मैं 58 साल का हूं और मैनें सेना से प्रि-मेच्योर रिटायरमेंट के लिए आवेदन किया है। मौजूदा समय में मैं सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी में काम कर रहा हूं। मेरा वेतन और मेरी पेंशन मेरे मासिक खर्चों के लिए पर्याप्त है।
मैंने अपने रिटायरमेंट के लिए म्युचुअल फंड और आरबीआई बांड में 35 लाख का निवेश किया है। मेरे दोनों बेटे विवाहित हैं और मेरा वित्त्तीय लक्ष्य दो साल में अपने रिटायरमेंट के लिए योजना बनाना है। मेरा निवेदन है कि मेरा पोर्टफोलियो देंखे और उसकी पुनर्संरचना के बारे में बताएं। – के आर रेड्डी
वित्त्तीय लक्ष्य
रिटायरमेंट के बाद एक नियमित राशि प्राप्त करना
आकलन
अच्छे फंडों का चुनाव
पारंपरिक और बिना जोखिम वाला रुख
पोर्टफोलियो में कई फंड शामिल होना
उचित इक्विटी-डेट अनुपात
कम लार्ज कैप आवंटन (53 फीसदी)
अच्छी क्वालिटी के 22 फंडों में से 11 का एलोकेशन पांच फीसदी से नीचे
फंड की इक्विटी होल्डिंग 267 शेयरों में है जबकि डेट होल्डिंग 124 डेट इंस्ट्रूमेंट में फैली हुई है
डाइवरसिफाइड सेक्टर एलोकेशन जिसमें पांच शीर्ष सेक्टर का हिस्सा 62 फीसदी
कुछ गड़बड़ियां
डाइवरसिफिकेशन का मतलब यह नहीं है कि पोर्टफोलियो में बहुत सारे फंड होने चाहिए। कुछ फंडों से भी उद्देश्य पूरा हो सकता है। निवेश हमेशा अनुशासित होकर और नियमित करना चाहिए ताकि आप गिरते हुए बाजार में अपने निवेश के बारे में चिंतित न हों।
हमारा मानना है कि आपका निवेश काफी अच्छा है। विशेषकर आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी और डेट का मिश्रण है जो आपको नियमित रिटर्न भी देता है और गिरते हुए बाजार में पूंजी भी सुरक्षित रहती है। आपके निवेश में कुछ गलतियां भी हैं। हम अनुभव करते हैं कि आपके पोर्टफोलियो के पीछे ग्रे-एरिया होने की मुख्य वजह कुछ निवेश किस्से हैं। आगे बढ़ने के पहले हम उन्हें साफ करना चाहते हैं।
धारणा: बहुत सारे फंडों से ही डाइवर्सिफिकेशन होता है।
अधिकतर निवेशकों की यह गलत धारणा होती है कि फंडों की जितनी संख्या होगी पोर्टफोलियो उतना ही डाइवरसिफाइड होगा। पर यह बात सही नहीं है। कुछ संख्या में अच्छे फंड ही डाइवर्सिफिकेशन दे सकते हैं। इसके अलावा बहुत सारे फंडों से पोर्टफोलियो का प्रबंधन मुश्किल हो जाता है।
धारणा: एकमुश्त निवेश बेहतर होता है।
लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले निवेशकों को एकमुश्त राशि का निवेश करने से बचना चाहिए। नियमित और अनुशासित तरीके से निवेश करना हमेशा अच्छा विकल्प होता है और इससे रुपए की कॉस्ट एवरेजिंग करने में मदद मिलती है, विशेषकर उतार-चढ़ाव के समय।
धारणा: जब निवेशक रिटायरमेंट के करीब हो तो उसे इक्विटी निवेश घटा देना चाहिए।
यह बहुत साधारण धारणा है। लक्ष्य एक डेट-इक्विटी के बेहतर मिश्रण का होना चाहिए न कि ऊंचा डेट निवेश। डेट इंस्ट्रूमेंट में ऊंचे निवेश से कैपिटल पूंजी कम हो सकती है, खासकर तब जब महंगाई लगातार बढ रही है। लेकिन इक्विटी पर समुचित एक्सपोजर से महंगाई के प्रभाव से निपटा जा सकता है। हमें आशा है कि कुछ धारणाएं स्पष्ट हुई होंगी। अब आपके पोर्टफोलियो की गलतियों को स्पष्ट करते हैं।
सलाह
आय की जरूरत का उचित अनुमान लगाया जाना चाहिए।
फंडों की संख्या घटाएं।
कुछ अच्छे डाइवर्सिफाइड फंड रखें जिनका बड़ी कंपनियों में निवेश हो।
करों में राहत के लिए मीडियम और लांग टर्म होराइजन में से डेट फंडों का चुनाव करें।
एसआईपी के जरिए निवेश करें।
एक साल में इक्विटी और डेट के अनुपात को फिर से निर्धारित करें।
आप नियमित निकासी योजना का विकल्प भी चुन सकते हैं जिसमें नियमित अंतराल पर पूंजी वापस मिलती हो और ये फंड ग्रोथ ऑप्शन वाले हों। आपके रिटायरमेंट के बाद यह करों में राहत के लिहाज से भी काफी अच्छा रहेगा।