रेटिंग एजेंसी फिच ने आज कहा है कि भारत के निजी क्षेत्र के बैंकों में सरकारी बैंकों (पीएसबी) की तुलना में घाटे को संभालने की क्षमता ज्यादा है, जिसकी वजह से वे मध्यावधि के हिसाब से सरकारी बैंकों की तुलना में ज्यादा बाजार हिस्सेदारी हासिल कर सकते हैं।
निजी क्षेत्रों के घाटे को अवशोषित करने वाला बफर, खासकर बढ़े हुए पूंजी आधार, घाटे की पहचान की क्षमता मजबूत होने और कवायदों में कम व्यवधान होने से उन्हें बाजार हिस्सेदारीहासिल करने में मदद मिलेगी। बहरहाल यह लाभ तत्काल मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि बैंकिंग क्षेत्र की कर्ज की वृद्धि सुस्त रह सकती है। फिच ने कहा है कि इसका तभी कोई लाभ होगा, जब महामारी से पैदा हुई स्थिति में टिकाऊ रिकवरी हो।
आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक, आईडीएफसी फस्र्ट बैंक, येस बैंक सहित तमाम बैंकों ने चालू वित्त वर्ष में झटकों से निपटने व वृद्धि के लिए क्षमता बढ़ाने के लिए इक्विटी पूंजी जुटाई है।
भारत के निजी क्षेत्र के बैंकों ने एक दशक तक मजबूत वृद्धि दर्ज की है, जो 19.6 प्रतिशत बहुत ज्यादा कर्ज सीएजीआर से नजर आता है,जो सरकारी बैंकों में महज 8.5 प्रतिशत है। इसे बेहतर पूंजीकरण और बहुत कम संपत्ति गुणवत्ता की समस्या का भी समर्थन है।
इस दौरान निजी क्षेत्र के बैंकों ने संपत्ति और कर्ज के मामले में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई है। ज्यादातर लाभ 5 वर्षों के दौरान हुआ है। कोरोनावायरस महामारी के बार सरकारी बैंक भारी नुकसान, इंपेयर्ड लोन और कम पूंजीकरण की समस्या से जूझ रहे हैं।