निवेश के नगीने

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 5:23 PM IST

शेयर बाजार में चल रही भारी मंदी, वैश्विक स्तर पर कीमतों में बदलाव और बाजार के अनिश्चित हालात ने घरेलू निवेशकों की नींद उड़ा दी है।


अभी बाजार का हाल देखकर कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा है कि शेयर बाजार में जल्द ही पहले की तरह फिर से तेजी आ पाएगी। लेकिन यह बात सही है कि बाजार की यह स्थिति लंबे समय तक निवेश करने वालों के लिए अवश्य ही फलदायी साबित हो सकती है। लंबी पारी खेलने वाले निवेशक भी इस स्थिति में ऊंची-ऊंची छंलाग लगाने को तैयार नजर आ रहे हैं।


क्योंकि इस समय मंहगे से मंहगे शेयर भी कम भाव पर मिल रहें है। वर्तमान में वैश्विक बाजार में चल रही इस ऊहापोह और घरेलू बाजार में गिरती कीमतों के कारण कोई भी आसानी से उन कंपनियों को खोज सकता है जो प्रतिवर्ष अपने कारोबार में 25 से 30 फीसदी वृद्धि करेंगी। साफ शब्दों में अगर कहा जाए तो ये कंपनियां अपना कारोबार तीन साल में दोगुना कर लेंगी।


विशेषज्ञों ने हमेशा ही इस बात का सुझाव दिया है कि घरेलू स्तर पर वृद्धि के लिए बुनियादी ढांचे, दूरसंचार, तेल और गैस, बैंकिग, मीडिया और रिटेल क्षेत्र में निवेश किया जाए। निवेश से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए जरुरी है कि ऐसे शेयरों को चुना जाए, जो निश्चित तौर पर अच्छा परिणाम दे सकते हों। बाजार में मुनाफा कमाने के लिए जरुरी है कि निवेश को मजबूत आधार दिया जाए। इसके लिए निवेश में अच्छा प्रंबधन, बाजार में नेतृत्व, अच्छी वृद्धि दर और जोखिम का कम होना जरुरी है।


स्मार्ट इनवेस्टर के पिछले संस्करणों में ऐसे ही कुछ शेयरों का उल्लेख किया गया था, जिनमें अच्छे निवेश वाली सभी विशेषताएं थीं। इन शेयरों में रिलांयस इंडस्ट्रीज, रिलांयस कम्युनिकेशन्स, ब्लू स्टार , एल एंड टी  और एडुकोंप प्रमुख थी।  अपने पिछले संस्करण की तर्ज पर स्मार्ट इनवेस्टर इस बार भी कुछ ऐसी कंपनियों के शेयरों को लेकर आया है, जो पाठकों को लंबे निवेश पर भारी मुनाफा दे सकते हैं।


एबीबी


बिजली और आटोमेशन तकनीक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों में से एक एबीबी के शेयर भी लंबे समय के निवेश के लिए अच्छा विकल्प हो सकते हैं। एबीबी बिजली के ट्रांसमिशन और वितरण से भी जुड़ी हुई हैं। कंपनी ने 2007 के अंत तक अपने कारोबार में अच्छी खासी वृद्धि दर्ज की है। इस वर्ष कंपनी ने अपने कारोबार में 39 फीसदी की वृद्धि की जो कि लगभग 5930 करोड़ रुपये के आस-पास है।


कंपनी के कारोबार में आई यह वृद्धि पिछले वर्ष के 5020 करोड़ रुपये के कारोबार से लगभग 12.2 फीसदी ज्यादा थी। आगे भी कं पनी के कारोबार में इसी तरह की वृद्धि की उम्मीद है। भारत में ग्याहरवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान बिजली क्षेत्र में लगभग 616,300 करोड़ रुपये का निवेश होना है। इसमें ट्रांसमिशन और वितरण (जहां एबीबी का दबदबा है) के लिए लगभग 174,300 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद लगाई जा रही है।


