भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने तरलता कम करने के उपाय को धीमा करके बॉन्ड बाजार को चकित कर दिया। इससे यह संकेत मिलता है कि महामारी की तीसरी लहर की आशंका से आरबीआई नीतियों को सामान्य बनाने की दिशा में जल्दबाजी नहीं दिखाएगा।
केंद्रीय बैंक अपनी वेरिएबल रेट रिवर्स रीपो नीलामी को बैंकिंग तंत्र से अतिरिक्त नकदी खींचने के लिए आगे बढ़ाता है। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी आरबीआई 2 लाख करोड़ रुपये की तीन-दिन की रिवर्स रीपो नीलामी करेगा। आरबीआई ने ऐसा तो नहीं किया मगर आज बाजार बंद होने के बाद उसने 5 लाख करोड़ रुपये के 15 दिन के वेरिएबल रेट रिवर्स रीपो की घोषणा कर दी। यह बाजार से इस हफ्ते 8 लाख करोड़ रुपये खींचने की केंद्रीय बैंक की योजना से कम है। केंद्रीय बैंक ने 31 दिसंबर को 7.5 लाख करोड़ रुपये के 14 दिन के वेरिएबल रेट रिवर्स रीपो की नीलामी की थी लेकिन बैंकों ने केवल 2.67 लाख करोड़ रुपये ही जमा कराए थे। एयू स्मॉल फाइनैंस बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष देवेंद्र दास ने कहा, ’14 दिन की राशि और 3 दिन का वेरिएबल रेट रिवर्स रीपो दोनों बाजार के लिए सुखद आश्चर्य की तरह है। ऐसा लगता है कि कोविड की स्थिति को देखते हुए आरबीआई मौद्रिक नीति सख्त करने की योजना से फिलहाल परहेज कर रहा है।’ इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के सहायक निदेशक सौम्यजित नियोगी ने कहा कि लंबे समय तक नीति दर के यथावत रहने से आरबीआई के आंतरिक तरलता प्रबंधन और बाजार परिचालन की भूमिका अहम हो जाती है। आरबीआई ने अक्टूबर में सीधे तौर पर बॉन्ड खरीद बंद कर दी थी, जिससे बैंकिंग तंत्र में ताजा नकदी के प्रवाह पर रोक लगी थी।