बड़ी फंड योजनाओं में अच्छे प्रतिफल की राह चुनौतीपूर्ण

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 5:46 AM IST

देश के सबसे बड़े सक्रिय रूप से प्रबंधित इक्विटी फंडों को पिछले एक साल और तीन साल की अवधि में शानदार प्रतिफल हासिल करने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बाजार कारोबारियों का कहना है कि कई बड़ी योजनाओं में वृद्घि का रुझान दर्ज किया गया था जब वैल्यू थीम ने पिछले एक साल में बाजार के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया।
वैल्यू रिसर्च के आंकड़े से पता चलता है कि कोटक फ्लेक्सीकैप फंड ने पिछले एक और तीन वर्ष की अवधि में 55.83 प्रतिशत और 10.52 प्रतिशत का प्रतिफल दिया। कोटक फ्लेक्सीकैप फंड 34,744 करोड़ रुपये की परिसंपत्ति वाली सबसे बड़ी शुद्घ इक्विटी योजना है। आदित्य बिड़ला सन लाइफ फ्रंटलाइन इक्विटी फंड, मिरई ऐसेट लार्ज कैप फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ब्लूचिप फंड और एचडीएफसी टॉप-100 जैसी बड़ी योजनाओं ने पिछले एक साल में 54-56 प्रतिशत के दायरे में प्रतिफल दिया।
तुलनात्मक तौर पर, निफ्टी-200 टोटल रिटर्न इंडेक्स (टीआरआई) ने पिछले एक साल में 64.22 प्रतिशत और पिछले तीन साल में 11.17 प्रतिशत का सालाना प्रतिफल दिया।
एक फंड प्रबंधक ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘पिछले एक साल में, धातु, आईटी, रियल्टी और विद्युत जैसे क्षेत्रों का प्रदर्शन शानदार रहा। कई योजनाओं ने वित्तीय क्षेत्र में बड़ा निवेश किया। इससे पिछले एक साल में कमजोर प्रदर्शन को बढ़ावा मिला।’
पिछले एक साल में, मेटल इंडेक्स और आईटी इंडेक्स में 154 प्रतिशत और 111 प्रतिशत तक की तेजी आई। मेटल शोयरों में इस्पात कीमतें बढऩे, आय में सुधार और बेहतर उत्पादन की वजह से अच्छी तेजी दर्ज की गई। जहां निफ्टी-50 टीआरआई का प्रतिफल पिछले एक साल में 62.87 प्रतिशत रहा।
हालांकि 5 साल और 10 साल की अवधि के दौरान, कई फंड अच्छे अंतर से प्रमुख सूचकांकों को मात देने में कामयाब रहे।
बड़ी योजनाओं के कमजोर प्रदर्शन ने अक्सर इसे लेकर बहस को बढ़ावा दिया है कि क्या बड़ी योजनाओं में ज्यादा निवेश से प्रतिफल प्रभावित होता है।
प्राइमइन्वेस्टर की सह-संस्थापक विद्या बाला का कहना है कि ज्यादा एयूएम की वजह से कमजोर प्रदर्शन मिडकैप और स्मॉलकैप श्रेणी की योजनाओं के लिए मुख्य समस्या है। जहां लार्जकैप या मल्टीकैप के लिए प्रतिफल मुख्य तौर पर फंडों के आकार के बजाय फंडों की खास रणनीति पर आधारित होता है।
उन्होंने कहा, ‘हम यह नहीं कह सकते कि ज्यदा एयूएम वाले फंडों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। कमजोर प्रदर्शन का कारण फंड हाउस द्वारा ऐसी रणनीतियां भी हो सकती हैं जो कारगर साबित नहीं हुई हों। उदाहरण के लिए, रणनीति के तौर पर वृद्घि के थीम ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और वैल्यू में पिछले कुछ महीनों में तेजी आनी शुरू हुई है।’

First Published : April 19, 2021 | 12:01 AM IST