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आईएमपीएस लेनदेन सीमा अब 5 लाख रुपये

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 12:23 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंंक ने शुक्रवार को तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) के तहत लेनदेन की सीमा मौजूदा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि इससे देश में पहले से ही डिजिटल भुगतान में आ रही तेजी को और मजबूती मिलेगी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने बयान में कहा, आईएमपीएस सिस्टम की अहमियत और ग्राहकों की सुविधा को देखते हुए प्रति लेनदेन सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने काप्रस्ताव है।
पेमेंट इंडस्ट्री आईएमपीएस की सीमा में बढ़ोतरी के आरबीआई के फैसले से काफी खुश है और उद्योग की राय है कि यह खास तौर से बी2बी पेमेंट के क्षेत्र में नई राह खोलता है। आरबीआई ने कहा है, यह डिजिटल भुगतान में और इजाफा करेगा और 2 लाख रुपये से ज्यादा डिजिटल भुगतान करने वाले ग्राहकों को अतिरिक्त सुविधा मुहैया कराएगा। चूंकि अब आरटीजीएस पूरे समय परिचालन में रहता है, साथ ही आईएमपीएस के निपटान चक्र में बढ़ोतरी हुई है, ऐसे में क्रेडिट व निपटान का जोखिम घटा है।
आईएमपीएस भुगतान का प्लेटफॉर्म है, जो विभिन्न चैनलों मसलन इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंंकिंग ऐप, बैंंक की शाखाओं, एटीएम, एसएमएस व आईवीआरएस के जरिए 24 घंटे तत्काल देसी फंड के हस्तांतरण की सुविधा मुहैया कराता है। आईएमपीएस की सुविधा नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया उपलब्ध कराती है, जो देश में डिजिटल भुगतान की अम्ब्रेला इकाई है और यह मौजूदा नैशनल फाइनैंशियल स्विच (एनएफएस) के जरिए यह सेवा देती है। इस कैलेंडर वर्ष में अब तक आईएमपीएस के जरिये 3 अरब से ज्यादा लेनदेन के तहत करीब 30 लाख करोड़ रुपये का हस्तांतरण हुआ है।
पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन विश्वास पटेल ने कहा, आरबीआई ने बहुत अच्छा कदम उठाया है। अब 2 लाख रुपये से ऊपर का लेनदेन आईएमपीएस के जरिए हो पाएगा, जो पहले एनईएफटी व आरटीजीएस के तहत होता रहा है। यह न सिर्फ बी2बी पेमेंट के क्षेत्र के लिए लाभकारी होगा बल्कि सभी अन्य भुगतान के लिए भी, जिन्हे मौजूदा भुगतान की सीमा के अवरोध का सामना करना पड़ता है।
रेडकार्पेट के सह-संस्थापक संदीप श्रीनिवास के मुताबिक, आईएमपीएस लेनदेन की सीमा में इजाफे की मांग काफी समय से लंबित थी। आईएमपीएस की सीमा काफी समय से स्थिर थी। लेकिन अनिवार्य रूप से हम भुगतान के विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए धीरे-धीरे सुधार देख रहे हैं। नियामक को अहसास हो रहा है कि देश में धन प्रेषण के लिए बड़ी सीमा का होना ग्राहकों के लिए बेहतर होगी। न सिर्फ बी2बी भुगतान के क्षेत्र में बल्कि पी2पी भुगतान को भी इससे लाभ मिलेगा। कुछ हद तक आरबीआई का एनईएफटी व आरटीजीएस पर असर पड़ेगा क्योंंकि हम कुछ लेनदेन को यहां से होता देख सकते हैं।
अप्रैल मेंं आरबीआई ने पूर्ण केवाईसी पीपीआई की इजाजत दी थी ताकि वे मौजूदा सीमा से दोगुना बकाया बैलेंस रख सके और यह एक लाख रुपये से दो लाख रुपये किया गया था। साथ ही दिन के आखिर में किसी पेमेंट बैंक में एक ग्राहक अधिकतम दो लाख रुपये तक रख सकता है, जो दोगुना किया गया था।
इस बीच, आरबीआई ने यह भी ऐलान किया है कि वह देश भर में ऑफलाइन खुदरा डिजिटल भुगतान के लिए नया ढांचा बनाएगा ताकि इंटरनेट के मामले में कमजोर कनेक्टिविटी वाले इलाकों में भी डिजिटल भुगता की पहुंच व इसे अपनाने का मामला मजबूत हो। आरबीआई ने 6 अगस्त 2020 के नियामकीय बयान में इस क्षेत्र में पायलट परियोजना के जरिये जांच का इरादा भी जताया था। इसके बाद तीन पायलट परियोजना इस योजना के तहत कामयाबी से अंजाम दी गई और यह सितंबर 2020 से जून 2021 के बीच हुआ।

First Published : October 8, 2021 | 11:51 PM IST