भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) के लिए ब्याज की सीमा हटाने के प्रस्ताव से यह सुनिश्चित होगा कि इसमें कुछ बाजार हिस्सेदारों की मनमानी नहीं रहेगी। विश्लेषकों का कहना है कि इससे बाजार व्यवस्था ब्याज दर की सीमा तय करेगी, जिसमें सभी हिस्सेदार काम करेंगे।
इसकी वजह से कवरेज भी बढ़ेगा क्योंकि ब्याज दरों को नियमन के दायरे से बाहर किए जाने से एनबीएफसी-एमएफआई को उन क्षेत्रों में जाने की सहूलियत मिल जाएगी, जहां परिचालन लागत जुड़े होने के कारण कर्ज की पहुंच सीमित है। लागत की कोई सीमा न होने से कर्जदाता जोखिम ले सकेंगे, जिससे वे पहले दूर भागते थे।
सूक्ष्म वित्त नियमन पर मालेगाम कमेटी की रिपोर्ट के 11 साल बाद रिजर्व बैंक ने मौजूदा नियमों में बदलाव का फैसला किया, जिससे सूक्ष्म वित्त से उधारी लेने वालों पर बोझ कम किया जा सके और ऐसी स्थिति बनाई जा सके, जिसे ब्याज दरें कम हों।
पत्र में रिजर्व बैंक ने कर्ज आमदनी अनुपात की सीमा का प्रस्ताव किया है, जिसमें सूक्ष्म वित्त लेने वालों का कर्ज पर ब्याज व मूलधन के पुनर्भुगतान की राशि किसी भी स्थिति में परिवार की आमदनी से 50 प्रतिशत से ज्यादा न हो। रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘बाजार व्यवस्था लागू करने के पीछे मकसद यह है कि पूरे सूक्ष्म वित्त क्षेत्र के कर्ज की दर नीचे लाई जा सके।’ उज्जीवन स्माल फाइनैंस बैंक के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक (एमडी) नितिन चुघ ने कहा, ‘इससे बाजार का विस्तार होगा और ज्यादा लोगों तक पहुंचा जा सकेगा। इससे कवरेज बढ़ेगा।’
विशेषज्ञों का मानना है कि दरें संभवत: कुल मिलाकर निकट भविष्य में बहुत ज्यादा नहीं बदलेंगी, लेकिन बैंकों द्वारा ली जाने वाली दरें कुछ कम होंगी।
बंधन बैंक के एमडी और सीईओ चंद्रशेखर घोष ने कहा, ‘बाजार संचालित ब्याज दरों की दिशा में बढऩा सही फैसला है, क्योंकि यह लचीलापन प्रदान करता है।’ माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क के सीईओ आलोक मिश्र ने कहा कि ब्याज दर की सीमा लगाना बेहतर नीति नहीं है और विभिन्न वैश्विक अध्ययनों से यह साबित हुआ है।
साधन के कार्यकारी निदेशक पिल्लारीसेत्ती सतीश ने कहा कि बैंकों व लघु वित्त बैंकों की ओर से दरों में कमी की जाएगी और साथ ही बड़े एनबीएफसी-एमएफआई को छोटे व मझोले एनबीएफसी-एमएफआई की तुलना में तुलनात्मक रूप से कम दरों पर फंड मिल सकेगा।
आरोहण फाइनैंशियल सर्विसेज के एमडी मनोज कुमार नांबियार ने कहा, ‘मुझे लगता है कि एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा ली जाने वाली ब्याज दर की सीमा हटाए जाने पर भी दरें उतनी ही होंगी, जितनी अभी हैं।’