अपने 1 अरब डॉलर के निवेश को पूरा करने के साथ ही कंपनी ने अपनी निर्माण इकाई को भी उन्नत किया हैं। कंपनी ने अगले 18 महीने के भीतर इतनी ही राशि का एक और निवेश करने की घोषणा की है। विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी का कारोबार 2010 तक बढ़कर दोगुना हो जाएगा।


एचडीएफसी


एचडीएफसी के शेयर भी लंबे समय वाले निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते है। एचडीएफसी अपनी क्षमताओं के अनुसार अन्य दूसरे निजी और सार्वजनिक बैंको के साथ प्रीमियम के आधार पर व्यापार करती है। ऐसा करते हुए एचडीएफसी ने ब्याज लिमिटं ,रिटर्न की दरं ,लाभ वृद्धि और संपत्ति की गुणवत्ता में अच्छा-खासा रिकार्ड बना रखा है।


पिछले चार वर्षों में बैंक ने एडवांस में 42 फीसदी, शुद्ध ब्याज की कमाई में 40 फीसदी और शुद्ध लाभ में 31 फीसदी का जोरदार वृद्धि दर्ज की है। एचडीएफसी ने जल्द ही घोषणा की है कि भविष्य में वह और छोटे निजी बैंकों का अधिग्रहण करेगी। ऐसा करने से एचडीएफसी बैंक की भौगोलिक पंहुच का विस्तार होगा।  इस कड़ी में एचडीएफसी ने सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब का अधिग्रहण भी कर लिया हैं। 


एचडीएफसी की शाखाओं क ी संख्या में 52 फीसदी की वृद्धि हुई है और अब उसकी शाखाएं 1148 हो गई हैं। एचडीएफसी की शाखाओं का जाल उत्तर और दक्षिण भारत काफी सशक्त है।एचडीएफसी की बैलेंस शीट के आकार में 37 फीसदी, कुल एडवांस में 43 फीसदी और कुल जमा में 43 फीसदी का इजाफा हुआ है। लेकन एचडीएफसी बैंक के कासा (करेंट और सेविंग बैंक अकांउट) की रफ्तार 58 फीसदी से घटकर 50 फीसदी हो गई है।


इसके अलावा एचडीएफसी द्वारा अधिग्रहीत सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब क ी रिटेल क्षेत्र में मजबूत स्थिति, छोटे व मध्यम उद्यमों में अच्छी पकड़, तीसरी पार्टी के उत्पादों के वितरण और केरल में लार्ड कृष्णा बैंक के अधिग्रहण के कारण अप्रवासी केरल निवासियों का एक बहुत बड़ा समूह ग्राहक के तौर पर मिल गया है।


आईडीएफसी


इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी (आईडीएफसी) शुरु से ही बुनियादी ढांचा क्षेत्र की मजबूत कं पनियों में शुमार रही है। इसके पीछे कंपनी का लंबा कारोबारी इतिहास और योजना निर्माण में सरकार के सहायक की भूमिका निभाना रहा है। थोक वित्तीय व्यापार में बढ़ते दबावों के कारण आईडीएफसी ने अपनी फीस के आधार पर होने वाली कमाई को बढ़ाने की रणनीति तैयार की है।


इसके लिए कंपनी और दूसरे क्षेत्रों में निवेश करने के साथ वर्तमान में विभिन्न कं पनियों में अपनी हिस्सेदारी को भी बढ़ाएगी। आने वाले कुछ वर्षो में देश में बुनियादी ढांचे के विस्तार में लगभग 500 बिलियन डॉलर का निवेश होना है।


बुनियादी ढांचे के इस विस्तार को देखते हुए साफ लगता है कि कंपनी के कारोबार में बढ़ोत्तरी की अपार संभावनाए हैं। दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी से होते विकास के आधार पर कहा जा सकता है कि पिछले चार वर्षो के  दौरान भारतीय परिसंपति प्रंबधन इंडस्ट्री में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की हुई हैं और भविष्य में भी ऐसी ही प्रगति की उम्मीद है।


