होम लोन पर ब्याज दर में कटौती से बैंकों के मार्जिन पर विपरीत असर नहीं पड़ेगा। साथ ही बैंकरों व विश्लेषकों का कहना है कि ब्याज दरें इस समय निचले स्तर पर हैं, इसके बावजूद अगर आगे और कटौती की जाती है तो आवास ऋण के मांग में उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं होगी।
हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉर्पोरेशन (एचडीएफसी) के वाइस चेयरमैन और मुख्य कार्याधिकारी केकी मिस्त्री ने कहा कि पहले जुटाए गए साधनों की तुलना में अब कम ब्याज दरों पर नया वित्तपोषण हो रहा है। इसकी वजह से फंडों की भारित औसत लागत घटी रै और इस तरह से कर्जदाता इसका लाभ ग्राहकों को दे रहे हैं। इससे मार्जिन पर असर नहीं पड़ेगा।
मिस्त्री का समर्थन करते हुए येस बैंक के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक प्रशांत कुमार कहते हैं कि अभी कर्ज पर दरें कम हुई हैं, जमा पर लागत भी कम होगी। इससे संतुलन होगा और संकेत है कि मार्जिन पर कोई असर नहीं पडऩे वाला।
भारतीय स्टेट बैंक ने दरों में 10 आधार अंक की कटौती की है। संशोधित दरें 6.7 प्रतिशत से शुरू होंगी और यह सिबिल क्रेडिट स्कोर से जुड़ा होगा। एचडीएफसी ने दरों में 5 आधार अंक की कटौती की है। संशोधित दरें उच्च क्रेडिट स्कोर वाले ग्राहकों के लिए 6.75 प्रतिशत होंगी। जिन बैंकों ने ब्याज दरें कम की हैं, उनके पास अतिरिक्त नकदी है। वे कम दर पर ग्राहकों को आकर्षित करना चाहते हैं और जब दरें ऊपर बढऩी शुरू होंगी तो होम लोन की दरें भी बढ़ाकर समायोजित कर दी जाएंगी। इससे समय के साथ ज्यादा ब्याज आने लगेगा।
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि निस्संदेह कम होम लोन ब्याज दर का मतलब बैंकों का मार्जिन कम होगा। लेकिन मकान खरीदारोंं की मात्रा बढ़ाकर इसकी भरपवाई हो सकती है, जो सस्ती दरों पर कर्ज मिलने पर आ सकते हैं।
बैंकों के लिए एक और कारक यह है कि उन्हें सरकारी बॉन्डों में धन लगाने पर बेहतरीन मुनाफा मिल रहा है। कम से कम आवास ऋण के मामले में कर्ज की लागत कम है और इसमें मकान गिरवीं होता है। बैंक होम लोन में धन लगाने में सक्षम हैं और रिवर्स रीपो विंडो का इस्तेमाल करके भारतीय रिजर्व बैंक में धन रखने की तुलना में यह बेहतर विकल्प है।
आवास ऋण देते समय बैंक और एचएफसी सिर्फ ब्याज की लागत और कर्ज से प्रतिफल की गणना नहीं करते। वे ज्यादा कर्ज और कारोबार की संभावना के हिसाब से भी विचार करते हैं।
इक्रा में फाइनैंशियल सेक्टर रेटिंग के सेक्टर हेड और वाइस प्रेसीडेंट अनिल गुप्ता ने कहा कि बैंक और वित्तीय कंपनियां शुल्क आधारित आमदनी पर विचारकर रही हैं और साथ ही जमा बरकरार रखने के लिए देनदारी रख रही हैं।
इंडिया रेटिंग्स में फाइैंशियल इंस्टीट्यूशन के प्रमुख और निदेशक प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि होम लोन पर ब्याज दरें निचले स्तर पर हैं और पिछले 2 साल में इसमें 150 से 200 आधार अंक की गिरावट आई है।
जेएलएल इंडिया में शोध के प्रमुख व मुख्य अर्थशास्त्री सामंतक दास ने कहा कि मार्गेज दरें एक सीमित सीमा में बनी रहेंगी अगर महंगाई दर रिजर्व बैंक की लक्षित दरों के बीच रहती है। उन्होंने कहा कि आगे अगर और कटौती होती है, तब भी होम लोन की मांग बढऩे की सीमित संभावना है।
सिर्फ ब्याज दरें कम रहने से आवास की मांग में बढ़ोतरी नहीं होने वाली है। पुरी ने कहा कि इसमें अन्य वजहें भी शामिल होती हैं, खासकर आकर्षक सौदे और छूट, जिससे कुल मिलाकर संपत्ति की कीमत में कमी आती है।