देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के समाधान तंत्र 2.0 के तहत 25 करोड़ रुपये तक के खुदरा और छोटे कारोबारी ऋणों के पुनर्गठन के लिए जांचा परखा दृष्टिकोण तैयार किया है।
इन बैंकों ने स्वास्थ्य ढांचा को दुरुस्त करने के लिए कारोबारियों और कोविड-19 का उपचार का खर्च वहन करने के लिए लोगों को धन मुहैया कराने वाले मानकीकृत उत्पाद भी उतारे हैं। कारोबारी ऋणों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है: 10 लाख रुपये तक के ऋणों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एक मानक पुनर्गठन योजना का अनुसरण करेंगे। 10 लाख रुपये से ऊपर 10 करोड़ रुपये तक एक श्रेणीबद्घ दृष्टिकोण का पालन करेंगे और 10 करोड़ रुपये से अधिक की रकम के लिए वे एक साझा आउटरीच कार्यक्रम लाएंगे और पुनर्गठन के लिए एक श्रेणीबद्घ दृष्टिकोण का पालन करेंगे। इनके लिए मानक आवेदन और आकलन प्रारूप होगा और मानक के साथ साथ सरल दस्तावेजी प्रक्रिया होगी।
व्यक्तिगत ग्राहक अपने बैंक पोर्टल पर आवेदन भर सकते हैं या फिर अपनी शाखाओं में जाकर आवेदन जमा करा सकते हैं जिसके बाद आवेदन पर प्रक्रिया चालू की जाएगी और 30 दिनों के भीतर एक समाधान योजना लाई जाएगी। योजना आने के 90 दिनों के भीतर उसे क्रियान्वित कर दिया जाएगा।
जहां तक छोटे आकार के कारोबारी ऋणों का सवाल है तो बैंकों ने पात्र इकाइयों की जानकारियां जुटाई है और इन ग्राहकों को एक साथ संदेश भेजे गए हैं जिसमें पहले ही पुनर्गठित हो चुके खाते भी शामिल हैं। बैंकों ने पेशकश सह स्वीकृति पत्रों के साथ साथ आवेदनों को केंद्रीय स्तर पर सृजित किए हैं।
एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के चेयरमैन राजकिरण राय जी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, ‘सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक की ओर से घोषित समाधान तंत्र 2.0 के समुचित क्रियान्वयन के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। हम सभी व्यक्तिगत कर्जदारों, छोटे कारोबारियों और एमएसएमई को दिए गए ऋणों के पुनर्गठन के लिए जांचा परखा दृष्टिकोण के साथ सामने आए हैं।’
खारा ने कहा, ‘इसके पीछे का विचार यह है कि जो लोग क्रियान्यवन प्रक्रिया में शामिल हैं उन्हें किसी प्रकार की मुश्किल का सामना नहीं करना पड़े।’ उन्होंने कहा, ‘हमने ग्राहकों तक पहुंचने के लिए हर संभव चैनल के उपयोग की कोशिश की है ताकि हम उनकी मुश्किलों को समाप्त करने की स्थिति में रहें।’
राजकिरण राय ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के ग्राहक विशेष तौर पर छोटे कर्जदार बैंकों के बीच अंतर नहीं करते। पुनर्गठन के लिए अलग अलग योजनाएं होने से लोग दुविधा में पड़ जाते हैं। अत: हमने सोचा कि छोटे कर्जदारों के लिए एक जांचा परखा दृष्टिकोण को अपनाना आसान होगा।