रिलांयस पेट्रोलियम


प्रमोटर कंपनी रिलांयस इंडस्ट्रीज की रिलांयस पेट्रोलियम (आरपीएल) में भी निवेश के अच्छे अवसर हैं। दुनिया की इस छठी सबसे बड़ी रिफाइनरी में सालाना दो करोड़ नब्बे लाख टन तेल शोधन होना है। उम्मीद है कि यह रिफाइनरी दिसंबर 2008 के पहले ही लग जाएगी। विश्लेषकों का मानना है कि 2012 तक रिफाइनरी मार्जिन में काफी बढ़ोत्तरी होगी। रिफाइनरी मार्जिन वर्ष 2008-12 के बीच पांच से दस डॉलर प्रति बैरल रहने की उम्मीद है।


इसका कारण मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर होना और नई रिफाइनरियां आने वाले चार-पांच साल में लगना है। वैश्विक स्तर पर उठाई जा रही पर्यावरण संरक्षण की मांग को देखते हुए हल्के और पर्यावरण अनुकूल पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में भी इजाफा होगा। यह ऊंची कीमतें जीआरएम (ग्रास रिफाइनिंग मार्जिन) में वृद्धि करेंगी। रिलांयस इंडस्ट्रीज का जीआरएम दिसंबर 2007 के पहले नौ महीनों में 380 अंक बढ़ कर 14.9 डॉलर प्रति बैरल हो गया है।


रिलायंस इंडस्ट्री के जीआरएम में आई यह वृद्धि सिंगापुर के जटिल मार्जिन 7.7 प्रति बैरल से 8.2 डॉलर प्रति बैरल ज्यादा है। आरपीएल किसी भी तरह के कच्चे तेल का शोधन करने के साथ-साथ जटिल तेल का शोधन भी करेगी । इससे अमेरिका और यूरोप के तेल की मांग की पूर्ति भी होगी।


इस रिफाइनरी के विशेष आर्थिक क्षेत्र में होने के कारण आयात में शुल्क नहीं लगेगा और साथ ही अन्य सुविधाएं भी प्राप्त होंगी। इन बातों को देखते हुए कह सकते है कि लंबे समय के लिए निवेश करने वालों के लिए आरपीएल अच्छा विकल्प है।


टाइटन इंडस्ट्रीज


टाइटन इंडस्ट्रीज मुख्य तौर ब्रांडेड उत्पादों की बिक्री करती है। लेकिन टाइटन का मुख्य लक्ष्य सभी आय वर्ग लोगों के  बीच अपने उत्पाद पहुंचाना है। टाइटन कंपनी बाजार में संगठित तौर पर घड़ी बेचने वाले कंपनियों का नेतृत्व करने के साथ बाजार के 40 फीसदी हिस्से को अपने पास रखती है। टाइटन, सोनाटा और फास्टट्रैक इसके प्रमुख ब्रांड हैं। टाइटन कं पनी ने बाजार में अपने ब्रांडेड जेवरातं का बाजार भी काफी मजबूत कर लिया है।


आजकल इसके तानिष्क ब्रांड की बाजार में काफी मांग है। जेवरातों का संगठित खुदरा व्यापार में 3-4 फीसदी हिस्सा है। लेकिन इसमें प्रतिवर्ष 25 से 30 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद हैं। इसके अलावा कंपनी ने अपने लिए कुछ नए बाजार भी तैयार कर लिए हैं। कंपनी ने भारत में 4 करोड़ 50 लाख डॉलर के चश्मा बाजार में अपने ब्रांड फास्टटे्रक के साथ प्रवेश कर लिया है।


इसके अलावा कंपनी ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, मेडिकल और एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के औजारों का निर्माण करने वाले बाजार में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। वैश्विक स्तर पर इन औजारों का व्यापार लगभग 350 करोड़ रुपये है। कंपनी ने आंखों के लेसों के 2500 से 3000 करोड़ रुपये के बाजार में भी टाइटनआई नाम से अपना ब्रांड उतारा हैं। जाहिर है, टाइटन की बाजार में स्थिति काफी मजबूत है और इसमें निवेश करना फायदे का सौदा हो सकता है।


