नए आयकर (आईटी) पोर्टल पर करों और शुल्कों, जुर्माने, आईटी अधिनियम के तहत भुगतान किए जाने वाले रिफंडों आदि के संग्रह के लिए और अधिक निजी बैंकों को जोड़ा जाएगा।
पोर्टल पर शीघ्र ही यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड सहित कई सारे भुगतान विकल्प मुहैया करा दिए जाएंगे।
फिलहाल, करदाताओं के पास बड़े निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के नेट बैंकिंग के जरिये भुगतान करने का विकल्प है जिससे ऐसे करदाताओं को मुश्किल होती है जिनका बैंक पोर्टल का हिस्सा नहीं है। डेबिट कार्ड से भुगतान की सुविधा दी गई, लेकिन व्यापक तौर पर उसका उपयोग नहीं होता है।
नए ई-फाइलिंग पोर्टल के दूसरे संस्करण को 7 जून को शुरू किया गया था। इसमें कर फाइलिंग की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है और करदाताओं को विकल्प दिए गए हैं। इस मामले के जानकार एक अधिकारी ने कहा, ‘हम और अधिक भुगतान विकल्प जोडऩे की प्रक्रिया में हैं जिससे करदाताओं को बैंकिंग लेनदेन करने के लिए विकल्प मिलेंगे और ग्राहक की सुविधा में भी इजाफा होगा।’
अधिकारी के मुताबिक सेवा मुहैया कराने के इच्छुक बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मंजूरी लेनी होगी, जो शर्तों को पूरा करने पर ही मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘मौजूदा बैंकों के साथ भुगतान के और अधिक विकल्प देने में एक महीने का समय लगेगा।’
पता चला है कि हाल में कुछ निजी बैंकों ने कर पोर्टल पर सेवा देने सहित सरकारी काम करने के लिए प्राधिकार लेने के लिए आवेदन किया। उन्होंने यह आवेदन अप्रैल में रिजर्व बैंक की ओर से परिवर्तित दिशानिर्देश की घोषणा के बाद किया। इसमें कहा गया था कि मजबूत निजी बैंक सरकारी कामकाज कर सकते हैं।
परिवर्तित नियमों की एक शर्त में कहा गया है कि ऐसे निजी क्षेत्र के अधिसूचित बैंक जो रिजर्व बैंक की त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई (पीसीए) तंत्र में नहीं आते हैं सरकारी काम कर सकते हैं जिसके लिए उन्हें केंद्रीय बैंक से एक करार करना होगा।
फिलहाल, 17 बैंकों को प्रत्यक्ष करों के संग्रह के लिए अधिकृत किया गया है जिनमें से अधिकांश पीएसयू बैंक हैं। इनमें भारतीय स्टेट बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, पंजाब नैशनल बैंक और एचडीएफसी बैंक शामिल है। रिजर्व बैंक के नए नियमों का हवाला देकर एक सूत्र ने कहा इनमें से कुछ सरकारी ऋणदाता, जो पीएसए तंत्र में हैं, उनकी समीक्षा की जा सकती है।
रिजर्व बैंक ने अपने ताजा दिशानिर्देशों में कहा, ‘उल्लेखनीय है कि सरकार रिजर्व बैंक के साथ परामर्श कर समय समय पर विभिन्न सरकारी पहलों और योजनाओं के पैमाने पर एजेंसी बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा कर सकती है। इसके आधार पर संबंधित बैंक से सरकारी कामकाज करने के लिए दी गई अनुमति वापस ली जा सकती है।’
रिजर्व बैंक के नए नियम वित्त मंत्रालय के फरवरी के परिपत्र के अनुरूप हैं जिसमें निजी क्षेत्र के बैंकों को नए सरकारी कामकाज सौंपने पर सितंबर 2012 में लगाई गई रोक हटा ली गई थी। 2012 में मंत्रालय ने कुछ निजी बैंकों को छोड़कर बाकी को तीन साल के लिए सरकार कामकाज करने की अनुमति नहीं दी थी।
2015 में सरकार ने इस रोक को जारी रखा और जो निजी बैंक मौजूदा सरकारी एजेंसी के कामकाज को कर रहे थे उन्हें पहले की तरह अनुमति जारी रखी।
सरकारी एजेंसी के काम करने के लिए रिजर्व बैंक बैंकों को कमीशन का भुगतान करता है। केंद्रीय बैंक केंद्र और राज्य सरकारों के सामान्य बैंकिंग कामकाज को एजेंसी बैंकों के माध्यम से करवाता है। इस काम के लिए इन बैंकों की नियुक्ति आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45 के तहत की जाती है।
बैंकों को राजस्व प्राप्तियों, केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से भुगतान करने, पेंशन का भुगतान करने और रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित अन्य काम करने पर कमीशन दिया जाता है। ताजा निर्देश केंद्र सरकार के कामकाज से संबंधित है।