भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने कारोबारी मॉडल को दुरुस्त करने और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को कर्ज में अपनी बाजार हिस्सेदारी मार्च 2024 तक बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने की योजना बनाई है, जो अभी 15 प्रतिशत से कुछ ज्यादा है।
भारतीय स्टेट बैंक की उप प्रबंध निदेशक (खुदरा कारोबार) सलोनी नारायणन ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि बैंक की बाजार हिस्सेदारी जमा में बढ़कर 23 प्रतिशत और एडवांस में 20 प्रतिशत हो गई है। लेकिन चिंता की बात यह है कि एसएमई बुक में बाजार हिस्सेदारी कम हो रही है। दरअसल यह 5 साल पहले के 20 प्रतिशत की तुलना में नीचे आई है।
बहरहाल वित्त वर्ष 2020-21 इस सेग्मेंट के लिए कई वजहों से बेहतर रहा, जिसमें गारंटीड इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन (जीईसीएल) शामिल है। नारायणन ने कहा कि एसएमई ऋण बुक अनुमानित रूप से 24,000 करोड़ रुपये बढ़ी है और बाजार हिस्सेदारी 15 प्रतिशत पार कर गई है।
नारायणन ने कहा कि इस क्षेत्र में भारी संभावनाओं को देखते हुए बैंक इस क्षेत्र पर केंद्रित रणनीति बना रहा है। इसमें सलाहकारों से सलाह लेकर परिचालन मॉडल को फिर से तैयार करने और नई रणनीतियों को लागू करने का काम किया जाएगा, जिससे कि एमएसएमई क्षेत्र में वृद्धि हासिल की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि संपत्ति की गुणवत्ता बरकरार है।
करीब 2,300 कॉर्पोरेट घराने एसबीआई की सेवाएं लेते हैं और वेंडर व रिटेलर के वित्तपोषण व क्लस्टर फाइनैंसिंग के लिए व्यापक संभावनाएं हैं, यहां भी बैंक को अपनी उपस्थिति बढ़ाने की जरूरत है।
एसबीआई ने अपनी खामियों का आकलन किया है कि किस स्तर पर समस्याएं आ रही हैं। नारायण ने कहा, ‘हम एसएमई के लिए चयन वाला बैंक बनना चाहते हैं।’
एसबीआई की देश भर में एसएमई केंद्रित और एमएसएमई के लिए विशेषज्ञता वाली 1,100 से ज्यादा शाखाओं का नेटवर्क है, जिनका संचालन करीब 1,770 प्रशिक्षित रिलेशनशिप मैनेजरों के माध्यम से किया जाता है।
पिछले साल बैंक ने हर जोन के लिए असिस्टेंट जनरल मैनेजरों (कुल 81) की नियुक्ति की थी, जिससे एसएमई ग्राहकों से संबंध बेहतर बनाए रखा जा सके। खासकर एसएमई बैंकिंग स्पेस में कारोबार करना अब आसान हो गया है। साथ ही बैंक के पास ढेरों आंकड़े हैं और सरकार समर्थित योजनाओं का सबसे बड़ा कर्जदाता है। इसी वजह से एसएमई कारोबार केंद्रित तरीके से करने पर विचार हो रहा है।