कोविड संक्रमण की दूसरी लहर और देश भर में लगाए जा रहे लॉकडाउन से निवेशकों की चिंता बढ़ रही है। हालांकि इस घटनाक्रम से मौजूदा आर्थिक सुधार में देरी हो सकती है, लेकिन ये सोने जैसे सुरक्षित निवेश के लिए सकारात्मक साबित हो सकते हैं। यह पीली धातु पहले ही अपने एक साल के सबसे निचले स्तर से करीब 6.2 फीसदी ऊपर आ चुकी है।
क्वांटम ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी में वरिष्ठ कोष प्रबंधक (वैकल्पिक निवेश) चिराग मेहता ने कहा, ‘महामारी के मोर्चे पर अनिश्चितता फिर लौट आई है। नई लहर एवं वायरस के नए स्वरूपों की वजह से लॉकडाउन लगाए जा रहे हैं, जिससे शेयर जैसी जोखिम वाली परिसंपत्तियों में गिरावट आ सकती है। इसके चलते निवेशक पिछले साल की तरह जोखिम से बचने की कोशिश करेंगे, जिसका सोने को फायदा मिल सकता है।’
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रमुख (जिंस अनुसंधान) हरीश वी ने कहा, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था में कमजोरी के किसी भी संकेत से सोने के पक्ष में रुझान मजबूत हो सकता है।’
भौतिक मांग लौटी
देश में इस साल जनवरी से मार्च तक 321 टन सोने का आयात हुआ, जो पिछले साल की इसी अवधि से 124 टन अधिक है। सोने की मांग कुछ और महीने मजबूत रहने से इसकी कीमतों को अच्छा समर्थन मिल सकता है।
महंगाई का असर
देश में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर मार्च, 2021 में बढ़कर 5.52 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि यह पिछले महीने 5.03 फीसदी थी। यहां तक कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का भी अनुमान है कि अगले एक साल के दौरान महंगाई पांच फीसदी रहेगी। भारत सहित दुुनियाभर के वित्तीय बाजारों में बड़े पैमाने पर नकदी झोंके जाने से महंगाई बढ़ सकती है। मेहता ने कहा, ‘अपनी अर्थव्यवस्थाओं को सहारा देने के लिए सरकारों द्वारा दिए जा रहे प्रोत्साहनों से महंगाई का आधार तैयार हो गया है क्योंकि पैसा धीरे-धीरे वास्तविक अर्थव्यवस्था में पहुंच जाता है। ऊंची महंगाई के दौर में सोना अच्छा प्रदर्शन करता है। इसके अलावा सोने की कीमतों में सबसे बड़े कारकों में से एक माने जाने वाली वास्तविक ब्याज दरों पर भी ऊंची महंगाई के कारण दबाव रहेगा, जिससे सोने की कीमतों को सहारा मिलेगा।’
जोखिम से सुरक्षा
पिछले एक साल के दौरान शेयरों का अच्छा प्रदर्शन रहा है। लेकिन इस समय शेयरों की कीमत काफी ऊंची है। लॉकडाउन या आर्थिक मंदी कंपनियों की आमदनी पर असर डाल सकती है, जिससे शेयरों में तेजी का रुझान पटरी से उतर सकता है। इसकी झलक 12 अप्रैल, 2021 को दिखी थी। उस समय सेंसेक्स 3.4 फीसदी लुढ़क गया था। ऐसी उतार-चढ़ाव की घटनाओं के कारण निवेशक हेजिंग के रूप में सोने में निवेश कर सकते हैं। सोना लंबी अवधि में डॉलर के मुकाबले रुपये के अवमूल्यन के जोखिम से भी सुरक्षा दे सकता है।
ऋणात्मक वास्तविक रिटर्न
बॉन्ड प्रतिफल कमजोर होने और महंगाई बढऩे से वास्तविक प्रतिफल (नॉमिनल प्रतिफल में से महंगाई को घटाने के बाद) पर दबाव है। निवेशकों को एक साल की सावधि जमाओं पर पांच फीसदी ब्याज मिल रहा है, इसलिए उन्हें असल में कोई प्रतिफल नहीं मिल रहा है। कर के बाद तो उनका वास्तविक प्रतिफल ऋणात्मक दायरे में आ जाता है। जब वास्तविक प्रतिफल ऋणात्मक हो जाता है तो निवेशक अपनी क्रय शक्ति की सुरक्षा के लिए सोने में निवेश करते हैं।
लंबी अवधि का निवेश
सोने में निवेश करते समय परिसंपत्ति आवंटन का तरीका अपनाएं। पिछले छह महीनों के दौरान शेयरों में बढ़त और सोने की कीमतों में गिरावट से सोने में हमारा आवंटन कम हो गया होगा, इसलिए अब इसकी समीक्षा करें। मेहता ने कहा, ‘सोने की कीमतें अगस्त, 2020 की ऊंचाई से नीचे हैं। सस्ती कीमतों पर खरीदारी करने वालों और लंबी अवधि के निवेशकों को मौजूदा कम कीमतों का फायदा उठाना चाहिए।’ हरीश वी सलाह देते हैं कि सोने को लघु अवधि के निवेश के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। वह कहते हैं, ‘सोने में लंबी अवधि (पांच साल या अधिक) के लिए व्यवस्थित तरीके से निवेश करें ताकि पूंजी के मूल्य में अच्छा इजाफा हो। अगर आप लघु अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आपको इससे दूर रहना चाहिए।’ आम तौर पर सोने में 10 से 15 फीसदी आवंटन को सही माना जाता है। यह आवंटन हासिल करने के लिए गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (वे तरलता मुहैया कराते हैें) और सॉवरिन गोल्ड बॉन्डों (लंबी अवधि के निवेश के लिए) का इस्तेमाल करें।