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एनपीए के तौर पर वर्गीकृत खातों के अद्यतन के नियम किए स्पष्ट

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 11:34 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज स्पष्ट किया कि ऋणदाताओं को गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) को ‘मानक’ संपत्ति के तौर पर केवल तभी वर्गीकृत किया जाना चाहिए जब उधारकर्ता द्वारा ब्याज के समूचे बकाये और मूलधन का भुगतान कर दिया जाए।
बैंक नियामक के समक्ष ऐसी बात आई थी कि कुछ ऋणदाता संस्थान केवल ब्याज के बकायों, आंशिक बकायों आदि के भुगतान पर ही एनपीए के तौर पर वर्गीकृत खातों को मानक संपत्ति के श्रेणी में रख रहे हैं।
रिजर्व बैंक ने कहा, ‘ऐसा पाया गया है कि कुछ ऋणदाता संस्थान केवल ब्याज के बकायों, आंशिक बकायों आदि के भुगतान पर ही एनपीए के तौर पर वर्गीकृत खातों को मानक संपत्ति के श्रेणी में रख रहे हैं। इस संबंध में किसी भी तरह की दुविधा को दूर करने के स्पष्ट किया जाता है कि एनपीए के तौर पर वर्गीकृत खातों का केवल तभी मानक संपत्ति के तौर अद्यतन किया जा सकता है जब उधारकर्ता द्वारा ब्याज के समूचे बकाये और मूलधन का भूगतान कर दिया जाए।’ रिजर्व बैंक ने ऋणदाताओं को ऋण समझौतों में ऋणों के भुगतान की वास्तविक तारीख, भुगतान की बारंबारता, मूलधन और ब्याज का अलग अलग विवरण और एसएमए/एनपीए के तौर वर्गीकरण के दिनांक जैसे उदाहरणों का उल्लेख करने का निर्देश दिया है। फिलहाल जो नियम हैं उसके मुताबिक यदि बैंक द्वारा नियत तारीख को भुगतान नहीं किया जाता है तो उस रकम को बकाये के तौर पर लिया जाएगा। केंद्रीय बैंक ने पाया है कि फिलहाल ऋण समझौतों में कई बार भुगतान की वास्तविक तारीख का उल्लेख नहीं कर भुगतान की तारीख का विवरण दिया जाता है जिससे इसकी कई प्रकार से व्याख्या की गुंजाइश बन जाती है।

First Published : November 13, 2021 | 12:47 AM IST