पांच महीने पहले सेबी ने डायरेक्ट म्युचुअल फंडों की खरीद यानी सीधे इन फंडों से खरीद पर लगने वाले एंट्री लोड को खत्म कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद इन फंडों को उनके जरिए सीधे निवेश करने वाली एप्लिकेशंस कम ही मिल रही हैं।
अगर आंकड़ों को देखें तो केवल 6 से 7 फीसदी एप्लिकेशंस ही सीधे इन फंडों के पास आती हैं। जाहिर है सेबी के इस कदम का ज्यादा असर नहीं दिख रहा है और निवेशक अब भी किसी डिस्ट्रिब्यूटर के जरिए ही फंड में निवेश करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं भले ही उन्हे उस पर 2.25 फीसदी का एंट्री लोड देना पड़ रहा है।
सेबी ने जनवरी में डायरेक्ट म्युचुअल फंड में निवेश पर एंट्री लोड खत्म कर दिया था जिससे कि फंड में निवेश पर कम से कम टैक्स लगे और निवेशकों को आसानी भी हो। लेकिन फंड में सीधे निवेश (फंड हाउस के दफ्तर जाकर या ऑनलाइन)करने में होने वाली दिक्कतों के चलते निवेशक डिस्ट्रिब्यूटर वाला रास्ता ही अपना रहे हैं।
फंड में सीधे निवेश करने के लिए पहले तो निवेशक को उस फंड का दफ्तर खोजकर वहां जाना पड़ेगा, यही नहीं वहां दो पन्ने का फार्म खुद भरना कई निवेशकों को दिक्कत भरा लगता है और अगर कोई निवेशक 50 हजार से ज्यादा निवेश करना चाहे तो उसे केवाईसी यानी नो युअर कस्टमर के मानक भी पूरे करने पड़ते हैं। जाहिर है ऐसे में निवेशक अपने आसपास किसी डिस्ट्रिब्यूटर को ही इस काम के लिए पकड़ लेता है।
जहां तक ऑनलाइन एप्लिकेशंस का सवाल है वो भी इतना आसान नहीं है, जो इस टेक्नोलॉजी से वाकिफ हैं वो भी निवेश के लिए इसे कम ही इस्तेमाल करते हैं। इस समय कुल 16 फंड ऐसे हैं जिन्होने ऑनलाइन एप्लिकेशंस की सुविधा दे रखी है। लेकिन निवेशकों को इसमें कई तरह की दिक्कतें आने लगती हैं। एक फंड हाउस के अधिकारी के मुताबिक कई बार निवेशक शिकायत करता है कि उसने पेमेंट कर दिया लेकिन वह पैसा ट्रांसफर नहीं हो सका।
हालांकि कोई भी उस फंड की अपनी वेबसाइट पर जाकर एप्लाई कर सकता है, लेकिन उसके लिए निवेशक का खाता ऐसे बैंक में होना जरूरी है जिसका उस फंड हाउस के साथ करार हो और ये ज्यादातर विदेशी और निजी बैंक होते हैं। फिलहाल डायरेक्ट एप्लिकेशंस संस्थागत निवेशकों (10 लाख से उससे ऊपर ) की ओर से ही ज्यादा आती हैं क्योकि उनके पास इस काम के लिए लोग होते हैं।
कोई निवेशक स्कीम बदलना चाहता है या फिर अपना पैसा वापस लेना चाहता है तो इतने दस्तावेज भरवाए जाते हैं कि वो परेशान हो जाता है। यूटीआई म्युचुअल फंड के चीफ मार्केटिंग ऑफीसर जयदीप भट्टाचार्या के मुताबिक हमारे पास डायरेक्ट एप्लिकेशंस दो फीसदी से भी कम होती हैं, हमने निवेशकों को काफी विकल्प दे रखे हैं लेकिन ये निवेशकों पर ही निर्भर कि वो इनका इस्तेमाल करे, निवेशक डिस्ट्रिब्यूटरों के पास इसलिए जाते हैं क्योकि वहां इनको मुफ्त की सलाह भी मिल जाती है।
उधर डिस्ट्रिब्यूटर भी अपनी सलाहकार सेवाओं के बूते पर निवेशकों को बांधे हुए हैं, कई पीएमएस मैनेजरों ने एंट्री लोड की दिक्कत से निपटने के लिए एक और रास्ता निकाला है, पांच करोड़ और उससे ऊपर के निवेश पर एंट्री लोड नहीं लगता लिहाजा एक बड़े डिस्ट्रिब्यूशन हाउस ने तो रिटेल निवेशकों के लिए ही एक पीएमएस स्कीम शुरू कर दी जहां वह पांच लाख रुपए का निवेश बिना किसी एंट्री लोड के कर सकता है।