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छोटे कर्जदारों को मिली राहत

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 5:10 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज 50,000 करोड़ रुपये के कोविड पैकेज का ऐलान किया, जिसका मकसद टीका बनाने वाली कंपनियों, चिकित्सा उपकरण की आपूर्ति करने वालों, अस्पतालों तथा बीमारी का इलाज करा रहे रोगियों को रकम उपलब्ध कराना है। केंद्रीय बैंक ने व्यक्तिगत और छोटे कर्जदारों के लिए दो साल के कर्ज पुनर्गठन का एक और चरण भी शुरू किया। आरबीआई ने कहा कि वह 20 मई को द्वितीयक बाजार से 35,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदेगा। यह काम इस तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपये के सरकारी प्रतिभूति खरीद कार्यक्रम के तहत ही किया जाएगा। 25,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड पहले ही खरीदे जा चुके हैं। आरबीआई के उपायों से बॉन्ड प्रतिफल पर असर पड़ा और 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 6 फीसदी से नीचे आ गया।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कोरोना की दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था पर बढ़ रहे दबाव का मुकाबला करने के लिए आज अचानक संवाददाता सम्मेलन कर ठोस उपायों का ऐलान किया। दास ने कहा, ‘तात्कालिक लक्ष्य हर संभव तरीकों से मानव जीवन को बचाना और आजीविका सुनिश्चित करना है।’ उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए युद्ध स्तर पर काम करेगा कि वित्तीय हालात अनुकूल रहें और बाजार कुशलता से काम करता रहे। गवर्नर ने कहा, ‘इस मुश्किल घड़ी में हमारे नागरिक जिस परेशानी का सामना कर रहे हैं, उससे बचाने और हालात सुधारने के लिए हम सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे। जरूरत पडऩे पर हम अपारंपरिक उपायों और नए तरीकों को आजमाने के लिए तैयार भी हैं।’
बैंकों द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा ऋण 31 मार्च, 2022 तक दिए जाएंगे, जिन्हें तीन साल में वापस किया जा सकता है। इन्हें प्राथमिक क्षेत्र के ऋण की श्रेणी में रखा जाएगा। प्राथमिक क्षेत्र के ऋण के लिए बैंकों को नकद आरक्षी अनुपात या सांविधिक तरलता अनुपात बरकरार रखने की जरूरत नहीं होती और यह कर्ज रियायती दर पर उपलब्ध होता है।
बैंक इसके लिए रीपो दर पर पैसे जुटा सकते हैं। इसके तहत टीका विनिर्माताओं, टीका और प्राथमिकता वाले चिकित्सा उपरकणाों के आयातकों/आपूर्तिकर्ताओं, अस्पतालों, डिस्पेंसरियों, पैथोलॉजी लैब, ऑक्सीजन एवं वेंटिलेटर विनिर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं तथा कोविड की दवाओं के आयातकों और लॉजिस्टिक फर्मों एवं मरीजों को उपचार के लिए ऋण दिए जा सकते हैं। बैंक ये ऋण सीधे या मध्यस्थ के जरिये दे सकते हैं और इसके लिए उन्हें एक कोविड ऋण खाता बनाना होगा। आरबीआई ने कहा कि ऋणदाता कोविड ऋण खाते के आकार तक की अपनी अधिशेष राशि केंद्रीय बैंक के पास रीपो दर से 25 आधार अंक कम पर यानी 3.75 फीसदी पर रख सकते हैं। फिलहाल बैंक अपनी अतिरिक्त राशि 3.35 फीसदी की रिवर्स रीपो पर जमा कराते हैं। भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि 50,000 करोड़ रुपये की यह राशि देश के कुल 6 लाख करोड़ रुपये के स्वास्थ्य व्यय की करीब 9 फीसदी है।    
सौम्यकांति घोष ने कहा, ‘प्रत्यक्ष सहायता से क्षेत्र में तकरीबन 80,000 करोड़ रुपये की मांग पैदा होगी। इससे जैव रसायन, रबड़, प्लास्टिक आदि क्षेत्रों को भी लाभ होगा।’ कोविड का दबाव कम करने के लिए आरबीआई गवर्नर ने व्यक्तिगत कर्जदारों एवं छोटे कारोबारों के लिए कर्ज पुनर्गठन की सुविधा भी बढ़ा दी है। का भी विस्तार किया है। इसके तहत 25 करोड़ रुपये तक के बकाये वाले वे कर्जदार अपना कर्ज दो साल के लिए पुनर्गठित करा सकते हैं, जिन्होंने पहले मॉरेटोरियम या पुनर्गठन का लाभ नहीं लिया है। यह सुविधा 30 सितंबर तक उपलब्ध होगी और बैंक इस बारे में अनुरोध प्राप्त होने के 90 दिन के अंदर कर्ज का पुनर्गठन करेंगे। इस योजना के तहत 31 मार्च तक के मानक ऋण का पुनर्गठन किया जाएगा। दास ने कहा कि पिछले साल दो साल से कम अवधि के कर्ज पुनर्गठन की सुविधा लेने वाले व्यक्तिगत कर्जदार और छोटे कारोबारी अपने पुनर्भुगतान की अवधि को दो साल तक के लिए बढ़ाने का अनुरोध कर सकते हैं।
इंडियन बैंक्स एसोसएिशन के मुख्य कार्याधिकारी सुनील मेहता ने कहा कि करीब 90 फीसदी कर्जदार ऋण पुनर्गठन के पात्र होंगे। उन्होंने कहा कि यह मानक ऋण के लिए है, लेकिन 89 दिन के बकाये वाले कर्जदार भी पुनर्गठन का लाभ ले सकेंगे। इसका मतलब हुआ कि अगर किसी खाते में एक या दो महीने तक कर्ज का भुगतान नहीं किया गया है, वे भी पुनर्गठन का लाभ उठा सकते हैं।
आरबीआई ने लघु वित्त बैंकों के लिए विशेष दीर्घावधि रीपो परिचालन सुविधा भी शुरू की है, जहां से बैंक रीपो दर पर 10,000 करोड़ रुपये तक की पूंजी ले सकते हैं और प्रति कर्जदार 10 लाख रुपये तक नया ऋण दे सकते हैं। लघु वित्त बैंक द्वारा 500 करोड़ रुपये तक के सूक्ष्म वित्त संस्थानों को दिए गए कर्ज को प्राथमिक क्षेत्र के तौर पर माना जाएगा। इसके लिए बैंक को इस तरह के कर्ज के लिए नकद आरक्षी अनुपात या सांविधिक तरलता अनुपात बरकरार रखने की जरूरत नहीं होगी।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अचानक किए गए इन उपायों के बाद कई अन्य उपाय भी किए जा सकते हैं। जून में मौद्रिक नीति की बैठक में भी कुछ उपायों की घोषणा की जा सकती है।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि आरबीआई मान रहा है कि इस बार पिछले साल की तुलना में असर कम होगा। ऐसे में मॉरेटोरियम की घोषणा किए जाने की संभावना फिलहाल नहीं है। लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए आने वाले महीनों में आरबीआई कुछ अन्य उपायों की घोषणा कर सकता है।
भारत में डॉयचे बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास ने भी कहा कि यह पहला कदम है और जून की नीति में आरबीआई अन्य नियामकीय उपायों का ऐलान कर सकता है।

First Published : May 5, 2021 | 11:35 PM IST