पहली बार डेवलपर्स ने यह बात मानी है कि खरीदार का इरादा खरीदारी करने का कतई नहीं है और इन ग्राहकों को लुभाने का सिर्फ एक तरीका है कि इन्हें सीधे कैश डिस्काउंट दिया जाए।
बड़े शहरों में कई रियल एस्टेट कंपनियां कीमतों में कटौती करने पर विचार कर रही हैं। कीमतों में कटौती अलग-अलग पांच से दस फीसदी के बीच हो सकती है।
उदाहरण के लिए इंडियारेट बेंगलुरु के अपने विला प्रोजेक्ट की कीमतों में 15 फीसदी तक की कटौती करने का विचार कर रही है।
दूसरे डेवलपर्स जैसे मुंबई में अजमेरा समूह भी एक सीमित अवधि के लिए कैश डिस्काउंट देने के बारे में विचार कर रहा है।
अजमेरा समूह के प्रबंध निदेशक और रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रजनीकांत अजमेरा ने कहा कि अभी हमें इसका निर्णय करना है कि डिस्काउंट स्टांप ड्यूटी में छूट, बैंक के साथ समझौता करके आवास ऋण में छूट या त्योहारों के मौसम में ग्राहकों को लुभाने के लिए सीधे कैश डिस्काउंट में से कौन सा रास्ता अपनाया जाए।
नई परियोजना की कीमत कम
त्यौहारों के मौसम में डेवलपर्स कुछ नई सस्ती परियोजनाओं की घोषणा भी कर सकते हैं क्योकि इसी मौसम में डेवलपर्स का 60 फीसदी से ज्यादा का कारोबार होता है।
यदि आप किसी ऐसी संपत्ति को खरीदने का विचार कर रहे हैं तो यह भी संभावना बनती है कि डेवलपर्स ने पहले ही डिस्काउंट पर ऐसी परियोजनाओं को शुरू कर दिया हो।
मुंबई में डेवलपर्स ने कहा कि नियमों में हुए सुधार के बाद वे कम कीमत पर नई परियोजनाएं लाएंगे। सरकार ने डेवलपर्स को किसी जमीन पर अब कई मंजिला भवन बनाने की अनुमति दे दी है जबकि पहले ऐसी अनुमति नहीं थी। सरकार ने फ्लोर स्पेस इंडेक्स को भी बढ़ा दिया है।
नेपच्यून समूह के प्रबंध निदेशक नयन भेदा का कहना है कि हम मुंबई के पूर्वी उपनगरीय इलाके में एक करोड़ रुपये में चार बेडरूम का अपार्टमेंट उपलब्ध करा रहे हैं।
दिल्ली में डीएलएफ जैसे डेवलपर्स मध्यम वर्गीय आय वाली हाउसिंग पर ध्यान दे रहे हैं। रियल एस्टेट विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनी ने अपने लक्जरी प्रोजेक्ट की कीमतों को भी पुर्ननिर्धारित किया है।
हाल ही में कंपनी ने एक परियोजना लांच की है जिसमें 194 यार्ड के 36 विला बनाए जाएंगे और इन विला की कीमत 90 लाख रुपये होगी। यह एक से डेढ़ साल पहले की कीमत डेढ़ करोड़ रुपये से काफी कम है। इसके अलावा कई अन्य डेवलपर्स ने यह घोषणा की है कि वे भी कम कीमतों पर अपनी परियोजनाएं बेचेंगे।
बेंगलुरु की रियल एस्टेट कंपनी पूर्वंकरा ने हाल ही में निम्न मध्यम वर्ग आय वाले लोगों के लिए परियोजना की शुरुआत की है जिसमें घरों की कीमत 10 से 20 लाख से शुरू होंगी। दिल्ली में यूनिटेक और ओमैक्स ने भी ऐलान किया है कि वे कम कीमत वालें घर बेचेंगे।
अन्य छूट
त्यौहारों के माहौल में विभिन्न तरह के समारोह होना आम बात है। इन समारोहों में भी अक्सर फ्लैट की बुकिंग करने का पूरा मौका मिल जाता है।
