भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज अपना उदार मौद्रिक रुख बरकरार रखते हुए रीपो दर में कोई बदलाव नहीं किया और द्वितीयक बाजार से खरीद के जरिये बॉन्ड बाजार की मदद करने का वायदा किया। पहली तिमाही में आरबीआई 1 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदेगा।
छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने एकमत से रीपो दर 4 फीसदी पर ही रखने के पक्ष में मत दिया। उसने यह भी कहा कि आर्थिक वृद्घि को सहारा देने के लिए जब तक जरूरत होगी, मौद्रिक रुख उदार ही रखा जाएगा। बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति को तय दायरे के भीतर ही रखा जाएगा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘इस समय वायरस का प्रसार रोकने और आर्थिक सुधार बरकरार रखने पर ध्यान देना होगा। अब तक वृद्घि सही दिख रही है और नए वित्त वर्ष से वृद्घि के संकेत भी नजर आ रहे हैं।’
संक्रमण बढऩे के बावजूद आर्थिक गतिविधियां सामान्य हो रही हैं लेकिन हाल में कोविड-19 संक्रमण में बढ़ोतरी और कुछ राज्यों द्वारा लगाई गई सख्त पाबंदियों से आर्थिक वृद्धि दर में सुधार पर अनिश्चितता खड़ी हो गई है। हालांकि इस बार देश बेहतर ढंग से तैयार है और टीकाकरण अभियान भी तेज हो रहा है। इसलिए केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए 10.5 फीसदी वृद्घि के लक्ष्य में कोई बदलाव नहीं किया। लेकिन मुद्रास्फीति में कुछ बढ़ोतरी का अनुमान जताते हुए कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति 2020-21 की चौथी तिमाही में 5 फीसदी और चालू वित्त वर्ष की पहली तथा दूसरी तिमाही में 5.2 फीसदी रहेगी। तीसरी तिमाही में यह 4.4 फीसदी रह सकती है। केंद्रीय बैंक के रुख पर बॉन्ड बाजार और रुपये की प्रतिक्रिया एक-दूसरे से बिल्कुल उलट रही। बॉन्ड बाजार को नीतिगत रुख पसंद आया और 10 साल के बॉन्ड का प्रतिफल 6.06 फीसदी तक गिरने के बाद 4 आधार अंक नीचे 6.08 फीसदी पर बंद हुआ। पिछले वित्त वर्ष के अंत में यह 6.18 फीसदी पर बंद हुआ था। मगर रुपया मायूस हो गया और डॉलर के मुकाबले 1.5 फीसदी से भी ज्यादा लुढ़ककर 74.55 पर बंद हुआ। बरहाल देसी बाजार खुश नजर आए।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा, ‘आरबीआई की नीति बताती है कि वह बाजार में अनिश्चितता दूर करने के लिए प्रतिबद्घ है। प्रणाली में तरलता बढ़ाने के भी उपाय किए गए हैं।’ लेकिन मौद्रिक नीति को लंबे समय तक उदार बनाए रखने से मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति बढऩे का जोखिम भी होता है। एचएसबीसी के अनुसार मुख्य मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2022 में 5.5 से 6 फीसदी पर रह सकती है।
आरबीआई की सबसे बड़ी घोषणा द्वितीयक बाजार से सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने के कार्यक्रम की है। पिछले वित्त वर्ष में आरबीआई ने खुले बाजार परिचालन से 3.13 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड की खरीद की थी। लेकिन इस बार नई पहल के तहत भी बॉन्ड खरीदने की योजना है। इससे तरलता बढ़ेगी। इसके तहत आरबीआई पहली तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदेगी, जिसकी शुरुआत 15 अप्रैल को 25,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड से होगी।