भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से भुगतान प्रणालियों में शुल्कों पर चर्चा पत्र जारी किए जाने के निर्णय पर उद्योग से मिलीजुली प्रतिक्रिया आई है। इनमें से अधिकांश का कहना है कि नियामक फिलहाल उच्च स्तर के कुछ निश्चित शुल्कों को युक्तिसंगत बनाने पर विचार कर सकता है। वह कुछ ऐसी सुविधाओं पर कंपनियों पर शुल्क लगाने पर भी विचार कर सकता है जिन पर फिलहाल किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लग रहा है।
इसी हफ्ते रिजर्व बैंक ने कहा था कि वह एक चर्चा पत्र जारी करेगा जो क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, प्रीपेड भुगतान सुविधाओं (कार्ड और वॉलेट), यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) आदि जैसे डिजिटल भुगतानों के विभिन्न माध्यमों में शामिल शुल्कों से संबंधित सभी पहलुओं को कवर करेगा। नियामक का मुख्य उद्देश्य उपयोगकर्ताओं के लिए डिजिटल लेनदेन को किफायती और प्रदाताओं के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी बनाना है।
डिजिटल भुगतान सेवाओं के लिए बुनियादी ढांचा मुहैया कराने वाली संस्थाएं लागत वहन करती हैं जिसे वे आगे व्यापारियों डाल देती हैं। आमतौर पर ग्राहकों से डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या यूपीआई से भुगतान करने पर शुल्क नहीं लिया जाता है।
फिलहाल, यूपीआई पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) नहीं लगता है वहीं, डेबिट कार्ड से लेनदेन पर एमडीआर की सीमा 0.9 फीसदी है हालांकि, रुपे डेबिट कार्डों पर एमडीआर शून्य है। क्रेडिट कार्डों के मामले में एमडीआर की कोई सीमा तय नहीं की गई है। वॉलेट और पीपीआई सुविधाओं पर एमडीआर का विनियमन नहीं किया जाता है और यह 1.5 से 2.5 फीसदी तक होता है। कुछ मामलों में यह और भी अधिक होता है। एमडीआर से आशय ऐसे शुल्क से है जिसे व्यापारियों से क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग और डिजिटल वॉलेटों से भुगतान स्वीकार करने पर वसूला जाता है।
उद्योग के एक विशेषज्ञ ने पहचान जाहिन नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘भुगतान शुल्कों पर रिजर्व बैंक का चर्चा पत्र अधिक समझे जाने वाले कुछ मौजूदा शुल्कों की समीक्षा कर सकता है और उसे युक्तिसंगत बना सकता है। उदाहरण के लिए प्रीपेड कार्डों और प्रीपेड सुविधाओं पर व्यापारियों से 1.5 से 2 फीसदी तक शुल्क वसूले जाते हैं जबकि डेबिट कार्डों से 1 फीसदी से कम शुल्क वसूला जाता है। दूसरी बात है कि फिलहाल शुल्क मुक्त कुछ निश्चित सुविधिाओं से लेनदेनों पर स्लैब आधारित शुल्क लगाने पर विचार किया जा सकता है।
मसलन रुपये डेबिट कार्डों और यूपीआई से लेनदेन पर शुल्क लगाया जा सकता है।’
2019 में सरकार ने व्यापारियों को डिजिटल भुगतान के तरीकों को अपनाने के वास्ते प्रोत्साहित करने के लिए रुपे डेबिट कार्डों और यूपीआई पर एमडीआर को समाप्त कर दिया था। लेकिन इसके बाद बैंक रुपे कार्ड जारी करने के प्रति बहुत अधिक अनिच्छुक हो गए थे जबकि सरकार ने इसके लिए दबाव बनाया था। वे शुल्क के तहत आने वाले दूसरे कार्ड नेटवर्क को प्रमुखता दे रहे थे।