भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नव गठित कार्य समिति एक ऐसी एजेंसी बनाने पक्ष में है जो वित्त तकनीक (फिनटेक) कंपनियों के लिए एक छत्र संस्थान के रूप में कार्य करे। इस एजेंसी की आवश्यकता इसलिए पड़ रही है कि कुछ डिजिटल उधारी एप्लीकेशन (ऐप) द्वारा चलाए जा रहे संग्रह और वसूली प्रक्रिया के खिलाफ शिकायतें बढ़ती जा रही हैं।
फिलहाल गैर बैंकिंग वित्त कंपनी (एनबीएफसी) लाइसेंस धारक डिजिटल ऋणदाताओं की निगरानी केंद्रीय बैंक करता है वहीं ऋण देने वाले ऐप विनियमित नहीं हैं और केवल वे कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से पंजीकृत हैं।
13 जनवरी को रिजर्व बैंक ने कार्यकारी निदेशक जयंत कुमार दास की अध्यक्षता में डिजिटल उधारी पर कार्यसमूह का गठन किया था। इसमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप के जरिये दिए जाने वाले ऋण को भी शामिल किया गया है। रिजर्व बैंक के वक्तव्य में कहा गया है, ‘यह समति विनियमित वित्त क्षेत्र के साथ विनियमन से बाहर की कंपनियों द्वारा डिजिटल उधारी गतिविधियों के सभी पहलुओं का अध्ययन करेगी ताकि एक उपयुक्त नियामक प्रस्ताव लाया जा सके।’
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक डिजिटल ऋणदाताओं के लिए अलग से बनाई जाने वाली एजेंसी का ढांचा भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) की तरह का होगा। यह भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के प्रावधानों के तहत रिजर्व बैंक और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की एक पहल होगी।
एनपीसीआई को 2008 में एक गैर-लाभकारी कंपनी के तौर पर निगमित किया गया था। भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, केनरा बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, सिटीबैंक और एचएसबीसी सहित 10 बैंक इसके प्रमुख प्रमोटर थे। फिलहाल एनपीसीआई के 56 बैंक सदस्य हैं। इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा, ‘बैंकों और बड़ी फिनटेक कंपनियों को शामिल कर इसी तरह के एक साझेदारी वाले मॉडल पर विचार किया जा रहा है।’
इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा, ‘रिजर्व बैंक एक स्वतंत्र एजेंसी बनाने के पक्ष में इसलिए है कि इसे मौजूदा बैंकिंग विनियमन अधिनियम में मामूली बदलावों के साथ स्थापित किया जा सकता है और इसलिए प्रक्रिया बहुत तीव्र होगी।’
एजेंसी एक निश्चित समायावधि पर रिजर्व बैंक को रिपोर्ट करेगी। फिनटेक एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर एंपावरमेंट (फेस) के सह संस्थापक सत्यम कुमार ने कहा, ‘इसके पीछे विचार यह है कि फिनटेक कंपनियों को मंजूरी देने और विनियमित करने का एक तंत्र हो।’
इस मामले से अवगत एक अन्य व्यक्ति ने कहा, ‘एजेंसी सबसे पहले रुपये के रंग पर विचार करेगी या फिनटेक कंपनियों की फंडिंग के स्रोतों पर विचार करेगी। यह विषय सबसे अधिक प्राथमिकता वाला होगा।’ इसके अलावा, फिनटेक कंपनी की होल्डिंग ढांचे की भी गहन जांच की जाएगी।