होम लोन कंपनियां इन समारोहों के दौरान छूट और ऑफर के साथ आती है जैसे प्रोसेसिंग चार्ज में छूट। प्रोसेसिंग चार्ज कुल लोन की कीमत के एक फीसदी तक हो सकते हैं।
मुंबई में सालाना रियल एस्टेट समारोह आयोजित करने वाली महाराष्ट्र चैंबर ऑफ हाउसिंग इंड्रस्टीज के एक सदस्य का कहना है कि कई डेवलपर्स बैंकों के साथ समझौता करके व्यक्तिगत छूट देने का प्रयास कर रहे हैं।
बातचीत से छूट अर्जित करना
यदि डेवलपर्स के पास किसी विशेष परियोजना के कुछ फ्लैट बचे हुए हैं तो बिल्डर सीधे कीमत कम करने की बात नहीं कहेगा, बल्कि आपको खुद उससे बात करनी होगी।
क्रेडाई के पूर्व अध्यक्ष रमानी शास्त्री कहते हैं कि कोई ब्यक्ति अपनी जिंदगी में अपने घर के रूप में ही सबसे बड़ी खरीदारी करता है। पहले के ग्राहक काफी बुरा महसूस करेंगे यदि डेवलपर्स फ्लैट को कम कीमत पर बेचना शुरू करते हैं।
इंडिया रेट के प्रबंध निदेशक रमेश जोगानी भी ग्राहकों को बिल्डर से मोलभाव करने के लिए कहते हैं। उन्होंने कहा कि यदि ग्राहक चेकबुक के साथ बिल्डर के साथ बैठता है तो निश्चित है कि वह छूट हासिल करेगा। जिनके प्रोजेक्ट चल रहे हैं वे जल्दी कम कीमतों की बात नहीं कहेंगे।
बदलाव
डेवलपर्स के पास अब सस्ते प्रोजेक्ट बेचने के अलावा कुछ ही विकल्प हैं। खरीदारों ने खरीदारी को ऊंची रियल एस्टेट कीमतों और ऊंचे होमलोन दरों की वजह से टाल रखा है।
विभिन्न अनुमानों के मुताबिक पांच साल पहले शुरू हुए प्रॉपर्टी बूम के साथ रियल एस्टेट की कीमतों में 400 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। दूसरी ओर ब्याज दरों में भी 4.5 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है।
हालांकि पिछले एक सालों में चीजे बहुत तेजी से बदली हैं। रियल एस्टेट कंपनियों के लिए प्रॉपर्टी की कीमतों पर स्थिर रहना मुश्किल हो गया है। उन्हें अपने कारोबार में जबरदस्त गिरावट भी देखनी पड़ी है। उदाहरण के लिए दिल्ली के पार्श्वनाथ ने इस वित्तीय वर्ष में अपने राजस्व में 17 फीसदी की बढ़त हासिल की जबकि पिछले साल कंपनी ने 135 फीसदी बढ़त हासिल की।
यूनिटेक ने अपनी बिक्री में 26 फीसदी की धीमी बढ़त हासिल की जबकि पिछले साल कंपनी ने 253 फीसदी की बढ़त हासिल की थी।
एक अंतरराष्ट्रीय प्रॉपर्टी सलाहकार फर्म का कहना है कि औसत बिक्री में इस साल करीब 60 फीसदी की कमी आई है। जोगानी कहते हैं कि उनके कारोबार में पिछले साल की तुलना में 40 फीसदी की गिरावट आई है।
यह गिरावट सिर्फ बडे शहरों में नही हुआ है, चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि छोटे शहरों में भी बिक्री में फरवरी से जुलाई के बीच 25 फीसदी की कमी आई है।
जिसकी वजह ऊंची ब्याज दरें और रियल एस्टेट कीमतें हैं। आंकडों में महंगाई को भी मांग में कमी आने की वजह माना गया है।