वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने आज कहा कि सार्वजनिनक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण के लिए भारत सरकार की कोशिशों को राजनीतिक प्रतिरोध और कई ढांचागत चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें कोविड-19 महामारी की वजह से बैलेंस शीट पर पैदा हुआ दबाव भी शामिल है।
महामारी की वजह से बैंक प्रदर्शन अगले दो से तीन वर्षों तक कमजोर बने रहने की आशंका है। अधिनियम में बदलाव के पक्ष राजनीतिक समर्थन को लेकर सरकार को बड़ी बाधा का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा इस समय व्यापार यूनियनों से भी प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। फिच ने एक बयान में कहा है कि सरकार की इस योजना की सफलता के लिए सरकारी बैंकों में खरीदारी और उन्हें संचालित करने के लिए निवेशकों से अच्छी दिलचस्पी जरूरी होगी।
निजीकरण योजना की घोषणा वित्त वर्ष 2022 के लिए सरकार के व्यापक विनिवेश लक्ष्यों के हिस्से के तौर पर 2021-22 के बजट में की गई थी। इसमें कई अन्य गैर-वित्तीय सरकारी स्वामित्व वाली इकाइयों के निजीकरण और पूर्ण स्वामित्व वाली भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की सूचीबद्घता जैसी घोषणाएं भी की गई थीं।
फिच ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से व्यवसाय और उपभोक्ता विश्वास प्रभावित हुआ है।