आज से निवेशकों को निवेश का एक और जरिया मिलने वाला है। दरअसल नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) 29 अगस्त से करेंसी फ्यूचर यानी मुद्रा का वायदा कारोबार शुरू करने जा रहा है।
इस कारोबार को शुरू करने के साथ ही एनएसई देश का पहला ऐसा एक्सचेंज बन जाएगा, जिसे करेंसी फ्यूचर में कारोबार की अनुमति मिली हो। देश भर के 300 स्टॉक ब्रोकर फर्म इसकी सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं, इनमें 10-12 बैंक (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक आदि) भी शामिल हैं।
खबर है कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने इस बाबत आवेदन किया है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज और नैशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज करेंसी फ्यूचर कारोबार शुरू करने की बाबत मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। एमसीएक्स को इस संबंध में सैध्दांतिक मंजूरी मिल चुकी है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और सेबी की टेक्निकल कमिटी ने फिलहाल सिर्फ और सिर्फ डॉलर में करेंसी फ्यूचर कारोबार को अनुमति दी है। छह महीने बाद आरबीआई और सेबी की टेक्निकल कमिटी इसकी समीक्षा करेगी और उसके बाद ही तय हो पाएगा कि डॉलर केअलावा मसलन यूरो या येन में फ्यूचर ट्रेडिंग की अनुमति दी जाए या नहीं।
करेंसी फ्यूचर बोले तो
यह कारोबार स्टॉक फ्यूचर या निफ्टी फ्यूचर की तरह है। फर्क सिर्फ इतना है कि करेंसी फ्यूचर में शेयर की जगह डॉलर पर बोली लगाई जाएगी। इसकी कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव के हिसाब से किसी निवेशकों की लाभ-हानि का आकलन होगा। सरल शब्दों में कहें तो किसी निर्धारित दर पर भविष्य की किसी तारीख को डॉलर की खरीद-बिक्री ही करेंसी फ्यूचर ट्रेडिंग कहलाता है।
कौन होगा भागीदार
इस कारोबार में वैसे लोग भागीदार हो सकते हैं जिन्हें डॉलर में लेन-देन करना होता है। या फिर इसमें वैसे लोग शामिल हो सकते हैं जिन्हें डॉलर की प्राप्ति होने वाली हो। दरअसल इस मुद्रा में होने वाले उतार-चढ़ाव से पैदा होने वाली जोखिम को कम करने में जिसकी भी रुचि होगी, वह इस कारोबार में शामिल हो सकता है यानी वे हेजिंग कर सकते हैं।
मुख्य रूप से आयातक और निर्यातक इस कारोबार में शामिल होंगे। बड़े कॉरपोरेट घराने के अलावा छोटे कारोबारी भी इसमें हिस्सेदारी कर सकते हैं क्योंकि कारोबार की पारदर्शिता उन्हें इस ओर लुभाएगी। वैसे बड़े कॉरपोरेट घराने अभी बैंक के जरिए फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट करते हैं। फॉरेन इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर (एफआईआई) और प्रवासी भारतीय (एनआरआई) को इस कारोबार में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी गई है।
कैसे होगा कारोबार
फिलहाल एनएसई 12 महीने का अनुबंध उपलब्ध करा रहा है यानी सितंबर 2008 से अगस्त 2009 तक केलिए कोई भी भागीदार करेंसी फ्यूचर में पोजिशन ले सकता है। लॉट साइज होगा 1000 डॉलर का। इसमें अधिकतम 50 लाख डॉलर की पोजिशन ली जा सकेगी। इसका सेटलमेंट हर महीने के आखिरी कारोबारी दिन होगा।
दिन में 12 बजे के भाव के आधार पर नकदी आधार पर सेटलमेंट होगा यानी इसमें न तो डिलिवरी देने की जरूरत होगी और न ही डिलिवरी लेने की जरूरत। इस तरह से हर कारोबारी को उनकी खरीद-बिक्री के हिसाब से नकद में सेटलमेंट कर दिया जाएगा।
फिलहाल विदेशी मुद्रा का रोजाना कारोबार करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये का है। इस कारोबार पर सिक्युरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) नहीं लागू होगा। वैसे कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री ने करेंसी फ्यूचर पर एसटीटी लगाए जाने का विरोध किया है। सीआईआई का कहना है कि करेंसी फ्यूचर पर एसटीटी नहीं लगाया जाना चाहिए। वर्तमान में स्टॉक एक्सचेंज के जरिए होने वाले सभी कारोबार पर प्रति लाख 17 रुपये का एसटीटी लगता है।
क्या करे निवेशक
स्टॉक ब्रोकिंग फर्म अलंकित असाइनमेंट लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट मुकेश चंद्र अग्रवाल के मुताबिक, निवेशक को एनएसई से करेंसी फ्यूचर कारोबार करने की अनुमति लेने वाले स्टॉक ब्रोकिंग हाउस में करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा और मेंबर-क्लाइंट अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने होंगे। कारोबार के हिसाब से क्लाइंट को तीन फीसदी की मार्जिन मनी जमा करानी होगी।
स्मार्ट टिप्स
स्टॉक ब्रोकर के पास करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट में अकाउंट खुलवाना होगा
चूंकि डिलिवरी का प्रावधान नहीं है लिहाजा डीमैट की जरूरत नहीं
तीन फीसदी की मार्जिन मनी जमा करानी होगी
बाजार के उतार-चढ़ाव पर निवेशक की जोखिम निर्भर करेगी