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सेविंग अकाउंट, एफडी पर टैक्स नियमों को लेकर दूर करें कन्फ़्यूज़न

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 5:16 PM IST

वैसे भी वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख यानी 31 जुलाई भी नजदीक आती जा रही है। इसलिए आज बात करते हैं सेविंग अकाउंट और टर्म (फिक्स्ड/रिकरिंग) डिपॉजिट से संबंधित टैक्स नियमों के बारे में :
 
सेविंग अकाउंट
 
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80टीटीए के तहत 60 से कम उम्र के व्यक्ति के लिए बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी और पोस्ट ऑफिस के सेविंग अकाउंट पर एक वित्त वर्ष में 10 हजार रुपये तक का ब्याज टैक्स-फ्री है। यानी 10 हजार रुपये से ऊपर का ब्याज ही अन्य स्रोतों से होने वाली आय में शामिल किया जाएगा और आपको इस आय के ऊपर अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। 80टीटीए के तहत आपके जितने भी सेविंग अकाउंट होंगे, चाहे वह अलग-अलग या एक ही बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी या पोस्ट ऑफिस में हों, एक वित्त वर्ष में उन पर मिलने वाले ब्याज को जोड़ दिया जाएगा। सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस का प्रावधान नहीं है।
 
पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट
 
पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स से संबंधित एक अलग सेक्शन 10 (15) का प्रावधान  है, जिसके मुताबिक अगर किसी व्यक्ति का पोस्ट ऑफिस में सेविंग अकाउंट है तो सिंगल और ज्वाइंट अकाउंट के लिए एक वित्त वर्ष में क्रमशः 3,500 रुपये और 7,000 हजार रुपये तक के ब्याज पर टैक्स में छूट है। लेकिन ध्यान रहे अगर आपने पोस्ट ऑफिस सेविंग (सिंगल) अकाउंट के लिए 3,500 रुपये तक के ब्याज पर इस सेक्शन के तहत टैक्स में छूट का फायदा ले लिया है तो बैलेंस 7,500 रुपये ब्याज पर ही आप 80टीटीए के तहत टैक्स में छूट का फायदा ले सकते हैं। कहने का मतलब अगर आप सेक्शन 10 (15) के तहत पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स में छूट का फायदा नहीं लेते हैं तभी 10 हजार रुपये तक के ब्याज पर 80टीटीए के तहत फायदा ले सकते हैं।
 
टर्म डिपॉजिट
 
60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के लिए टर्म फिक्स्ड/रिकरिंग डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल है। यानी टर्म डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज अन्य स्रोतों से होनेवाली आय में शामिल किया जाएगा और आपको इस आय के ऊपर अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा।
 
टर्म डिपॉजिट पर टीडीएस
 
बैंक और को-ऑपरेटिव सोसायटी के टर्म डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस का प्रावधान है। अगर आपको एफडी पर ब्याज के रूप में एक वित्त वर्ष में 40 हजार रुपये से ज्यादा की आय हो रही है (सीनियर सिटीजन के मामले में 50 हजार रुपये) तो बैंक टीडीएस काटने को बाध्य हैं। अकाउंट के साथ पैन नंबर उपलब्ध रहने पर टर्म डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर 10 फीसदी के हिसाब से टीडीएस कटता है। पैन नंबर नहीं देने पर 20 फीसदी के हिसाब से टीडीएस कटता है। टीडीएस से बचने के लिए बैंक में फॉर्म 15जी या 15एच भरकर जमा करना होता है। टर्म डिपॉजिट पर टीडीएस के मामले में एक बैंक की सभी ब्रांच में मौजूद व्यक्ति की सभी टर्म डिपॉजिट से होने वाली कुल ब्याज आय को जोड़कर 40,000 रुपये सालाना (सीनियर सिटीजन के मामले में 50 हजार रुपये) तक की लिमिट काउंट की जाती है।
 
पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट पर टीडीएस का प्रावधान नहीं है।
 
एफडी पर 80सी का फायदा
 
अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर 80सी के तहत इनकम टैक्स में छूट चाहते हैं तो आपको कम से कम 5 साल की अवधि के लिए एफडी करवानी होगी। पांच साल के लिए एफडी करवाने पर आप एक वित्त वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक की राशि पर 80सी के तहत मिलने वाले टैक्स में छूट के हकदार होंगे। सामान्य एफडी की तरह ही 5 साल के एफडी पर भी मिलने वाले ब्याज पर टैक्स में कोई छूट नहीं है।
 
सीनियर सिटीजन
 
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80टीटीबी के तहत 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र के व्यक्ति यानी सीनियर सिटीजन के लिए बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी, पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट व टर्म डिपॉजिट पर एक वित्त वर्ष में 50 हजार रुपये तक मिलने वाला ब्याज टैक्स-फ्री है। मतलब सीनियर सिटीजन 80टीटीए का फायदा नहीं ले सकते। 80 टीटीबी के तहत भी आपके जितने भी डिपॉजिट हों, चाहे अलग अलग या एक ही बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी या पोस्ट ऑफिस में, एक वित्त वर्ष में उन पर मिलने वाले ब्याज को जोड़ दिया जाएगा।

First Published : July 27, 2022 | 3:28 PM IST