वोल्टाज


देश की प्रमुख एयर कंडीशन निर्माता कंपनी वोल्टास को खुदरा, मनोरंजन और सूचना प्रौद्योगिकी समेत दूसरे क्षेत्रों में हुई तरक्की से फायदा मिलने की उम्मीद हैं। कंपनी के मुताबिक, खर्च करने की क्षमता में इजाफा, भारत में बुनियादी ढांचे के विकास सहित पश्चिम-एशिया के बढ़ते बाजार जैसी वजह है , जो उसके मुनाफे में वृद्धि कर सकती हैं।


ब्लू स्टार के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी हीटिंग, वेंटीलेशन और एयरकडीशनिंग (एचवीएसी) कंपनी होने के नाते उसे पूरा भरोसा है कि एयरकंडीशनिंग बाजार में भरपूर अवसर हैं। इससे कंपनी को काफी कारोबार होने की उम्मीद है।


खासकर अगले पांच सालं के दौरान प्रवासी सेंगमेंट का बाजार तीन गुणा होकर 37,600 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। दूसरी तरफ एचवीएसी के अलावा वोल्टाज को निर्माण क्षेत्र से भी लाभ मिलेगा क्योंकि इस क्षेत्र में अंतिम रुप से यांत्रिक,विद्युत और प्लंबिंग (एमईपी) का काम होता है जबकि कंपनी का एमईपी कारोबार में स्थापित
नाम है।


अबान ऑफशोर


आसमान छूते कच्चे तेल के भावों, दुनिया भर में तेल खोज के लिए रिग की किल्लत और घरेलू तेल उत्पादन के लिए भारी निवेश की जरुरत से एबन ऑफशोर को भारी मुनाफा होगा। यह कंपनी तेल और गैस उद्योग के लिए रिग और अन्य सहायक मशीनरी उपलब्ध कराती है। इसके अलावा कंपनी बढ़ती मांग और कम आपूर्ति के मद्देनजर सही समय पर तेज गति से अपने कारोबार को फैला रही है।


ऐसे में जब ऊंची दरों पर लंबी अवधि के सौदे नए किये जा रहे हैं तो अगले कुछ वर्षो में कंपनी की आमदनी बढ़ने की पूरी संभावना है। इसके अलावा लंबे समय तक रहने कायम रहने वाले अपने सौदों को मजबूत करते हुए आने वाले कुछ सालों में वह अपने कारोबार को दोगुना कर लेगी। अबान ऑफशोर कैलेंडर वर्ष 2008 और 09 में पांच और नई परिसंपतियों को अपने साथ जोड़ेगी। इन संपत्तियों में से चार नए जैक अप्स है और एक जल्द ही हासिल किया गया सेमी-सबमर्सिबल रिग है।


ऐसा करने से कंपनी के पास वर्तमान में 16 तटीय संपतियां हो गई हैं। कं पनी अपने लंबे समय के सौदों को प्रतिदिन की ऊंची कीमतों पर फिर से नया कर रही हैं। इससे कंपनी के लाभ में हो रही वृद्धि में निरतंर बनी रहेगी। उदाहरण के तौर कंपनी के ओएनजीसी के साथ तीन वर्षो के लिए किए गए दो सौदों को देखा जा सकता है। इनमें से एक समझौता मार्च 2008 मेंं किया गया है और दूसरा दिसंबर 2007 से लागू हो चुका है।


मार्च 2008 से शुरु हुए समझौते को 45,000 हजार डॉलर और दिंसबर 2007 वाले समझौते को 28 से 56000 हजार डॉलर प्रति दिन से हटाकर 150,000 लाख डॉलर प्रति दिन किया गया है। नार्वे की तेल कंपनी सिनवेस्ट के अधिग्रहण ने कंपनी के  द्वारा होने वाली रिग की आपूर्ति को आसान कर दिया हैं।

First Published : March 30, 2008 | 11:45 PM IST