ऐक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ चौधरी मौजूदा उतार-चढ़ाव वाले दौर में विलय एवं अधिग्रहण के जरिये वृद्धि पर नजर बनाए रखने और बैंक की वित्तीय स्थिति में बदलाव लाने के लिए उत्साहित हैं। उन्होंने रघु मेनन के साथ बातचीत में यह स्पष्ट किया कि वह अपनी रणनीति में बदलाव नहीं लाएंगे। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
बैंक में जिम्मेदारी संभालने के बाद से विकास की दौर बना हुआ है, जबकि अन्य बैंकों ने ज्यादा सतर्कता बरती। आप अपने दृष्टिकोण के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
हमने भी सतर्कता बरती, लेकिन वृद्धि के अवसरों को हासिल करने में भी दिलचस्पी दिखाएंगे। हम परिसंपत्ति गुणवत्ता समस्याओं से उबर चुके हैं, और अपना ध्यान अर्द्ध-शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में परिसंपत्ति-आधारित रणनीति के साथ रिटेल पर बढ़ाएंगे। हमने होलसेल बैंकिंग में बेहतर रेटिंग वाली कंपनियों को पसंद किया है और नए एसएमई (लघु एवं मझोले उद्यम) टेम्पलेट बनाए। हमने सुधरते प्रतिफल अनुपात के साथ मजबूत बैलेंस शीट तैयार की है। मेरा मानना है कि हमारी परिसंपत्ति गुणवत्ता अब शायद पर्याप्त पूंजी , प्रतिफल अनुपात में सुधार और प्रावधान कवरेज अनुपात के साथ शानदार है।
क्या आप ब्याज दर चक्र और यूक्रेन संकट के बाद की दुनिया में अर्थव्यवस्था के बारे में अपना अनुमान बता सकते हैं?
केंद्रीय बैंकों ने नीतिगत दर वृद्धि और मुद्रास्फीति नियंत्रण के लिए बैलेंस शीट में नरमी लाकर, दोनों तरह की कोशिशों के जरिये सख्त मौद्रिक नीति पर जोर दिया है। ऊर्जा आपूर्ति और क्षेत्रीय वैल्यू-चेन में समस्याओं के साथ वैश्विक वृद्धि और व्यापार और कमजोर होने की आशंका है। वहीं भारत भी इन समस्याओं से नहीं बच सकता और वैश्विक संकट से प्रभावित होने का अनुमान है। चीन की वृद्धि में सुधार से धातु कीमतें बढ़ सकती हैं, जो पिछले कुछ महीनों के दौरान नीचे आ गई थीं। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपना वित्त वर्ष 2023 का जीडीपी वृद्धि अनुमान 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है, लेकिन इससे गिरावट का जोखिम जुड़ा हुआ है। इस वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में आर्थिक वृद्धि काफी मजबूत रही, लगातार ऊंची मुद्रास्फीति मुख्य चिंता है। ऊंची उत्पादन लागत एमएसएमई के लिए समस्या बन गई है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023 में 6.7 प्रतिशत सीपीआई मुद्रास्फीति का अनुमान जताया है।
मैं कहना चाहूंगा कि ये सभी अनिश्चितताएं उन देशों के पक्ष में काम करेंगी, जो वित्तीय रूप से मजबूत, बड़े और बाजार में अच्छी स्थिति में हैं। उस स्थिति में, मेरा मानना है कि इससे भारत में बड़े संस्थानों, खासकर वित्तीय क्षेत्र को बाजार भागीदारी बढ़ाने का अवसर मिल सकता है।
अर्थव्यवस्था अभी भी चिंताओं से मुक्त नहीं हुई है, जिसे देखते हुए कुछ बैंकों ने रिटेल के संदर्भ में आसान रणनीति पर अमल करने का निर्णय लिया है। लेकिन आपका रिटेल खंड पूरे बहीखाते का 57 प्रतिशत पर है। इस पर आपकी क्या राय है?
हमने रिटेल बहीखाते को बढ़ाने के लिए रणनीतियों पर काम किया है और इसके परिणाम हमारी रणनीति के अनुरूप सामने आए हैं। हमें इस तथ्य से भी मदद मिली है कि हमारी होलसेल बुक में कई अच्छी गुणवत्ता वाली कंपनियां शामिल हैं। अत्यधिक तरलता और आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में बदलाव की वजह से कंपनियां उचित दरों पर उधारी में सक्षम थीं। जैसे ही होलसेल बहीखाते में वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ी और रिटेल में इजाफा हुआ, रिटेल की भागीदारी भी बढ़ी है। कंपनियों से कुल ऋण मांग ताजा पूंजीगत खर्च के मुकाबले पुराने कर्ज निपटाने के लिए अधिक है। निजी और सरकारी पूंजीगत खर्च बढ़ने पर हमें रिटेल ऋणों की भागीदारी अपने पोर्टफोलियो में 60 प्रतिशत से ज्यादा हो जाने की उम्मीद है।