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भारतीय रिजर्व बैंक ने नहीं बदली दरें

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 10:59 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रीपो दर और अपने समायोजन वाले रुख को बरकरार रखा है। इसके साथ ही आरबीआई ने कहा कि बैंकिंग तंत्र में अतिरिक्त तरलता कम करने के लिए वह पारंपरिक स्थिर ब्याज दर के बजाय घट-बढ़ वाली दरों पर ध्यान देंगे।
कई अर्थशास्त्री इसे चुपके से रिवर्स रीपो दर बढ़ाने का रास्ता मान रहे हैं। हालांकि केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रीपो को अभी 3.35 फीसदी पर बनाए रखा है। लेकिन बाजार से अतिरिक्त नकदी खींचने के लिए 14 दिन की वेरिएबल रिवर्स रीपो सुविधा के उपयोग की बात भी कही गई है। आरबीआई 3 दिसंबर तक इसके जरिये बैंकिंग तंत्र से 6 लाख करोड़ रुपये खींच चुका है और 17 दिसंबर को 6.5 लाख करोड़ रुपये और 31 दिसंबर को 7.5 लाख करोड़ रुपये लिए जाएंगे। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि जनवरी 2022 से नीलामी के जरिये तरलता कम की जाएगी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इससे अल्वावधि की दरें बढ़ सकती हैं।
आरबीआई ने मौद्रिक समिति की इस साल की अंतिम बैठक में रीपो दर 4 फीसदी ही रखते हुए अपना रुख भी समायोजन वाला बनाए रखा है। लेकिन मार्जिनल स्टैंडिंग सुविधा (एमएसएफ) में थोड़ा बदलाव किया गया है। इस सुविधा के जरिये बैंक आपात स्थिति में तरलता का प्रबंध करते हैं। अब बैंक जमा आधार की 2 फीसदी तक उधारी ले सकते हैं जबकि महामारी के दौरान 3 फीसदी तक उधारी की अनुमति थी। मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों ने सर्वसम्मति से रीपो दर को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने के पक्ष में मत दिया लेकिन बाह्य सदस्य जयंत वर्मा ने आरबीआई के समायोजन वाले रुख के खिलाफ अपना मत दिया।
मौद्रिक समिति के सदस्यों ने कहा कि टीकाकरण में तेजी से आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आई है। कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर दिख रहा है और त्योहारी मांग से ठेके वाली सेवा गतिविधियों में सुधार हुआ है। निर्यात में भी तेजी आई है और गैर-तेल एवं गैर-स्वर्ण आयात मांग में सुधार के संकेत देते हैं। लेकिन कोरोनावायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन के कारण कुछ चुनौतियां भी हैं।
शक्तिकांत दास ने कहा, ‘महामारी की दूसरी लहर से आर्थिक सुधार में जो बाधा आई थी वह अब दूर हो रही है और सुधार गति पकड़ रहा है। लेकिन इसमें अभी टिकाऊ मजबूती नहीं आई है। ऐसे में नीतिगत समर्थन की जरूरत बनी हुई है।’ आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्घि दर 9.5 फीसदी रहने का अनुमान बनाए रखा है और मुद्रास्फीति 5.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। दास ने कहा कि मौजूदा परिस्थिति में मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप रखने के साथ ही सुधार में तेजी लाने पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में वृद्घि से चिंता नहीं है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने कहा कि मुद्रास्फीति में तेजी लंबे समय तक कायम नहीं रहेगी।

First Published : December 8, 2021 | 11:06 PM IST