केंद्रीय बैंक ने विदेशी विनिमय प्रबंधन पर अपनी अद्र्घवार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि दिसंबर 2020 के अंत में भारत का आयात कवर सुधर कर 18.6 महीने पर पहुंच गया जो सितंबर, 2020 के अंत में 17.1 महीने पर था।
आरक्षित निधि के साथ लघु अवधि ऋण का अनुपात सितंबर 2020 के अंत में 18.9 फीसदी पर था जो दिसंबर 2020 के अंत में घटकर 17.7 फीसदी पर आ गया। केंद्रीय बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडारों के प्रबंधन पर अपनी अद्र्घवार्षिक रिपोर्ट में कहा कि उसी अवधि में अस्थिर पूंजी प्रवाहों (संचयी पोर्टफोलियो आगमों और बकाये लघु अवधि ऋण सहित) और आरक्षिण निधि का अनुपात 68 फीसदी से घटकर 67 फीसदी रह गया।
मार्च 2021 के अंत में रिजर्व बैंक के पास 695.31 टन सोना था। इसमें से 403.01 टन सोना विदेश में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनैशनल सैटलमेंट (बीआईएस) तथा 292.30 टन घरेलू स्तर पर रखा गया था।
मूल्य (अमेरिकी डॉलर) के संदर्भ में कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी सितंबर 2020 के अंत में करीब 6.69 फीसदी थी जो मार्च 2021 के अंत में घटकर 5.87 फीसदी रह गई थी। इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 544.69 अरब डॉलर से बढ़कर 576.98 अरब डॉलर पर पहुंच गई।
भारतीय रिजर्व बैंक के भंडरों का रखरखाव अमेरिकी डॉलर, यूरो, पाउंड स्टरर्लिंग, जापानी येन आदि विभिन्न बड़ी मुद्राओं में किया जाता है लेकिन इसमें डॉलर का प्रभाव अधिक है और इसे डॉलर में ही व्यक्त किया जाता है। विदेशी मुद्रा संपत्तियों में बदलाव मुख्य तौर पर रिजर्व बैंक द्वारा विदेश विनिमय की खरीद और बिक्री, विदेशी मुद्रा भंडारों के उपयोग से होने वाली आमदनी, केंद्र सरकार को बाहरी मदद प्राप्तियों और संपत्ति के पुनर्मूल्यांकन में बदलावों के कारण से होता है।