एस्टेट प्लानिंग वह प्रक्रिया है जिसके तहत आप अपनी सभी परिसंपत्तियों (सामूहिक तौर पर एस्टेट) को अपनी इच्छानुसार हिताधिकारी को हस्तांतरित करते हैं। इसमें मेडिकल केयर भी शामिल हो सकता है। आइए एस्टेट प्लानिंग की कुछ मूलभूत बातों को समझते हैं।
एस्टेट
किसी व्यक्ति की सभी परिसंपत्तियों में से उसकी देनदारियां घटा दी जाए तो बची परिसंपत्ति एस्टेट कहलाती है। संक्षेप में, बैक के खाते, निवेश, बीमा में से अगर किसी व्यक्ति की देनदारी घटा दी जाए तो बची परिसंपत्ति को सामूहिक रूप से उसका एस्टेट कहते हैं।
वसीयत
सामान्य शब्दों में वसीयत एक ऐसा दस्तावेज है जो आपके एस्टेट को लेकर आपकी इच्छाओं को सुनिश्चित करता है, जो आपकी मृत्यु के बाद लागू होने वाला होता है।
कानूनी भाषा में, ‘किसी वसीयतकर्ता की अपनी जायदाद संबंधी वह वैधानिक घोषणा जिसे वह अपनी मृत्यु के बाद प्रभावी होते देखना चाहता है, वसीयत कहलाती है।’ मूल बात यह है कि वसीयत वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद ही प्रभावी होती है। वसीयत करने की प्रक्रिया काफी आसान है। इसमें न तो स्टांप ड्यूटी लगती है और न ही पंजीकरण शुल्क।
हालांकि, अधिकांश विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि वसीयत का पंजीकरण निश्चित तौर पर करवा लेना चाहिए ताकि यह सुरक्षित रहे। वसीयत पर दो लोगों की गवाही होना जरूरी है, इनमें से एक तरजीही तौर पर चिकित्सक होना चाहिए।
निर्वाहक
वह व्यक्ति जो वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद वसीयत में लिखी बातों को क्रियान्वित करता है, निर्वाहक कहा जाता है। निर्वाहक सभी उद्देश्यों के लिए मृत व्यक्ति का कानूनी प्रतिनिधि होता है।
किसी निर्वाहक की पहचान करना सबसे महत्वपूर्ण निर्णय होता है। पतिपत्नी एक-दूसरे की वसीयत के निर्वाहक हो सकते हैं लेकिन अगर दोनों की ही मृत्यु हो जाए तब? यह जरूरी है कि आप किसी वैकल्पिक निर्वाहक की पहचान करें। आपको ऐसे निर्वाहक की पहचान करनी चाहिए जिसके मरने की संभावना आपसे पहले न हो।
हिताधिकारी
हिताधिकारी वह होता है जिसे वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद उसकी परिसंपत्तियां मिलती हैं। आपको यह बात बतानी चाहिए कि आप अपनी परिसंपत्तियां किस प्रकार वितरित करना चाहते हैं। इसमें ऐसे लोगों के नाम भी शामिल होने चाहिए जिन्हें आप अपनी मृत्यु के बाद अपनी परिसंपत्ति का सारा या कुछ हिस्सा देना चाहते हैं।
संप्रमाण
संप्रमाण (प्रोबेट) एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत मृत व्यक्ति की एस्टेट का निपटारा किया जाता है। इसके तहत मुख्य रूप से सभी दावों का निपटारा और मृत व्यक्ति की जायदाद का वितरण उसकी वसीयत के अनुसार किया जाता है।