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बैंक जमा में उछाल और निकासी का अजीबोगरीब रुझान

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 10:55 PM IST

पेटीएम और नायिका के सार्वजनिक आरंभिक निर्गम (आईपीओ) की खरीद के लिए बड़ी मात्रा में संभवत: वैश्विक पूंजी का इस्तेमाल किया जा रहा है और साथ ही आयात के लिए उच्च भुगतान किए जा रहे हैं। शायद यही वजह है कि नवंबर 2021 में बैंक जमाओं में बड़ी उछाल और उसके बाद बड़ी मात्रा में निकासी का दौर देखा गया।
अर्थव्यवस्था के और गति पकडऩे और पूंजी बाजार से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों द्वारा धन निकालने से जमा वृद्घि की रफ्तार आगे और सुस्त पड़ सकती है।    
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों से पता चलता है कि वाणिज्यिक बैंकों का जमा 5 नवंबर, 2021 को समाप्त पखवाड़े में 2.1 फीसदी यानी 3.35 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 160.46 लाख करोड़ रुपये हो गया। हालांकि, उसके अगले पखवाड़े में जमाओं में 1.7 फीसदी यानी 2.67 लाख करोड़ रुपये की तेज गिरावट आई और 19 नवंबर, 2021 को यह 157.8 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर आ गया। बैंकरों का कहना है कि आमतौर पर जमाओं में तेजी और संकुचन का रुझान तिमाही के समाप्त होने के समय पर नजर आता है। खातों में रकम की वृद्घि तिमाही के अंतिम पखवाड़े में हुई और इसमें संकुचन नई तिमाही के पहले पखवाड़े के अंत में आया।    
बैंकरों का कहना है कि प्रथम दृष्टि में ऐसा लगता है कि बड़ी रकम यानी कि वैश्विक धन पेटीएम और नायिका के सार्वजनिक निर्गमों के लिए आया। इस प्रक्रिया के पूरा होने पर प्रणाली से पैसा निकल गया जिसके कारण बकाया जमाओं में गिरावट आई। यह स्थिति 19 नवंबर, 2021 को समाप्त पखवाड़े में बनी। ऐसा बार बार होने की संभावना कम रहती है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक जमाओं में यह वृद्घि और उसके बाद गिरावट बहुत ही उलट रुझान है। इसमें कहा गया है कि जमाओं में वृद्घि और उसके बाद गिरावट के रहस्य को समझ पाना मुश्किल हो सकता है लेकिन इससे तरलता प्रबंधन/वित्तीय स्थिरता पर प्रश्न खड़े होते हैं।
दिवाली के हफ्ते में जमाओं में 3.3 लाख करोड़ रुपये की उछाल कभी नहीं देखी गई क्योंकि उस समय पर हमेशा ही मुद्रा रिसाव और सहवर्ती जमा गिरावट की स्थिति रहती है।
एसबीआई रिपार्ट में कहा गया है कि इस प्रकार की बड़ी वृद्घि कुछ ही बार नजर आई है। इससे पहले जमाओं में 30 सितंबर, 2016 को समाप्त तिमाही में 3.55 लाख करोड़ रुपये और 26 नवंबर, 2016 को समाप्त तिमाही में 4.16 लाख करोड़ रुपये की वृद्घि हुई थी। 16 नवंबर में जमाओं में वृद्घि नोटबंदी की वजह से दर्ज की गई थी। वहीं मार्च और अप्रैल पखवाड़े में वृद्घि की वजह साल के अंत में होने वाली मौसमी वृद्घि होती है। ऐसे में जमाओं में मौजूदा उछाल के लिए विस्तार से कारण जानने की जरूरत है। बैंकरों ने कहा कि पूंजी के आगम और निकासी के अलावा कॉर्पोरेटों ने आर्थिक गतिविधि में सकारात्मक उछाल को ध्यान में रखते हुए कारोबारी उद्देश्यों के लिए भी अधिक धन का इस्तेमाल शुरू किया है। आगामी महीनों में यह रुझान प्रमुखता से नजर आएगा।
19 नवंबर, 2021 तक की 12 महीनों की अवधि में जमाओं में 9.8 फीसदी की वृद्घि हुई जो एक वर्ष पहले 20 नवंबर, 2020 तक के 12 महीने में दर्ज 10.9 फीसदी की वृद्घि के मुकाबले कम है।
5 नवंबर, 2021 को समाप्त पिछले पखवाड़े में जमा वृद्घि 11.4 फीसदी रही थी। इसके उलट, ऋण विस्तार की रफ्तार लय पकड़ रही है। 19 नवंबर, 2021 तक के 12 महीने की अवधि में ऋण वृद्घि 7 फीसदी रही जो एक वर्ष पहले 5.8 फीसदी रही थी।  

First Published : December 11, 2021 | 12:07 AM IST