने तय किया है कि वे फिल्म-निर्माण कारोबार को कर्ज देने में सुस्ती बरतेंगे।
आईडीबीआई बैंक के उप प्रबंध निदेशक जे बालकृष्णन ने कहा, ‘यह उद्योग कुछ हद तक मंदी का प्रभाव झेल रहा है। इसलिए, हम इस क्षेत्र को ऋण देने में सतर्क हो गए हैं। पहले, अभिनेताओं और तकनीकी कर्मचारियों को अनुबंधों के तहत बहुत अधिक भुगतान करने से फिल्मों के बजट बढ़ गए थे। अअब इस बदलाव के बाद फिल्मों के बजट भी कम हुए हैं।’
सार्वजनिक क्षेत्र के एक्सपोर्ट इंपोर्ट बैंक ऑफ इंडिया (एक्जिम बैंक) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अब बैंक प्रस्तावों को परखने और भुगतान प्रवाह के मामलों में अतिरिक्त कदम उठा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि बैंक ने कितनी फंडिंग की है क्योंकि साल 2008-09 के अंकेक्षित परिणाम अभी घोषित किया जाना बाकी है।
आईडीबीआई बैंक के मामले में अधिकरी ने कहा कि वैसे दो-तीन फिल्मों के वितरण में कुछ समस्याएं आई थीं जिनमें बैंक ने निवेश किया था। आईडीबीआई बैंक के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह एक तात्कालिक घटना है। भुगतान किए जाएंगे, लेकिन इनके भुगतान की निर्धारित अवधि में बदलाव किए जाएंगे।’
इन फिल्मों, जिसनके नाम अधिकारी ने नहीं बताए, को रिलीज करने के लिए प्रोडयूसरों को उपयुक्त समय का चुनाव करना होगा। सूत्रों ने बताया,  ‘रिलीज करने का समय काफी महत्वपूर्ण होता है। अगर यह चूक गया तो फिर सिनेमा को रिलीज करने के लिए उपयुक्त अवसर आने तक का इंतजार करना होता है, भले ही इसे बेच दिया गया हो।
कुल मिलाकर आईडीबीआई बैंक का निवेश (फिल्म फाइनेंसिंग में) छह साल पहले के 100 करोड रुपये से बढ़ कर मार्च 2009 के अंत तक 530 करोड रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2009 में बैंक ने 600 करोड रुपये के कर्ज को मंजूरी दी थी लेकिन केवल 480 करोड़ रुपये का वितरण किया गया।’
भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग पर फिक्की-केपीएमजी की एक रिपोर्ट के अनुसार बाजार का माहौल आर्थिक मंदी के वजह से फिल्म के क्षेत्र के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है, खास तौर से साल 2008 की अंतिम तिमाही में। फिल्म उद्योग साल 2005 के 6,690 करोड़ रुपये से बढ़ कर साल 2008 में 10,930 करोड रुपये का हो गया है। इसकी चक्रवृध्दि दर 17.7 फीसदी की रही है।
वृध्दि की यह रफ्तार साल 2013 तक की अवधि के लिए घट कर 9.1 फीसदी होने का अनुमान है, जबकिअनुमान है कि उद्योग का आकार लगभग 16,860 करोड़ रुपये का होगा। फिक्की के अधिकारियों ने कहा कि गजनी के बाद कोई भी बड़ी फिल्म नहीं आई है जो मंदी के चलन को प्रदर्शित करता है।
कुछ प्रोडयूसरों को नकदी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है और वर्तमान में सुधार का दौर जारी है। फिल्म फाइनैंसिंग कई प्रकार के होते हैं। चार क्षेत्र जिमें आम तौर पर सहायता की जाती है उनमें फिल्म प्रोडक्शन के लिए नकदी प्रवाह, विदेशों में फिल्म वितरणप्रदर्शन के लिए फाइनैंसिंग, फिक्सड ऐसेट फाइनैंस के लिए आवधिक ऋण और निर्यात बाजार विकास के ऋण टर्म फाइनैंसिंग शामिल हैं।
कुल मिलाकर देखें तो भारतीय मीडिया और एंटरटेनमेंट उद्योग साल 2008 में 58,400 करोड रुपये का था जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.4 फीसदी बढ़ा था। अगले पांच वर्षों में अनुमान है कि यह उद्योग 12.5 फीसदी की चक्रवृध्दि दर से बढ़ेगा और साल 2013 तक 1,05,200 करोड रुपये का हो जाएगा।

First Published : May 1, 2009 | 1:41 PM IST