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सामान्य होने की ओर स्टेट बैंक का कारोबार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 11:00 PM IST

वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के कारण लगे प्रतिबंधों को धीरे धीरे वापस लिए जाने से आर्थिक गतिविधियों के गति पकडऩे के बाद देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक कर्ज देने की मात्रा में करीब 6-7 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। कुछ उपश्रेणियों को लेकर अभी चिंता बनी हुई है, लेकिन बैंक का कहना है कि उसका कारोबार कोविड के पहले के कारोबार की तुलना में 70 से 80 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया है।
बैंक के नए चेयरमैन के रूप में कार्यभार संभालने के बाद पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दिनेश कुमार खारा ने कहा कि खुदरा कर्ज में वृद्धि बेहतर है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन जब कॉर्पोरेट ऋण में वृद्धि की बात आती है, हमें इस तथ्य को ध्यान में रखना होता है कि तमाम कॉर्पोरेट धन के लिए पूंजी बाजार मेंं जा रहे हैं। इसलिए अगर हम गैर एसएलआर पोर्टफोलियो में अपनी वृद्धि देखेंं तो यह करीब 10 प्रतिशत है।’  
उन्होंने आगे कहा, ‘हमें नई हकीकतों को देखना होगा और कॉर्पोरेट की जरूरतें कर्ज या फिर निवेश बाजार के माध्यम से पूरी करनी होगी। हमें उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए साथ मिल गया है। अगर कॉर्पोरेट अपनी जरूरतेंं पूरी करने के लिए एनसीडी बाजार, सीबी बाजार से धन जुटाने में ज्यादा सहूलियत महसूस करते हैं तो हम उनकी सभी जरूरतें पूरी करने में सक्षम हैं।’
स्टेट बैंक के चेयरमैन के पद पर खारा की नियुक्ति वित्त मंत्रालय ने मंगलवार रात की। 2017 से तीन साल तक बैंक का नेतृत्त्व करने वाले रजनीश कुमार सेवानिवृत्त हो गए हैं।
खारा ने कहा कि उनकी सबसे अहम प्राथमिकता कर्मचारियों और ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और बही खाते की गुणवत्ता बरकरार रखना है। कर्ज देने में एसबीआई की बाजार हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है, जबकि जमा में बाजार हिस्सेदारी 23 प्रतिशत है। नए चेयरमैन का ध्यान कर्ज देने की मात्रा बेहतर और तेज करना और एनआईएम की सुरक्षा करने पर होगा।
अपने निजी प्रतिस्पर्धियों की तरह स्टेट बैंक अपनी बैलेंस सीट मजबूत करने पर ध्यान देगा, जिससे कोविड-19 के झटके का किसी तरह से विपरीत असर न पड़े। खारा ने कहा कि बैंक की मौजूदा पूंजी पर्याप्तता की स्थिति बेहतर है।
उन्होंने कहा, ‘जिस तरह की कर्ज वृद्धि हम देख रहे हैं, हमारा मानना है कि हम अभी अच्छी स्थिति में हैं। पूंजी की बढ़ी हुई मांग के लिए हम पूंजी बाजारों में पहुंचेंगे। अभी हम कुछ समय तक देखो और इंतजार करो की नीति अपनाएंगे।’
उन्होंने कहा कि बैंंक प्रावधान की जरूतों के बारे में जानता है और प्रावधान के मामले में पहले की रणनीति जारी रहेगी। बहरहाल अभी तत्काल भविष्य में म्युचुअल फंड कारोबार और जनरल इंश्योरेंस बिजनेस को सूचीबद्ध करने की जरूरत नहीं है।
जहां तक पुनर्गठन का सवाल है, अब तक बैंंक के पास तमाम कार्पोरेट नहीं पहुंचे हैं. लेकिन बैंक को भरोसा है कि अगर ऐसे मामले आएंगे, जो वह उसकी प्रबंधन क्षमता की सीमा के भीतर होंगे। इसी तरह से व्यक्तिगत ऋण के मामले में भी पुनर्गठन के ज्यादा आवेदन नहीं आए हैं।

First Published : October 7, 2020 | 11:16 PM IST