आमतौर पर जब कोई व्यक्ति पहले से मौजूद बीमारी (पीईडी) के साथ स्वास्थ्य बीमा योजना खरीदना चाहता है तो उसके साथ तीन तरह की बातें हो सकती हैं। पहले तो उसका आवेदन ही खारिज किया जा सकता है। दूसरा, उसे स्वास्थ्य बीमा तो दे दिया जाता है मगर पहले से मौजूद बीमारी को बीमा के दायरे से पूरी तरह बाहर कर दिया जाता है। तीसरी स्थिति में उसे पहले से मौजूद बीमारी को बीमा के दायरे में लाने के लिए 2 से 4 साल तक इंतजार करना पड़ सकता है।
पिछले सप्ताह आदित्य बिडला हेल्थ इंश्योरेंस ने अपनी योजना में संशोधन करते हुए ‘एक्टिव हेल्थ एन्हांस’ योजना पेश की। इस योजना की खासियत यह है कि जो व्यक्ति पहले से दमा, रक्तचाप, कलेस्ट्रॉल और मधुमेह जैसी बीमारियों से ग्रस्त है, उसे भी पहले दिन से ही बीमा का पूरा कवरेज मुहैया कराया जाता है। दूसरी बीमा कंपनियां भी इसी तरह की योजनाएं लेकर आ रही हैं, जिनमें पीईडी यानी पहले से मौजूद बीमारी को पहले दिन से ही बीमा में शामिल कर लिया जाता है।
इस तरह की बीमा योजना की मांग बहुत अधिक है। स्टार हेल्थ ऐंड अलाइड इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एस. प्रकाश कहते हैं, ‘किसी को पहले से ही बीमारी होती है तो वह डर के साथ जीता है। उसे अपनी बीमारी के लिए तत्काल बीमा कवर चाहिए और वह 4 साल तक इंतजार नहीं करना चाहता।’
पॉलिसीबाजार में स्वास्थ्य कारोबार के प्रमुख अमित छाबड़ा कहते हैं, ‘इस तरह के ग्राहकों को भय रहता है कि उन्हें किसी भी दिन बीमा का दावा करना पड़ सकता है। इसलिए वे पहले दिन से ही बीमा कवर को वरीयता देते हैं।’
बीमा का लाभ
ये उत्पाद ग्राहकों को पुरानी बीमारियों के साथ बीमा करवाने में सक्षम बनाते हैं। सिक्योर नाउ इंश्योरेंस ब्रोकर के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक कपिल मेहता कहते हैं, ‘जिन ग्राहकों को मधुमेह या दिल से संबंधित कोई बीमारी है, उन्हें सामान्य स्वास्थ्य बीमा आसानी से नहीं मिल पाता। मिलता भी है तो इन बीमारियों को बीमा के दायरे से बाहर कर दिया जाता है। नई विशेष पॉलिसी ऐसे ग्राहकों को बीमा का फायदा दिलाने में मदद करती हैं।’
कुछ बीमा कंपनियां स्थिति संभालने के लिए ग्राहकों के साथ काम करती हैं। आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस के मुख्य कार्याधिकारी मयंक बथ्वाल कहते हैं, ‘हम प्रत्येक ग्राहक को स्वास्थ्य कोच मुहैया कराते हैं।’ यह दोनों के लिए फायदे का सौदा होता है। बीमा पॉलिसी लेने वाले को स्वस्थ जीवन जीने का मौका मिलता है और बीमा कंपनी के पास ज्यादा दावे भी नहीं आते हैं।
उच्च मूल्य
इस तरह के बीमा का प्रीमियम लंबी प्रतीक्षा अवधि वाले बीमा दावों के मुकाबले काफी अधिक होता है। बथ्वाल कहते हैं, ‘इस तरह के बीमा से जुड़े ग्राहकों के लिए जोखिम ज्यादा रहता है, इसलिए कीमत भी अधिक रहती है।’ वह बताते हैं कि ग्राहक की बीमारी और उनकी संख्या के हिसाब से प्रीमियम की राशि तय होती है। यदि उसे केवल एक बीमारी है, तो प्रीमियम सामान्य से 10-15 प्रतिशत अधिक हो सकता है और अगर उसे ज्यादा बीमारियां हैं, तो यह 20-25 प्रतिशत अधिक हो सकता है। हालांकि ऐसी पॉलिसी में बीमा राशि कम रह सकती है। मेहता कहते हैं, ‘अपने जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए, बीमाकर्ता बीमा राशि को सीमित कर सकता है।’ ग्राहक को चिकित्सा परीक्षणों से भी गुजरना पड़ सकता है। रिन्यूबाय के सह-संस्थापक और प्रमुख अधिकारी इंद्रनील चटर्जी कहते हैं कि ऐसी योजनाएं आम तौर पर बिना चिकित्सकीय परीक्षण के उपलब्ध नहींं कराई जाएंगी।
क्या करें
मेहता बताते हैं कि अगर आपको पहले से होने वाली बीमारी बहुत मामूली है तो सामान्य बीमा पॉलिसी लेनी चाहिए। वह कहते हैं, ‘पहले से बीमारी होने पर भी बड़ी बीमाकर्ता कंपनी आपको बीमा सेवा उपलब्ध करा सकती है। इसके लिए आपको ज्यादा प्रीमियम देना होगा।’ हालांकि ऐसे में आपको बीमा कवर के तहत आने के लिए कुछ अवधि तक इंतजार करना पड़ सकता है। 90 दिनों या 12 महीनों की अवधि तक इंतजार कराने वाली बीमा पॉलिसी उपलब्ध हैं। अगर आप सामान्य बीमा पॉलिसी खरीदने में नाकाम रहते हैं तो इन बीमा पॉलिसियों में से कोई एक खरीदें। मेहता कहते हैं, ‘सभी बीमारियों का खुलासा करें। बाद में दावा निरस्त होने की आशंका को कम करते हुए अपनी बीमारियों से जुड़ी सभी स्थितियों का विस्तार से खुलासा करें।’
प्रकाश के अनुसार ग्राहक पहले यह सुनिश्चित कर ले कि योजना में कोई दूसरी रोकटोक तो मौजूद नहीं है। केवल प्रीमियम राशि की तुलना करके बीमा पॉलिसी न खरीदें। चटर्जी कहते हैं, ‘कई बार हो सकता है कि अधिक प्रीमियम वाली पॉलिसी अपने दिमाग को ज्यादा शांति दे क्योंकि इसकी कवरेज का दायरा ज्यादा रहेगा।’ अंत में व्यक्ति को अपनी बीमारी की स्थिति समझते हुए फैसला करना चाहिए कि प्रतीक्षा अवधि वाला बीमा लेना है या सामान्य बीमा।